75 साल के बुजुर्ग ने दिया आत्मदाह का अल्टीमेटम @ कहा- गुड़डू मेरी मौत का जिम्मेदार

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साहब….गुड्डु है कि मानता नहीं,

मैं कर लूंगा आत्मदाह

75 वर्षीय निर्धन वृद्ध ने लगाये धनकुबेर

पर प्रताडऩा के आरोप

गुड्डू उर्फ प्रकाश रस्तोगी पर लगाये   

संगीन आरोप

गुड्डू के बाड़े में लगता है शौकिनों का मेला

सादिक जैसे बदमाशों से बना रहे         

वृद्ध पर दबाव

गुरूवार की दोपहर जमुआ तिराहे पर रहने वाले 75 वर्षीय वृद्ध ने आज गुड्डू रस्तोगी से त्रस्त होकर कलेक्टर व एसपी कार्यालय में आत्मदाह करने की सूचना दी। प्रभारी मंत्री आज भी विराट नगरी में रहेंगे, ऐसी स्थिति में यह मामला और महत्वपूर्ण हो जाता है, गेंद अब एसपी और डीएम के पाले में है कि वृद्ध को न्याय मिलता है या फिर मामला दबा दिया जाता है।

(अनिल तिवारी @ 7000362359)

शहडोल। शहर के अरबपतियों की सूची में शुमार युवा कारोबारी गुड्डू उर्फ प्रकाश रस्तोगी के खिलाफ 75 वर्षीय गरीब रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले गुरूदीन शर्मा ने मानसिक प्रताडऩा के आरोप लगाये और गुरूवार को कलेक्टर और एसपी को पत्र सौंपकर आज शुक्रवार 23 जुलाई को जमुआ एनएच-43 स्थित गृह ग्राम में आत्मदाह करने की सूचना दी। गुरूवार को संयुक्त रूप से दोनों अधिकारियों को लिखे गये पत्र में गुरूदीन ने यह उल्लेख किया कि वह गुड्डू उर्फ प्रकाश रस्तोगी पिता रामेश्वर प्रसाद रस्तोगी शहडोल तथा राम प्रसाद बैगा, राम गोपाल, कस्तूरी बाई, सादिक खान व कमलेश सिंह गोड़ से त्रस्त हो चुका है। उसने न्याय के लिए नीचे से लेकर उच्च न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाया, जहां से उसे अवैध निर्माण व कब्जे के खिलाफ स्थगन भी मिला, लेकिन गुड्डू के रसूख के कारण तहसीलदार ने माननीय उच्च न्यायालय के आदेश को किनारे करते हुए निर्माण की अनुमति दे दी। मैं गुरूदीन शर्मा इन लोगों से त्रस्त हो चुका हँू, अब मुझे धमकियां व लालच दी जा रही है, मेरी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है, जिस कारण मैं शुक्रवार को इन सबसे त्रस्त होकर आत्मदाह करूंगा।

यह है पूरा मामला

शहडोल से बुढ़ार जाने वाले एनएच-43 पर जमुआ तिराहे के समीप 75 वर्षीय वृद्ध गुरूदीन छोटे से कच्चे झोपड़े में बीते 5 से 6 दशकों से रह रहा है, वर्तमान में वह अकेला है, जिस भू-खण्ड को लेकर गुरूदीन ने गुड्डू रस्तोगी पर कमलेश सिंह के नाम पर खरीदने और प्रताडऩा के आरोप लगाये हैं, आराजी खसरा क्रमांक 276 कुल रकवा 0.07 डिस्मिल के इस भू-खण्ड को लेकर है, वृद्ध का दावा और दस्तावेज इस बात के प्रमाण हैं कि भूमि का मूल खसरा क्रमांक जो पूर्व में 123 व वर्तमान में 276 दर्ज है, भूमि का पूर्व पट्टेदार सेतुआ बैगा ने उक्त भूमि को प्रार्थी के मामा स्व. कामता प्रसाद शर्मा को सरस्वती मंदिर, गुरू आश्रम तथा यज्ञ स्थली बनाने के लिए 1957 में दान पत्र देकर उक्त भूमि का अधिपत्य सौंपा था। 25 नवम्बर 1985 को मामा ने गुरूदीन के नाम पर वसीयत बनाई थी, मौत के बाद पूर्व से रह रहे गुरूदीन का उक्त भू-खण्ड पर कब्जा और मालिकाना हक है।

गुरूदीन ने बताया कि दानदाता के नाती के माध्यम से जमीन की बिक्री पहले कस्तूरी बाई पति स्व. रामकुमार गोड़ के नाम पर हुई और बाद में करोड़ों का यह भू-खण्ड ग्रीन सिटी में चौकीदारी करने वाले गोड़ जनजाति के युवक कमलेश सिंह पिता मोती लाल निवासी भागा, पोस्ट लफदा के नाम पर गुड्डू रस्तोगी ने बेनामी संपत्ति के रूप में क्रय कर ली।

दर्जनों आवेदन, सब सिफर

गुरूवार 22 जुलाई को पहला मौका नहीं था जब गुरूदीन ने गुड्डू रस्तोगी के खिलाफ प्रताडऩा और बेनामी संपत्ति खरीदकर उसे परेशान करने की शिकायत पुलिस को दी हो, अलबत्ता 75 वर्षीय वृद्ध ने बीते 15 सालों से लेकर अब तक थाने व पटवारी से लेकर ग्वालियर तथा जबलपुर उच्च न्यायालय तक के दर्जनों चक्कर लगाये, सैकड़ों आवेदन दिये, गुरूदीन के पास रखे दर्जनों दस्तावेज इस बात के प्रमाण हैं कि जनप्रतिनिधि और जिले की कमान देखकर कलेक्टर और एसपी न्याय के कितने भी दावे क्यों न कर लें, लेकिन जब बात गुड्डू जैसे अरबपति कारोबारी और उसके सत्ता व प्रशासनिक गलियारों में दखल की आती है तो, न्याय के कोरे दावे फाईलों की शोभा बढ़ाते हैं।

उच्च न्यायालय की अवहेलना

गुरूदीन ने गुरूवार को कलेक्टर और एसपी को दिये गये पत्र में भी इन तथ्यों का हवाला दिया कि उसके द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में इस मामले में रिटपिटीसन नंबर डब्ल्यूपी 26300/2019 में न्याय मांगा था, जिसकी सुनवाई के बाद माननीय न्यायालय ने 17 फरवरी 2020 को सुनवाई के उपरांत इस मामले में दिये गये अंतरिम आदेश में यह स्पष्ट किया कि उक्त भू-खण्ड पर यथास्थिति बनी रहे, इस संदर्भ में दूसरे पक्ष को आगे कर गुड्डू रस्तोगी ने तहसील न्यायालय में आवेदन दिया, अचरज की बात है कि हाईकोर्ट के स्थगन को तहसील न्यायालय ने किनारे कर दिया और 7 अप्रैल 2021 को पटवारी के प्रतिवेदन को आधार तथा समाचार पत्र में इश्तेहार प्रकाशित कर किसी के उपस्थित न होने को बिन्दु बनाते हुए आदेश जारी करते हुए निर्माण की अनुमति दे दी।

जमीन कमलेश की, दखल गुड्डू का?

एनएच-43 जमुआ के जिस भू-खण्ड को लेकर गुड्डू रस्तोगी पर आरोप लग रहे है, जिस मामले को लेकर वृद्ध ने आत्मदाह का अल्टीमेटम दिया, वह भू-खण्ड कमलेश सिंह गोड़ का है, सवाल यह उठता है कि कमलेश सिंह गोड़ से गुड्डू का कनेक्शन क्या है, कमलेश के संदर्भ में बताया गया कि वह ग्रीन सिटी में चौकीदार है। तो सवाल यह उठता है कि उसके पास करोड़ों रूपये जमीन खरीदने के लिए कहां से आये, आरोप तो यह भी है कि अकेला कमलेश ही नहीं, जिसके नाम पर गुड्डू ने सीमेंट की कालाबाजारी व प्रापर्टी का हेरफेर कर कमाये गये काले धन से दर्जनों स्थानों पर बेनामी संपत्ति खरीदी हुई है।

यह है गुड्डू के रसूख का जलजला

गुरूदीन शर्मा सहित संभागीय मुख्यालय में गुड्डू को जानने वालों पर यकीन करें तो, गुड्डू ने बीते एक दशक के दौरान सीमेंट की कालाबाजारी कर लाखों नहीं बल्कि करोड़ों की संपत्ति बनाई है, सीमेंट कंपनियों से अनूपपुर, उमरिया व शहडोल के ग्रामीण क्षेत्रों के नाम पर सीमेंट की खरीदी कर उन्हें सीधे उत्तरप्रदेश भेजा जाता रहा है, जिससे करोड़ों की कर चोरी बीते वर्षाे में की गई है, हालाकि यह जांच का विषय है, बकौल गुरूदीन शर्मा कहते हैं कि गुड्डू का रसूख इतना है कि वह अधिकारियों को हर चीज मुहैया करा रहा है, यही कारण है कि तहसीलदार सहित अन्य पुलिस अधिकारी 15 सालों से मेरे आवेदनों को कचरे में फेंक रहे हैं, यही नहीं नौकरशाहों और धनकुबेर के गठबंधन का आलम यह है कि उच्च न्यायालय के आदेश के विपरीत तहसील न्यायालय आदेश जारी कर रहे हैं। बीते कुछ वर्षाे में गुड्डू का रसूख इस कदर बढ़ा कि रेत से लेकर ्रप्रापर्टी के कामों में गुड्डू की उपस्थिति सबको नजर आने लगी, शहडोल मुख्यालय में बस स्टैण्ड के समीप आधुनिक सुविधाओं से लैस होटल के अलावा पीसीबी के समीप 5 सितारा होटल की आधार शिला रखी जा रही है, मुख्यालय में राजेन्द्र क्लब से लेकर रोटरी क्लब विभिन्न सामाजिक संगठनों में दखल रखने वाले गुड्डू रस्तोगी का नाम शहडोल संभाग के अग्रिम पंक्ति के अरबपतियों में शुमार है।

इनका कहना है…

हाईकोर्ट का स्थगन अवश्य था, लेकिन वह आदेश कालातीत हो चुका है, आदिवासी के शिकायत पर 70 (ख) का मामला गुरूदीन हार चुका है, मैं गुड्डू रस्तोगी को नहीं जानता, यदि आदेश गलत हुआ है तो, पीडि़त दोबारा हाईकोर्ट जा सकता है।
लवकुश शुक्ला
तहसीलदार सोहागपुर

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