2 माह से 1 ही मॉस्क पहनकर कर रहे शहर की गंदगी साफ

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सफाई कर्मचारियों को संक्रमण का खतरा, बेफिक्र जिम्मेदार
बाकी स्टॉफ का पता नहीं, एक दिन की छुट्टी पर कट जाता है वेतन

(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। मुख्यालय के वार्डाे की गंदगी साफ करने वाले और कोरोना संक्रमण काल के दौरान बिना अपनी जान की फिक्र किये साफ-सफाई व्यवस्था सम्हालने वाले दर्जनों सफाई कर्मी आज न्याय की गुहार लगा रहे हैं। नपाध्यक्ष सहित सीएमओ पर आरोप हैं कि उन्होंने इनकी सुरक्षा के लिए न तो माकूल इंतजाम किये और न ही उन्हें कोरोना फाइटर्स के रूप में तवज्जों ही दी गई। सफाईकर्मियों के पक्ष में भारतीय मजदूर संघ ने आवाज बुलंद करते हुए कोरोना संक्रमण काल के दौरान नगरपालिका द्वारा किये गये खर्च के जांच की मांग की है, तथा यह भी आवाज उठाई है कि इन 50 दिनों के दौरान सफाईकर्मियों को महज एक मॉस्क ही दिया गया, जिसे ये धो-धोकर उपयोग कर रहे हैं।
भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री आनंद सिंह ने 17 मई को बुढ़ार चौक पर सफाई कार्य में लगे कोरोना फाइटर्स को साल और फूल-माला देते हुए उनका सम्मान किया, इस दौरान उन्होंने कहा कि नगरपालिका द्वारा सफाई कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण काल के दौरान इस तरह का भेदभाव करना अपराध की श्रेणी में आता है। सफाईकर्मी जो अपनी जान को जोखिम में डालते हुए लॉक डाउन के दौरान पूरे शहर को साफ-सुथरा करने में अपनी जान तक की फिक्र नहीं कि उन्हें बचाव के लिए सिर्फ एक मॉस्क देना सोचनीय प्रश्न है।
सफाईकर्मियों ने यह भी आरोप लगाये कि सफाई निरीक्षक मोतीलाल सिंह की मनमानी से वे परेशान हो चुके हैं, वेतन काटने और नौकरी से निकालने की धमकी के कारण वे अपना नाम भी सामने नहीं ला पा रहे हैं, उपस्थित सफाई कर्मचारियों ने बताया कि शासन द्वारा 35 प्रतिशत कर्मचारियों की उपस्थिति और वेतन न काटने के आदेश दिये गये हैं, लेकिन यह आदेश सफाई कर्मचारियों पर शहडोल नगर पालिका में लागू नहीं किये गये हैं, अवकाश तो दूर कार्य दिवस के दौरान कुछ घंटे लेट आने पर ही उस दिन का वेतन काटा जा रहा है।
कागजों में किये लाखों खर्च
24 मार्च को लॉक डाउन से पहले दिन से लेकर अभी तक नगर पालिका के द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लाखों रूपये व्यय किये जाने की खबर है, लेकिन आरोप है कि हकीकत में यह खर्च सिर्फ कागजों में ही हुए है, दिखावे के लिए मॉस्क, सेनिटाइजर, ग्लब्स के अलावा छिड़वा हेतु दवाएं क्रय करने के बिल लगे हैं, लेकिन हकीकत में खरीदी 20 से 25 प्रतिशत ही हुई है, यही नहीं इस दौरान जो खाद्यान्न आवंटित किया गया है, उसमें भी भारतीय जनता पार्टी के तथाकथित नेताओं ने खुद और अपने परिचितों के नाम डलवाकर राशन में गोलमाल किया है।

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