मामा के राज में भांजे के सिर में लगे तीन टांके

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स्कूल का छज्जा गिरने से कक्षा-6वीं के छात्र का सिर फूटा
मामा के राज में भांजे के सर में लगा तीन टाका
वर्षो से पदस्थ है गैर जिम्मेदार जिला परियोजना समन्वयक हेमंत खैरवाल
कलेक्टर की नजरो में अदृश्य है जिले की शिक्षा व्यवस्था
विद्यालय में पढने वाले बच्चे और उनका परिवार उसके सुनहरे भविष्य की कल्पना को लेकर प्रतिदिन विद्यालय भेजता है, लेकिन कुछ घटनाएं जिम्मेदारों की लापरवाही को जगाकर कर ही देता है, बच्चे को भोजन न मिलना, पढाई न होना, शिक्षक का न आना यह बात आम हो चुका है, लेकिन जब विद्यालय का छत या छज्जा गिर जाये और बालक का सर फट जाना तभी संभव है जब जिले की अव्यवस्थाएं कलेक्टर की नजरो में भी अदृश्य हो तो ऐसी घटनाएं लाजमी है।
अनूपपुर। विकासखंड पुष्पराजगढ अंतर्गत संचालित शासकीय माध्यमिक विद्यालय फरहदा में 9 जनवरी 2023 को छत का छज्जा गिरने से कक्षा-6वीं में अध्ययनरत विद्यार्थी नुरूल खान के सर फट गया। वर्ष 2006-07 में निर्मित भवन जर्जर हालात में है, फिर भी बच्चों को प्रतिदिन वही पढाया जा रहा था, निश्चित ही प्राचार्य, बीईओ के साथ डीपीसी को इस जर्जर भवन की जानकारी होगी या दुरूस्त करने हेतु पत्राचार भी हुआ होगा, फिर भी इतनी बडी घटना घट जाना अचरज का विषय है। ऐसी घटना घटित हुई कि हर बालक का परिजन सहम जायेगा। भले ही जिला प्रशासन औपचारिकता कर अपने कर्तव्यों को पूर्ण कर ले, लेकिन बालक और उसके परिजन इस जख्म को नही भूल पायेंगे।
एक दिन बाद लगे सर में टांके
विद्यालय प्रबंधन ने लापरवाही की हदे तब पार कर दी जब बच्चे का सिर फट गया और खून निकलने के बाद उसे अस्पताल नही ले जाया गया। प्रबंधन ने मामा के भांजे को रोते हुए घर भेज दिया, परिजनों ने घर पर प्राथमिक उपचार किया, उसके बाद हालत खराब देखा तो उन्होने दूसरे दिन अस्पताल ले जाकर दिखाया तो चिकित्सक ने चोट गहरी होना बताकर तीन टांके नुरूल के सिर पर लगा दिया। आगे न जाने उसे किस उम्र तक मानसिक परेशानियों को झेलना पडेगा व डॉक्टरो के सलाह पर कब तक दवाईयां चलेगी यह किसी को नही पता, लेकिन बालक के चोट ने उसके परिजनो को परेशानियों की बेडियों में बांध दिया।
…तो कौन होगा दोषी
जिले में ऐसे कई शासकीय विद्यालय व आंगनबाडियां है जहां नन्हे-मुन्हें अपनी मुस्कान भरी जिंदगी जीते है, लेकिन विद्यालय से लेकर जिले में बैठे कुंभकरणों को बालकों की जिंदगी महज खिलौना ही लगता है। यह पहला मौका नही है जब जर्जन भवन का मामला सामने आया हो, लेकिन जिला प्रशासन महज औपचारिकता ही पूर्ण करती रही है। जबकि इस गंभीर घटना के जिम्मेदारों में सबसे पहले विद्यालय के प्राचार्य रावेन्द्र वनवासी, फिर विकासखंड शिक्षाधिकारी भोग सिंह मरावी उसके बाद वर्षो से अंदग की तरह हमे गैर जिम्मेदार अधिकारी जिला परियोजना समन्वयक हेंमत खैरवाल आते है, अब देखना यह है कि दोषी कौन होता है।
कहां है सुधार कार्य की राशि
विद्यालय संचालित करने में आने वाली खर्चो का भुगतान शासन हर वर्ष करती है, चाहे वह पुस्तक, लाईबं्रेजी, पेन, कुर्सी, जर्जर भवन की मरम्मत व पुताई सहित अन्य कार्यो हेतु बाकायदा राशि का वितरण किया जाता है, लेकिन जिले के दर्जनों विद्यालय इसी तरह से संचालित हो रहे है, जिला प्रशासन औपचारिकता पूर्ण कर ऐसे विद्यालय भवनों को आज भी संचालित करवा ही है, आज तक केवल पत्राचार में ही हिसाब हो रहा है, आने वाली राशि कहां खर्च हो रही है या फिर राशि ही नही दी जा रही है, इसका कोई लेखा-जोखा नही है।
दिखावें के है जनप्रतिनिधि
आदिवासी अंचल पुष्पराजगढ में शहडोल संभाग की सांसद हिमाद्री सिंह, क्षेत्रीय विद्यायक फुंदेलाल ङ्क्षसह मार्को, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रीति सिंह सहित दर्जनों ऐसे जनप्रतिनिधि है, जिनका महल सीसे की तरह चमक रहा है और उनका कारोबार करोडो में चल रहा है, लेकिन क्षेत्र के बच्चे नंगे पैर व भूंखे पेट पगडंडी रास्तो से गुजर कर खस्ताहाल विद्यालय में अपने भविष्य को सवारने जाते है, शायद उन अबोध बालकों को यह नही पता की मामा शिवराज ङ्क्षसह चौहान ने जिन लोगों को हमारी जिम्मेदारी दी है उन्हे भांजों की जिंदगी से कोई लेना-देना ही नही है।
इनका कहना है
जानकारी मिलते ही मैं विद्यालय गया था, जहां सरपंच व अन्य लोग मौजूद थे, भवन पुराना व जर्जन होने के कारण ऐसी घटना घटी है, जल्द ही व्यवस्था को ठीक कर लिया जायेगा।
भोग सिंह मरावी, बीईओ, पुष्पराजगढ
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मुझे इसकी जानकारी मिली है, कक्षाओं को अन्यत्र संचालित करा दिया गया है, मैने सभी दस्तावेज मंगवा लिये है, जांच कर उचित कार्यवाही की जावेगी।
विजय कुमार डेहरिया, प्रभारी सहायक आयुक्त
आदिवासी जनजातीय कार्य विभाग अनूपपुर