परिषद के अध्यक्ष व बाबू पी गये करोड़ों का डीजल

भ्रष्ट बाबू को दागी अध्यक्ष ने दिया चरित्र प्रमाण पत्र
दागदार बाबू एक साथ कर रहे नौकरी और नेतागिरी
(Amit Dubey+8818814739)
जयसिंहनगर। नगर परिषद के उपाध्यक्ष ने अध्यक्ष सहित अंगद बन चुके चन्द्रप्रताप कुशवाहा नामक सहायक राजस्व निरीक्षक को लेकर संभागायुक्त को शिकायत सौंपी है, वार्ड नंबर 07 के पार्षद और परिषद के उपाध्यक्ष संजय कुमार गुप्ता ने आरोप लगाये है कि सहायक राजस्व निरीक्षक नौकरी के साथ परिषद में नेतागिरी भी कर रहा है, पूर्व में पत्नी और बाद में पुत्र को पार्षद का चुनाव लड़ाकर परिषद तक पहुंचाने वाले चंद्रप्रताप कुशवाहा यहां पहले ही स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान को पलीता लगा चुके हैं, उन्होंने कहा कि श्री कुशवाहा कर्मचारी के साथ नेता, ठेेकेदार और अध्यक्ष तथा अन्य ठेकेदारों के बीच के ब्रोकर भी हैं। यही कारण है कि परिषद के अध्यक्ष मुन्ना पाण्डेय ने चरित्र प्रमाण पत्र जारी करते हुए उन्हें कलयुग का हरीशचन्द्र बता दिया।
शासकीय कार्य को करते हैं प्रभावित
उपाध्यक्ष श्री गुप्ता ने उल्लेख किया कि श्री कुशवाहा की पदस्थापना नगर परिषद जयसिंहनगर में वर्ष 2008 में सहायक राजस्व निरीक्षक के अ.पि.व. के संवर्ग में की गई थी। जबकि विकास रोस्टर में अ0पि0व0 का पद ही नही है। श्री कुशवाहा स्थानीय राजनीति में लिप्त रहते है तथा शासकीय कार्यों को प्रभावित करते है। वर्ष 2012 में श्री कुशवाहा की पत्नी पार्षद के पद पर रही है तथा वर्ष 2017 से सुमित कुशवाहा उनके पुत्र वर्तमान में पार्षद रहते हुए पी.आई.सी. सदस्य भी है। जिनके आधार पर श्री कुशवाहा स्थानीय स्तर पर प्रशासन पर जोर डालते हुए मनमाना रवैया अपनाकर निकाय में लेखीय कार्य कर रह रहे है। जबकि विकास में दो-दो कर्मचारी सहायक वर्ग-2 के पद पर पदस्थ है, परंतु उनका राजनैतिक पकड़ न होने के कारण उनसे किसी प्रकार का कार्य नही लिया जा रहा है।
कुशवाहा का कुर्सी मोह
श्री कुशवाहा का स्थानांतरण संचालनालय भोपाल के आदेश क्रमांक 31 अगस्त 2021 के द्वारा नगर परिषद जयसिंहनगर से नगर परिषद कोटर जिला सतना के लिए किया गया था, परंतु श्री कुशवाहा का कुर्सी मोह उन्हें न्यायालय की शरण में ले गया। जहां उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा याचिका क्र. 17648 / 2021 दिनांक 13 सितम्बर 2021 के द्वारा शासन को श्री कुशवाहा के अभ्यावेदन पर विचार करने का निर्णय पारित कर प्रकरण को समाप्त कर दिया था। उपरोक्त निर्णय के आधार पर म.प्र. शासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय द्वारा अपने पत्र क्रमांक एफ 1-177 / 2021 / 18-1 भोपाल दिनांक 19 जनवरी 2022 के द्वारा श्री कुशवाहा के अभ्यावेदन को अमान्य करते हुए उनका स्थानांतरण आदेश यथावत रखा था। उपरोक्त आदेश के आधार पर श्रीमान् द्वारा अपने पत्र क्रमांक 327 दिनांक 14 फरवरी के द्वारा मुख्य नगर पालिका अधिकारी को श्री कुशवाहा को भारमुक्त किये जाने हेतु निर्देशित भी किया गया है परंतु श्री कुशवाहा उपरोक्त के बावजूद निकाय में लेखीय कार्य संपादित कर रहे है।
…तो शेष कर्मचारी बेईमान
उपाध्यक्ष श्री गुप्ता ने आरोप लगाया कि निकाय के अध्यक्ष अशोक पाण्डेय द्वारा अपने पत्र 15फरवरी में मुख्य नगर पालिका अधिकारी को निर्देशित करते है कि चन्द्रप्रताप कुशवाहा एक योग्य ईमानदार एवं कार्य निपुण कर्मचारी है। अत: उन्हे भारमुक्त न किया जाये। जबकि श्री कुशवाहा योग्यता मात्र बीए पास है तथा उनसे योग्य कई कर्मचारी निकाय में पदस्थ है। श्री पाण्डेय अध्यक्ष के पत्रानुसार निकाय के शेष कर्मचारी बेईमान है। जो कभी भी घोटाला कर सकते है। श्री कुशवाहा द्वारा निकाय में पदस्थ रहते हुए तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी एवं वर्तमान मुख्य नगर पालिका अधिकारी तथा अध्यक्ष श्री पाण्डेय के साथ मिलकर कई घोटालों को अंजाम दे चुके है। जिसमें निकाय में 2 करोड़ की नाली निर्माण एवं सडक निर्माण तथा पेयजल योजना के चालू न होने बावजूद उसका भुगतान किया जाना सबसे बड़ा उदाहरण है। इसी प्रकार वर्तमान मुख्य नगर पालिका अधिकारी के कार्यकाल में डीजल भुगतान सबसे बड़ा घोटाला है। जिसमें निकाय में वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2021-22 में डीजल की खपत अचानक दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। जबकि निकाय में वाहन उतने ही है जितने वित्तीय वर्ष 2020-21 मे थे।
न्यायालय की शरण में पहुंचे
संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास भोपाल द्वारा पत्र क्रमांक 318 / 2019 दिनांक 24 जुलाई 2019 के द्वारा स्पष्ट किया था कि किसी भी लिपिक संवर्ग या उसके समकक्ष कर्मचारी से लेखीय कार्य न कराया जाये। इसके बावजूद भी श्री कुशवाहा निकाय में पदस्थ रहते हुए लेखीय कार्य संपादित कर रहे है। श्री कुशवाहा का स्थानांतरण 13 सितम्बर 2021 को हुआ था, तब तक अशोक पाण्डेय अध्यक्ष एवं पी.आई.सी. सदस्यों को यह जानकारी नहीं थी कि चन्द्रप्रताप कुशवाहा पी.आई.सी. / परिषद के कर्मचारी है। जब कही से श्री कुशवाहा के पक्ष में निर्णय नही हुआ तो श्री कुशवाहा स्थानांतरण आदेश के विरूद्ध उच्च न्यायालय की शरण में गये तथा उच्च न्यायालय के पारित निर्णय 13 सितम्बर 2021 के उपरांत शासन को अभ्यावेदन प्रस्तुत करने उपरांत शासन द्वारा 19 जनवरी 2022 को संबंधित का अभ्यावेदन अमान्य कर स्थानांतरण आदेश को यथावत रखा जाने के उपरांत अचानक पी.आई.सी. के सदस्यों को यह ज्ञात हुआ कि श्री कुशवाहा पी.आई.सी. / परिषद के कर्मचारी है को निकाय से भारमुक्त न किये जाने के लिए अपने प्रस्ताव क्रमांक 06 दिनांक 02 फरवरी में संबंधित के पक्ष में निर्णय पारित किया गया। जिसका उल्लेख अशोक पाण्डेय अध्यक्ष द्वारा अपने पत्र दिनांक 15 फरवरी में किया है।
अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग
श्री कुशवाहा के पुत्र श्री सुमित कुशवाहा भी पी.आई.सी. के सदस्य है तथा उच्च न्यायालय जबलपुर एवं म.प्र. शासन भोपाल द्वारा पारित निर्णय के उपरांत पी.आई.सी. के सदस्यों द्वारा श्री कुशवाहा के पक्ष में प्रस्ताव क्रमांक दिनांक 02 फरवरी में निर्णय पारित करना यह स्पष्ट करता है कि श्री कुशवाहा की राजनैतिक दखल निकाय में कितनी अधिक है तथा पी.आई.सी. के सदस्यों द्वारा शासन प्रशासन के विरूद्ध ऐसा निर्णय पारित करना उनके पद पर बने रहने को शंका के दायरे में लाता है तथा सदस्यों का पद पर बने रहना नगर हित में नहीं है तथा सदस्यों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किया जाना आवश्यक है। उपाध्यक्ष ने संभागायुक्त से मांग की है कि चन्द्रप्रताप कुशवाहा सहायक राजस्व निरीक्षक को नगर परिषद जयसिंहनगर से नगर परिषद कोटर जिला सतना के लिए कार्यमुक्त कराया जाये, साथ ही श्री कुशवाहा एवं पी.आई.सी. सदस्यों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की जाये।