1993 के स्टॉप डैम को लील गया भू-माफिया

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स्वास्तिक ग्रीन वैली ने किया धमाल
डिप्टी कलेक्टर ने जांच कर रिपोर्ट सौंपी
तहसीलदार ने नहीं की कोई कार्यवाही

(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। मुख्यालय के ग्रीन वैली के पर्दे के पीछे की काली वैली खुलकर दिखाई दे रही है, जानकारों की अगर माने तो 1993 में जल संसाधन विभाग ने पोण्डानाला के समीप लाखों रूपये की लागत से 1 स्टॉप डैम का निर्माण कराया था, लेकिन नाले का स्वरूप तो बदल ही दिया गया, स्टॉप डैम को भी निगल लिया गया, स्वास्तिक ग्रीन वैली के संचालकों ने खुलकर ताण्डव मचाया, जितने भी स्वास्तिक है, उनके चारों कोरों को अगर करीब से टटोला जाये, तो सारा का सारा राज खुल जायेगा, जहां ग्रीन सिटी मे तालाब पर कब्जा किया गया, वहीं बस स्टैण्ड के समीप बनाई गई कालोनी में आदिवासी की जमीन पर भी कब्जा कर लिया गया और तो और कालोनी बनाने के मानकों को भी नजर अंदाज किया गया, तथा अब स्वास्तिक ग्रीन वैली हरियाली की जगह काले इतिहास को जन्म दे रही है।
डिप्टी कलेक्टर ने की जांच
डिप्टी कलेक्टर पूजा तिवारी ने इस मामले की पूरी जांच की है और जांच में विभिन्न अनियमितताओं को सामने पाया है, रिपोर्ट सौंपने के बाद तहसीलदार को इस मामले में कार्यवाही के निर्देश दिये गये हैं, पर 2 माह बीत जानेे के बाद भी इस मामले में अब तक कोई कार्यवाही नहीं की, शहर के हर गंभीर मुद्दो पर तहसीलदार ने माफिया या जमीन पर कब्जा करने वालों को एक रास्ता दिखाया है और वो बेखौफ होकर पूरे शहर को बेचने की फिराक में हैं।
कलेक्टर ने तो यह कहा था
कलेक्टर एवं संभागायुक्त ने सरकारी जमीन ,सरकारी संपत्ति, नदी, नाले एवं अन्य जगहों एवं अतिक्रमण एवं कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिये थे, लेकिन तहसीलदार ने कलेक्टर के इस फरमान को भी लिफाफे में कैद कर पता नहीं किसको बांट दिया और अब यह माफिया बेखौफ होकर ग्रीन वैली के साथ-साथ दूसरी जगह पर भी सौदा करने की फिराक में हैं।
ेऐसा भी हुआ
सूत्रों का कहना है कि पोण्डा नाला स्थित भू-खण्ड में सांई प्रभा नामक फर्म पर पहले से ही स्थगन आदेश जारी है, इसके बाद भी अनावेदक द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा है, इस शिकायत पर राजस्व निरीक्षक द्वारा प्रतिवेदन के बाद भी निर्माण कार्य होना अपनी रिपोर्ट में दर्शाया है, अनावेदक न्यायालयीन प्रक्रिया में अनुपस्थित रहा, जिसकी वजह से 5 अप्रैल 2019 को उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई। अनावेदक द्वारा कोई भी ऐसा दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे वह सिद्ध हो सके कि प्रश्नाधीन आराजी उसके भू-स्वामित्व की है।
लूट की छूट
पोण्डा नाला स्थित भू-खण्ड में सांई प्रभा नामक फर्म द्वारा प्राकृतिक नाले को दफन कर उसके स्वरूप को बदल दिया गया, बीती 25 जुलाई को डिप्टी कलेक्टर सुश्री पूजा तिवारी ने मौके पर पहुंचकर जांच की और अपने विभागीय प्रतिवेदन क्रमांक 3904 तहसीलदार को भेजा, पत्र में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया कि ग्राम फतेहपुर एवं नरसरहा सीमा के मध्य स्थित नाला जो खसरा क्रमांक 58 एवं 84 शासकीय आराजी भूमि में स्थित है, उक्त नाले में सत्यप्रकाश पिता दधिवल प्रकाश मिश्रा व अन्य द्वारा अतिक्रमण किया गया है। अत: मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के अधीन प्रकरण दर्ज कर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करें। डिप्टी कलेक्टर कार्यालय से उक्त पत्र जारी होने के लगभग दो माह बाद भी तहसीलदार की कार्यवाही नहीं दिखी।
संकट में पड़ा शहर
सोहागपुर तहसील में कई ऐसे कर्मचारी तैनात हैं, सूत्रों का कहना है कि जिनकी कृपा पर पोण्डा नाले का अस्तित्व संकट में है, जिले में माफियाओं से लेकर राजनेताओं तक पैठ बनाने वाले तहसील के कर्मचारियों पर अधिकारी भी हाथ डालने से डरते नजर आ रहे हैं, खबर है कि कथित माफिया द्वारा स्थानीय नेताओं से सांठ-गांठ कर कथित लोगों द्वारा इन्हें चुप कराकर रखा हुआ है, ऐसा नहीं है कि यह सब खेल चोरी छुपे हो रहा है, भू-माफियाओं द्वारा खुलेआम प्रशासन को चुनौती देते हुए उक्त निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
तो बेच रहे सरकार के अस्तित्व को
अवैध रूप से बनाई गई इन कालोनियों में मकानों की बिक्री के लिए भू-माफियाओं द्वारा खरीददारों को तरह-तरह के लालच, प्रलोभन और स्कीमें दी जा रही हैं,सूत्रों का कहना है कि लेकिन सुविधाएं कुछ भी नहीं, सिंहपुर रोड के पास निर्माणाधीन कॉलोनी के पास पानी की निकासी के लिए शासकीय नाला था, सूत्रों का कहना है कि भूमाफियाओं द्वारा प्रशासन से सांठगांठ कर पूरे नाले के स्वरूप को ही बदल दिया गया, भूमाफियाओं द्वारा इस बेशकीमती जमीन पर कब्जा कर शासन को लाखों रुपए की चपत लगाई जा रही है।

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