20-50 के फॉर्मूले को निरस्त करने अध्यापकों ने की मांग

मुख्यमंत्री ने नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। शिक्षकों और अध्यापकों ने सरकार के द्वारा किये उस कृत्य को गलत ठहराया है जिसमे विभागीय परीक्षा के दौरान   अनुतीर्ण  हुए 16  शिक्षकों को  लोक शिक्षण संचानालय के आदेश से  20-50 के फार्मूले के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है जिसके सम्बन्ध में अध्यापक महासंघ की जिला इकाई ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौपा।
ये हैं मुख्य मांगे
ज्ञापन में कहा गया कि सरकार द्वारा चलाये गए  20-50 के फॉर्मूला अध्यापक-शिक्षक विरोधी है, जिसे सरकार स्तर पर वापस लिया जाये। जिन शिक्षकों को अयोग्य करार देकर फेल होने की बात की जा रही है वे कभी भी इस परीक्षा में बैठे ही नहीं, हम सभी शिक्षा के अधिकार के तहत नियमानुसार सभी बच्चों को पढ़ाते है। विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम की जिम्मेदारी विभाग में हर स्तर में की जाये। माह अप्रैल से शुरू होने वाले सत्र को व्यवहारिक बनाया जाये ताकि बच्चों को वास्तविक लाभ मिल जाये। प्रवेश प्रक्रिया अप्रैल से अगस्त तक होने के कारण अध्यापन कार्य प्रभावित रहता है। बेस्ट ऑफ़ फाइव पद्धति तथा 80 अंको के प्रश्न पत्र मंडल परीक्षा के प्रति भय तो दूर करता है किन्तु विद्यार्थियों को गुणवत्ता युक्त परिणाम के लिए प्रेरित नहीं कर सकते, इसके लिए शिक्षकों को दोषी नहीं माना जा सकता है। शालेय छात्रों का पाठ्यक्रम समय-समय पर परिवर्तित होता रहता है और विभिन्न प्रशिक्षणों के माध्यम से शिक्षकों को नई शिक्षण विधियों से अवगत कराया जाता रहा है। यही विभागीय परम्परा रही है सरकार और विभाग कि अपेक्षा के अनुरूप शिक्षकों को अपडेट किया जाना चाहिए। अध्यापकों को गैरप्रशिक्षित कार्यों से मुक्त रखा जाएँ। उक्त सभी मानगो के साथ शिक्षकों के साथ की गई कार्रवाई वापस लेने की बात कही है।  साथ ही मांग की है कि12 वर्ष कि सेवा अवधि पूर्ण कर चुके अध्यापको शिक्षक संवर्ग को क्रमोन्नति आदेश शीघ्र जारी कराये जाएँ, अन्य जिलों के समान जिले में भी सातवें वेतनमान का भुगताम किया जाये छटवें वेतनमान कि द्वितीय किश्त के भुगतान शीघ्र कराया जाये, सोहागपुर विकासखंड में स्थानांतरित से आये अध्यापक-शिक्षक संवर्ग का वेतन 4 माह से अप्राप्त है उसका वेतन भुगतान शीघ्र कराया जाये।

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