सडक़ सींचना भूल गए, डस्ट से लोगों का जीना मुहाल
बार बार जमीन खोद रहे, नलों की पाइप टूट रही
शहडोल। घरौला मुहल्ला वार्ड नंबर 18 के नागरिक इन दिनों जमीन की खुदाई और धूल गर्दे से बुरी तरह त्रस्त हैं।
रोजाना नलों की पाइपें टूट रहीं हैं, लोगों को पानी भी कम मिल पा रहा है। यहां एक ओर जहां सीवर लाइन बिछाने का
काम चल रहा है वहीं बगल में भारत गैस की पाइपों का काम भी चल रहा है। दोनो खुदाई एक साथ की जा रही है।
जमीन खोद कर भारी मात्रा में मिट्टी बाहर निकाली गई है। आते जाते वाहनों से धूल का गुबार उडक़र जहां राहगीरों
को गर्दे से नहला रहा है वहीं धूल डस्ट का गुबार घरों के अंदर भी घुस रहा है लोग खांसी से परेशान हैं। रेनाउन पब्लिक
स्कूल से लेकर स्वास्तिक गोल्ड सिटी तक पानी की सिंचाई भी नहीं कराई गई है। जबकि पानी का टैंकर दिनभर वहां
से गुजरता है। अर्बन डेवलपमेंट कारपोरेशन का काम करने वाला स्टाफ जनस्वास्थ्य और सुविधा का कोई ध्यान नहीं
रख रहा है।
तीन बार खोद चुके जमीन
नागरिकों ने बताया कि स्वास्तिक गोल्ड सिटी से लेकर रेनाउन पब्लिक स्कूल तक के छोटे से दायरे में ही तीन बार
जमीन की गहरी खुदाई की जा चुकी है। पहले सीवर लाइन के लिए जेसीबी से खुदाई की गई। मशीन आगे बढ़ी कि
पीछे पीछे गैस पाइप वाले लेबर आकर उसके बगल में बची जमीन को नाली के किनारे तक खोदने लगे। इस कंपनी के
भी 20 से भी अधिक लेबर लगे हुए थे। जो गैंती, फावड़े से गहरी खुदाई कर रहे थे। यह काम दिन भर हुआ, फिर उस पर
मिट्टी डाल कर भाठ दिया गया। दूसरे दिन फिर यहीं काम लगाकर खुदाई की जाने लगी। नाली की हालत तो पूरी
तरह से जर्जर हो चुकी है। नागरिकों का कहना है कि जमीन की खुदाई का कोई व्यवस्थित ढंग से काम नहीं हो रहा है
इसलिए परेशानी बढ़ रही है।
डस्ट से परेशानी
सीवर लाइन के कर्मचारियों ने कमिश्नर बंगले से लेकर शिव मंदिर तिराहे तक पानी का छिडक़ाव किया लेकिन आगे
जहां पहले काम हुआ वहां अभी तक सडक़ की सिंचाई नहीं कराई। इस कारण स्वास्तिक गोल्ड कालोनी, महाराजा
पैलेस से लेकर रेनाउन पब्लिक स्कूल तक भारी डस्ट है। लोग खांसी से हलाकान हैं। हालत यह है कि सुबह कोई धूप
लेने बाहर नहीं बैठ पाता है। इस बात की जानकारी वर्करों को बार बार दी जाती है लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं
होता है। बताया गया कि अगर यहां भी पानी का छिडक़ाव करा दिया जाए तो समस्या कम हो जाएगी।
नल टूट रहे, नागरिक त्रस्त
जमीन की खुदाई से नलों की पाइप लाइनें टूट रही हैं। कभी सीवर लाइन की जेसीबी से टूटती हैं तो कभी गैस वाले
लेबर गैंती मार कर नल तोड़ रहे हैं। यहां कोई जिम्मेदार अधिकारी कार्यस्थल पर रहता नहीं है, लेबरों के भरोसे काम
छोड़ दिया जाता है। जो जगह जगह अपनी सुविधा और समय के हिसाब से काम करते हैं वे नागरिक सुविधाओं के
प्रति जरा भी जिम्मेदार नहीं हैं। जब नागरिक शाम को अपने दफ्तर या दूकान से लौटकर घर आता है तो पता चलता
है कि नल की पाइप तोड़ दी गई है। सुबह हाल यह रहता है कि नल का सारा पानी सडक़ और नाली में बह जाता है घर
में पानी नहीं मिलता है।
नल जुड़ते हैं फिर टूट जाते हैं
कहीं कहीं जहां पर जागरुक नागरिक मौजूद रहते हैं और वे कंपनी के बड़े अधिकारियों को अपनी परेशानी बता देते हैं
वहां नल सुधारे भी जाते हैं लेकिन बार बार एक जगह खुदाई करने और वाहनों की आवाजाही से नल बार बार टूट रहे
हैं। नल बनाए जाने के बाद वहां आसपास सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं रहती इसलिए वाहन वाले ऊपर से वाहन
चढ़ा देते हैं और नाजुक पाइप लाइने टूट जातीं हैं। इस स्थान के कई नागरिक परेशान देखे जा रहे हैं।