लाखों में बिकी झुग्गी की जमीन, पट्टे का हो गया सौदा

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नजूल की भूमि पर खड़ी होगी पक्की इमारत, अमला सो रहा
इंट्रो-भू माफियाओं पर शिकंजा कसने कई वर्षों से सरकारें प्रयासरत हैं लेकिन तस्वीर बदलने का नाम नहीं ले रही है। हालात ज्यों के त्यों बने हुए हैं। इसका कारण यह कि स्थानीय प्रशासन माफियाओं का सरपरस्त बनकर उन्हे जिन्दा किए रखता है।
शहडोल। प्रशासन की ढिलाई से माफियाओं का खेल दूर दराज क्षेत्रों में ही नहीं संभाग मुख्यालय में भी सरेआम दिखाई पड़ता है। माफिया के लोग नए नए तरीके ईजाद कर सरकारी जमीने हथिया लेते हैं। शहडोल नगर के वार्ड नंबर 09/12 में एक दबंग परिवार नजूल की भूमि का अतिक्रमण कर निर्माण कार्य करा रहा है। पहले यहां पर किसी व्यक्ति को झुग्गी झोपड़ी का पट्टा दिया गया था अब वहीं पर पक्की इमारत तानी जा रही है। हैरानी की बात यह है कि इस जमीन की विक्री भी हो गई और मकान भी बनने लगा लेकिन प्रशासन को भनक तक नहीं लगी।
झुग्गी की जमीन कैसे बिकी
नियमत: झुग्गी झोपड़ी के नाम पर जिस भूमि का पट्टा दिया जाता है वह बेची नहीं जा सकती। उसका स्वरूप नहीं बदला जा सकता, उसका पट्टा भी केवल तभी तक मान्य रहता है जब वहां झुग्गी झोपड़ी का स्वरूप मौजूद रहता है। इस भूमि को पहले किसी के नाम पर पट्टा प्राप्त हुआ था कुछ वर्षों बाद यहां पर किसी सैफ नाम के आदमी ने 30-32 लाख खर्च कर चुपचाप पहले भूमि हथिया ली और फिर उसका स्वरूप बदलते हुए वहां निर्माण कार्य कराने का प्रयास करने लगा। आसपास के लोगों को भनक लगने पर मामला उछाल दिया गया। अभी सारा मामला प्रशासन के साथ अंदर ही पक रहा है जब लेनदेन सेट हो जाएगा तो खुलकर निर्माण शुरू हो जाएगा।
बिना अनुमति बन रहीं इमारतें
नगर पालिका के अनुसार शासन ने मकान की स्वीकृति लेने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की है। इस प्रक्रिया के शुरू होने के बाद से नगर पालिका द्वारा अनुमति नहीं दी जाती है। इसलिए संबंधित को ऑनलाइन ही फाइल अपलोड कर स्वीकृति लेना पड़ती है। शहर में बिना अनुमति इमारतें शासन के नियम निर्देशों को ताक में रखकर बनाई जा रही हैं। नगर पालिका बिना अनुमति निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। इससे बिना अनुमति निर्माण को लगातार बढ़ावा मिल रहा है। ज्यादातर व्यावसायिक और आवासीय भवन ऐसे बन रहे हैं। शंकर टाकीज रोड, जैन वीडियो के सामने सैफ द्वारा बगैर अनुमति के भवन निर्माण को लेकर नगर पालिका के अमले ने काम तो रूकवाया, लेकिन राजस्व विभाग के तहसीलदार एवं आरआई द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
एहतियाती उपाय नहीं
चिंता की बात यह है कि नगरपालिका से अनुमति लिए बिना जो इमारतें बनाई जा रही हैं उनमें एहतियात के उपाय जो कि अत्यंत आवश्यक है की उपेक्षा कर दी जाती है। वाटर हार्वेस्टिंग नहीं कराई जाती है, विकास के इस दौर में जेा उपाय जरूरी हैं उनकी अनदेखी कर दी जाती है। जिसके कारण बाद में विपत्तियों का भी सामना करना पड़ता है। कई ऐसे भवन देखने को मिलेंगे, जिनके पास अनुमति नहीं है, स्थिति यह है कि इन बहुमंजिला इमारतों में सुरक्षा के उपाय भी नहीं हैं।
नपा कर्मी भी मेहरबान
बिना अनुमति बन रहे भवनों पर नगर पलिका भी कोई कार्रवाई नहीं करती। इसमें भी नगरपालिका कर्मियों की भूमिका रहती है। इस कारण भी अधिकांश लोग निर्माण अनुमति के लिए आवेदन देने ही नहीं आते। यदि कुछ को नगर पालिका और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की अनुमति मिली भी है तो, भवन मालिक नियम कानून को ताक में रखकर अपनी मनमर्जी से निर्माण शुरू कराते हैं। इस पर भी नकेल कसनी जरूरी है। कठिनाई यह है कि नगरपालिका के मोहर्रिर स्वयं ही लोगों को छूट देकर अपनी डौल बैठाते रहते हैं।
इनका कहना है
मामला आपके माध्यम से संज्ञान में आया है, मैं तत्काल ही हो रहे निर्माण को जाकर देखता हूं।
राजेश वर्मा
आरआई, नजूल
सोहागपुर

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