न प्रशिक्षण न सुरक्षा उपकरण, नौकरी के नाम पर मिल रही मौत

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रेलवे टै्रक पर गिरने से हुई सुरक्षा कर्मी की मौत

-बेरोजगारी और बेबसी ने इंसानी जिंदगी को कीड़े  मकोड़ों जैसा बना कर रख दिया है। जिंदगी पर अब रोटी देने वालों का अख्तियार हो चुका है वे चाहे जैसा काम लें। हम अपने लिए उनसे सुरक्षा की चर्चा तक नहीं कर सकते। रोटी देने वाले लोग, युवाओं की जिंदगी को मौत के रास्ते पर झोंक कर मुनाफा कमाते हैं और युवक, पेट की भूख लेकर कभी अचानक काल के गाल में समा जाता है। एक ऐसा ही वाकया हुआ अनूपपुर जिले की सीमा पर स्थित ओरियंट पेपर मिल और उससे सटे हुकुमचंद जूट प्राइवेट लिमिटेड सोडा कास्टिक यूनिट के रेलवे ट्रैक पर जिसमें एक अप्रशिक्षित और सुविधाओं से रहित युवा सुरक्षाकर्मी असमय ही दर्दनाक मौत का शिकार हुआ। उसकी मौत रेलगाड़ी से कटने के कारण हुई।

शहडोल। फैक्टियों के दमनकारी प्रबंधतंत्र और उसकी सेवा में लगी निजी सुरक्षा कंपनियों के छत्रप शायद मानव मूल्यों से अनभिज्ञ हैं। उन्हे इंसानी जानों की न तो कीमत पता है और न ही वे इसका जिम्मा उठाना चाहते हैं। तभी निजी सुरक्षा कम्पनियों के सिक्यूरिटी चीफ बिना प्रशिक्षण व सुरक्षा उपकरण दिए युवाओं को सुरक्षा सेवा में भर्ती कर उन्हे जोखिम के कार्यों में ढकेेल दिया जाता है। इसी का शिकार हुआ दीपक गर्ग। शहडोल- अनूपपुर जिले की सीमा पर स्थित ओरियंट पेपर मिल और उससे सटे हुकुमचंद जूट प्राइवेट लिमिटेड सोडा कास्टिक यूनिट के रेलवे ट्रैक पर आज सुबह दीपक गर्ग नाम के एक युवा की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। इसके बाद उसके परिजन वहां पहुंचे। जिन्हेाने मुआवजे और नौकरी की मांग की। प्रबंधन द्वारा उन्हे संतुष्ट किए जाने की बजाय गोलमोल जवाब दिए जाने से परिजन भडक़ उठे और उन्होने तोड़ फोड़ कर दी। स्थिति बिगड़ती देख पुलिस की भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई। फैक्टी के आसपास छावनी सा नजारा दिखाई पडऩे लगा।

15 दिन में ही गंवा बैठा जिंदगी

इस पूरे मामले के संदर्भ में स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते 15 दिन पहले ही अनूपपुर जिले के कोलमी पयारी में रहने वाले उक्त युवक की एम एस एफ नामक प्राइवेट कंपनी में भर्ती हुई थी और अभी उसे यहां काम करते हुए एक पखवाड़ा भी नहीं बीता था कि असमय ही उसकी मौत हो गई। सुरक्षाकर्मी के साथ काम कर रहे  अन्य लोगों की माने तो देर रात ओरियंट पेपर मिल की प्राइवेट रेल इंजन के माध्यम से नमक से लदे डिब्बे सोडा कास्टिक यूनिट के अंदर किया जा रहा था, उस दौरान सुरक्षा में लगा युवक अज्ञात कारणों से रेल की पटरी पर गिर पड़ा और इसी दौरान युवक की ट्रेन से कटकर मौत हो गई।

अकेले कर रहा था काम

अन्य साथी कर्मियों ने बताया कि अमलाई रेलवे स्टेशन से सोडा कास्टिक यूनिट तक के रेलवे ट्रैक पर ट्रेन आते जाते समय प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मियों को वह भी कम से कम 4 संख्या में लगाना चाहिए। लेकिन एम एफ एस नामक उक्त प्राइवेट कंपनी इस पूरे मामले में लापरवाही बरतते हुए सिर्फ एक कर्मी को ही यहां पर तैनात किया था। यह भी बताया गया कि रात्रि के समय उसके पास न तो प्रकाश कि यहां कोई व्यवस्था थी और ना ही मृतक के हाथ में कोई टॉर्च अथवा रोशनी के उपकरण थे। ओरियंट पेपर मिल प्रबंधन वर्ग के वाइस प्रेसिडेंट व एच आर सिक्योरिटी विभाग की देखरेख में निगरानी करने वाले कर्नल एवं सिक्योरिटी चीफ मंजीत खुल्लर वर्तमान में पदस्थापना हुई है।

बिना सुरक्षा हुई भर्ती

श्री खुल्लर द्वारा आसपास के ग्रामीण अंचलों के अनट्रेंड सुरक्षाकर्मी के रूप में युवाओं की भर्ती कर रुपए बचाने के फेर में बेपरवाह तरीके से कार्य पर विगत 15 दिवस पूर्व एम एफ एस सिक्योरिटी सर्विस के नाम पर दोनों उद्योगों में तैनात किए गए। बिना किसी ट्रेनिंग स्कूल एवं कई नियम व तयशर्तों को अपनी मर्जी से लागू किया गया है। पूर्व में तैनात एसआईएस सिक्योरिटी सर्विस को हटाकर नए बिना किसी ट्रेनिंग व किसी भी सुविधा का लाभ दिए बिना नए नवेले बेरोजगारों को गार्ड बनाकर काम में उतारा गया। गार्ड जिन्हें किसी भी प्रकार से यहां की संसाधनों की जानकारी पूर्ण रूप से नहीं है। जिसका परिणाम ओरियंट पेपर मिल कागज कारखाना के नए रेल इंजन के माध्यम से बाहर से आने वाली नमक रैक के डिब्बों को आधी रात के समय अंदर किया जा रहा था। जिस पर निवासी दीपक गर्ग अपनी पूरी ड्यूटी करने के बाद ओवर टाइम पर रेल के इंजन में कार्य दिया गया। उस अनट्रेंड सुरक्षाकर्मी की घटनास्थल पर ट्रेन से गिरने की वजह से मौत हो गई। जिस पर ओपियम प्रबंधन एवं सोडा कास्टिक यूनिट के सुरक्षा अधिकारी और कास्टिक सोडा यूनिट हेड अविनाश वर्मा रेलवे ट्रैक पर पड़ी सुरक्षाकर्मी की लाश को छोडक़र थाना चचाई अमलाई में जाकर पूरे मामले को दबाने का प्रयास करने के साथ पुलिस मैनेजमेंट में लगे रहे।

परिजनों का फूटा आक्रोश

घटना के बाद क्षुब्ध परिजनों ने न्याय की फरियाद लेकर प्रबंधतं़त्र के पास गए थे। लेकिन एक तो वहंा कोई बड़ा जिम्मेदार अधिकारी नहीं दिखा और जो अधिकारी थे वे भी उचित जवाब नहीं दे रहे थे। इससे परिजनों का गुस्सा फट पड़ा और वे बलप्रयोग पर उतर आए। उन्होने न केवल मारपीट की बल्कि फैक्टी में तोड़-फोड़ भी की। स्थिति बिगड़ते देख सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। आसपास थानों से पुलिस बल मंगा कर फैक्टी के हितों की रक्षा की गई। यह जिले की कोई पहली घटना नहीं है, ठेका सिस्टम में काम कर रहे कई युवक मौत के घाट उतर चुके हैं।

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