प्रमाण होने के बावजूद माफिया पुलिस और प्रशासन की शिकंजे से दूर
मामले को ठण्डे बस्ते में डालने के चलते दौड़ा रहे कागजी घोड़े

(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। 19 जनवरी को सोहागपुर पुलिस ने अवैध कोयले से लदे ट्रेलर क्रमांक सीजी 10 एएम 5312 को जब्त किया था, जो कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहने वाले राजेश कोटवानी का है, उक्त वाहन अनूपपुर जिले के संजय कोयला नगर में रहने वाले चंद्रशेखर नामदेव के द्वारा कोटवानी और अनूपपुर और बुढ़ार के साथ ही कोयलांचल के कुछ लोगों के साथ मिलकर अवैध कोयले की तस्करी की जा रही थी। पुलिस और खनिज विभाग ने सभी अहम सुराग जुटा लिये, लेकिन अभी तक पूरे मामले का खुलासा क्यों नहीं हो पा रहा है कि पर्दे के पीछे कौन अवैध कोयले का कारोबार संचालित कर रहा था।
9 दिनों में भी नहीं हुआ खुलासा
वैसे तो पुलिस किसी भी मामले का खुलासा करने में देरी नहीं करती, लेकिन इस अवैध कोयले के मामले में अभी तक 9 दिन बीत चुके हैं और पुलिस अढ़ाई कोस न पहुंच पाने का दावा कर रही है, जबकि सच्चाई यह है कि डिपो से लेकर रूट की जांच हो चुकी है और सब में फर्जीवाड़ा सामने आया है, यहां तक की ट्रेलर में लदे कोयले का सैंपल भी सोहागपुर की शारदा खदान का मिला, लेकिन सभी जांच और कार्यवाहियां कागजों में ही दौड़ती नजर आ रही हैं।
…तो क्या दबाव में है अधिकारी
खबर है कि समय इसीलिए निकाला जा रहा है कि जांच को ठण्डे बस्ते में डालकर मामले को निपटा दिया जाये, क्योंकि इस पूरे अवैध कारोबार का संरक्षण राजधानी में बैठे एक बड़े नौकरशाह का है, जिसके चलते पुलिस और खनिज विभाग सबकुछ जानने के बाद माफिया को अपने शिकंजे में लेने से बच रही है और इस मामले का खुलासा भी नहीं कर पा रही है, स्थिति यह है कि मामला अब यहां तक पहुंच चुका है कि न तो उगला जा रहा है और न ही निगला जा रहा है।
बुढ़ार से लदा था कोयला
सूत्रों की माने तो जो दस्तावेज प्रस्तुत किये गये, जिसमें जिस डिपो से कोयला कटनी के कैमोर जाना बताया गया, उसका कोई अता-पता नहीं है, जिस रूट से वाहन गुजरा उसकी जांच में भी सब फर्जीवाड़ा ही मिला। बताया गया है कि उक्त वाहन में कोयला बुढ़ार से लोड किया गया था और तस्करी के लिए उसे छत्तीसगढ़ के कागजों के सहारे कटनी भेजने की पूरी तैयारी थी, सूत्र यह भी बताते हैं कि इस पूरे अवैध कारोबार में शामिल माफियाओं ने 100 ट्रक अवैध कोयले का कारोबार अनूपपुर, शहडोल से किया। जो कि उमरिया के रास्ते कटनी गया, लेकिन तीनों जिलों की पुलिस ने कभी जांच नहीं कि, जिससे निचले स्तर की कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है।

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