नियम विरुद्ध हुए 20 विवाह, एफआईआर के निर्देश

सीईओ ने नाबालिगों की भी करा दी शादी, जांच से खुला भेद
शहडोल। शासन की हर योजना भ्रष्टाचार के दरवाजे से गुजर कर अपनी मंजिल तक पहुंचती है। जिसमें दर्जनो दाग लग जाते हैं और अफसरो की नाजायज करतूतें सामने आतीं हैं। कोई भी योजना न तो शासन की मंशा के अनुरूप शुचिता पूर्ण ढंग से क्रि यान्वित होती है और न उसकी सही तस्वीर उभर कर सामने आ पाती है। किसी योजना में तो हितग्राही लाभ से वंचित रह जाते हैं और किसी में तो अनुचित लाभ उठाते हैं। यह सब अफसरों की लापरवाही से होता है। इसी तरह का एक मामला उमरिया जिले की करकेली जनपद का है। जहां संनिर्माण कर्मकार मण्डल विवाह सहायता योजना में वर्षों तक भ्रष्टाचार होता रहा मामला तब खुला जब भोपाल संनिर्माण कर्मकार मण्डल बोर्ड में शिकायत पहुंची और वहां से कलेक्टर को सीईओ व अन्य संबंधित अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश दिए।हर साल हुए नियमविरुद्ध विवाह जानकारी में बताया गया कि वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22 के तीन वर्षों में करकेली जनपद अंतर्गत कुल 2492 विवाह प्रकरण हुए। इनमे से 115 की जांच होने पर 20 प्रकरण अपात्र पाए गए। इनका संचालन नियमविरुद्ध हुआ। इन प्रकरणों में तीसरी पुत्री की शादी पर राशि का स्वीकृत किया जाना, वर की उम्र 21 वर्ष से कम होना, कन्या की उम्र 18 वर्ष से कम होना आदि जैसे कारण पाए गए हैं। इन स्थितियोंं के कारण यह विवाह विधिसंगत नहीं माने जा सकते हैं।
सीईओ व अन्य पर एफआईआर कराओऐसे विवाह संपन्न करानेे वाले करकेली सीईओ व अन्य संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई जाए साथ ही अपात्र लोगों ने जिन्होनेेे योजनाओंं का लाभ उठाया है उन पर भी कार्रवाई की जाए और उनसे राशि की वसूली की जाए। बताया गया कि अधिकारियों ने प्र्रकरणों की विधिवत जांच पड़ताल नहीं की। लक्ष्य पूरा करने की होड़ में कागजों व प्रमाण पत्रों की भी ठीक से जांच करना व संबंधित पक्षों से पूछताछ करना जरूरी नहीं समझा जाता है।
और भी मिल सकते हैं केसअभी तो केवल 115 प्रकरणो की जांच हुई है जिसमें लगभग 20 फीसदी गड़बड़ और नियमविरुद्ध पाए गए। प्रकरण तो कुल 2492 हुए हैं। और भी अगर प्रकरणों की जांच होगी तो इसी तरह नियम विरुद्ध संपन्न किए गए विवाह और भी मिलेगी तथा नियमविरुद्ध संपन्न कराए गए विवाहों की संख्या बढ़ेगी। स्थानीय स्तर पर शासकीय योजनाओं को संपन्न कराने की जिम्मेदारी निभाने वाले हाकिम अफसर या तो अपने कर्तव्य के प्रति अधिक संवेदनशील नहीं रहते अथवा जानबूझकर गड़बड़ी कराई जाती है।दबा पड़ा आदेशभोपाल का यह आदेश पत्र पिछले माह से पड़ा है लेकिन अभी तक इसमें कार्रवाई नहीं की गई है। अन्यथा सीइओ के एफआइआर की जानकारी अवश्य होती। कलेक्टर संभवत: सीइओ को बचाने का प्रयास कर रहे हैंं। कुछ समय बाद यह कागज ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाएगा। अपराध होने के बाद भी आरोपी पर आंच नहंी आएगी। इसी तरह भाईचारा निभाकर अपराध को प्रश्रय दिया जा रहा है। जबकि निर्देश के परिपालन में तत्काल एफआईआर की कार्रवाई होनी चाहिए थी