बजट अपनों को बांट रहे, हितग्राहियों से रिश्वत ले रहे

जांच के निर्देश में दम नहीं, जांच के बावजूद कार्रवाई नहीं
ग्रामीण क्षेत्रों के फिसड्डीपन तथा अंतिम छोर पर खड़े अधिकांश ग्रामीणों की फिकर में दुबली हो रही केन्द्र व
राज्य सरकारें इनको पटरी पर लाने के लिए दोनो हाथों धन उड़ेल रहीं हैं। लेकिन उस धन को मैदानी अमला गले तक
लील कर अपनी गर्दन मोटी कर रहा है। जबकि ग्रामीण विकास आज भी भूखा ही बैठा है।
शहडोल। जिले के जयसिंहनगर जनपद की ग्राम पंचायतों का अवलोकन करने से विकास का स्वरूप और उसमें हुए
सरकारी धन की लूट खसोट का दुखद दृश्य दिखाई पड़ता है। कोई भी ऐसी योजना नहीं जिसे सुचारु रूप से संचालित
किया जा रहा हो। कोई भी ऐसी योजना नहीं जो शासन की मंशा के अनुरूप हितग्राहियों को लाभ पहुंचा रही हो। जबकि
धन का आहरण निरंतर हो रहा है। तो फिर यह धन कहां जा रहा है? ग्रामीणों का आरोप है कि सचिव व रोजगार
सहायक जैसे निचले कर्मचारी भी इसमें जमकर पंजा मार रहे हैं और ऊपर से ग्रामीणों से खुलेआम फोन पे से रिश्वत
भी ले रहे हैं। ऐसे भ्रष्ट लोगों के खिलाफ जनपद सहित जिले में बैठे अधिकारी शिकायतों के बावजूद कार्यवाही नहीं
करते हंै, शिकायत के बाद जांच दल गठित होता है, उसके बाद जांच दल प्रतिवेदन वरिष्ठ कार्यालय को भेजता है।
लेकिन उसके बाद मामले का क्या होता है, संभवत: किसी को पता ही नहीं चल पाता है।ं
जांच भी बना एक खेल
एक तो घोटालों की जांच नहीं होती और अगर दबाव बढऩे पर जांच करनी पड़ी तो सक्षम अधिकारी भारी मन से लोगों
को खुश करने के लिये या कि अपनी खाल बचाने के नाम पर जांच दल गठित कर देता है और जंाच की प्रक्रिया पूर्ण
होने के बाद जांच की रिपोर्ट प्राप्त कर चुप्पी साध लेता है। माना जाता है कि वह आगे कार्रवाइ नहीं करने के नाम पर
नाजायज धन प्राप्त करता है मतलब कि उस जांच रिपोर्ट का सौदा कर उसे कैश करा लेता है। कई ऐसी जांच रिपोर्ट हैं
जिनका आज तक खुलासा नहीं हुआ।
हितग्राहियों से ली रिश्वत
बीते वर्षों में जयसिंहनगर जनपद की ग्राम पंचायत तेन्दुआढ़ में भ्रष्टाचार का खुला खेल-खेला गया। नियम विरूद्ध
पंचायत द्वारा भुगतान और मजदूरी भी दे दी गई। लेकिन पीसीओ, उपयंत्री सहित अन्य जिम्मेदारों को इसकी भनक
नहीं लगी, यह समझ से परे है। ऐसे में पंचायतों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी हैं। ग्राम पंचायत तेंदुआढ़
में पदस्थ रोजगार सहायक तथा प्रभारी सचिव देवेन्द्र कुमार पटेल द्वारा ग्राम पंचायत में हितग्राहियों से पैसे लेकर
योजना का लाभ दिया गया एवं मजदूरी अपने सगे संबंधियों के खाते में डाली गई है। शैल्वी हॉस्पिटल जबलपुर में
कार्यरत भाई धीरेन्द्र कुमार पटेल, अतिथि शिक्षक शासकीय हाई स्कूल कल्हारी सुरेन्द्र कुमार पटेल एवं मां
कुशुमकली, विनायक प्रसाद पटेल, पत्नी के भाई सुनील कुमार पटेल, अनिल पटेल तथा बहन प्रीती पटेल को मनरेगा
के तहत राशि इनके खातों में डाली गई है। इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास के नाम पर हितग्राहियों से 10 हजार की
रिश्वत ली गई है। सरकारी योजनाओं का सौदा किया जा रहा है।
पंचायत खाते का दुरूपयोग
ग्राम पंचायत तेंदुआढ़ के रोजगार सहायक शासन की योजनाओं के लिए ग्रहण बने रहे हैं। लेकिन जनपद से लेकर
जिले में बैठे कर्णधारों ने कभी भी भ्रष्टाचार की जांच करने की जरूरत नहीं समझा। मजे की बात तो यह है कि पीसीओ
सहित उपयंत्रियों ने भी भ्रष्टाचार से मुंह मोड़ रखा था। जिन हितग्राहियों को पशु शेड की आवश्यकता थी, उन्हें लाभ
नहीं मिला। पंचायत के खाते का खुलकर प्रभारी सचिव द्वारा दुरूपयोग किया गया है। पंचायत भवन में बिजली
फिटिंग के नाम पर 2400 रूपये निकाले गये। लेकिन पंचायत भवन में फिटिंग ही नहीं हुई है। कथित रोजगार
सहायक द्वारा मासिक बैठक का आयोजन नहीं किया जाता।
पशु नहीं, मिला पशु शेड
अर्डन डेम चेक के माध्यम से हितग्राहियों की राशि भी अपने सगे संबंधियों के खाते में डाली गई है। हितग्राही का
रिकार्ड लेकर अर्डन डेम पास कराकर पूरी राशि का आहरण किया गया है। जिसमें राम किंकर पटेल पिता बाबू पटेल
जिनका अर्डन डेम चेक की 2 लाख 65 हजार 760 रूपये स्वीकृत हुआ था, लेकिन हितग्राही के खाते में राशि न डालकर
पूरी राशि आहरित कर ली गई।लघु तालाब एवं भूमिशिल्पी उन लोगों का पास कराया गया, जो कि हितग्राहियों को
स्वयं जानकारी नहीं और न ही उससे कोई दस्तावेज लिया गया और न ही कोई प्रस्ताव पारित किया है और फर्जी
तरीके से दस्तावेज लगाकर सगे संबंधियो के खाते में राशि डालकर आहरण किया गया है एवं हितग्राहियों के खते में
जेसीबी के माध्यम से जबरदस्ती मिट्टी डाला गया। इसके अलावा पशु शेड जिनके घर पर गाय, बैल के नाम पर पशु
नाम मात्र के हैं, परन्तु बिना ग्राम सभा में प्रस्ताव किये अपनी माता कुशुमकली के नाम पर पशु शेड पास कराकर
राशि का आहरण किया गया एवं जिनके भी पशु शेड पास हुए हैं, उनके पास पशु ही नहीं है।
जांच के आदेश पर सख्ती नहीं
बीते दिनों तेन्दुआढ़ ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने कलेक्टर को शिकायत सौंपी थी। जिसके बाद कलेक्टर ने जांच के
आदेश दिये थे, लेकिन आदेश पर सख्ती न बरतने के चलते सरपंच-पंच सहित ग्रामीणों ने कलेक्टर से स्वयं जांच
करने की मांग की है। शिकायत में उल्लेख किया गया कि आपके द्वारा जांच के आदेश पर 5 जनवरी को
जयसिंहनगर से जांच टीम आई थी, जांच के दौरान गवाह और सबूत सचिव देवेन्द्र पटेल के खिलाफ थे, लेकिन अभी
तक जनपद से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, यदि जयसिंहनगर जनपद को उस पर कार्यवाही पर कागज की खानापूर्ति
नहीं हो पाई है।
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