उन मंडल अध्यक्षों को भी बदला जाएगा जो निष्क्रिय हैं या गंभीर रूप से बीमार हैं। लोकसभा चुनाव नजदीक होने के कारण पार्टी ने यह काम तत्काल करने का फैसला किया है। पार्टी की सांगठनिक गतिविधियों में मंडल अध्यक्षों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मंडल अध्यक्ष को बदलने में जनप्रतिनिधियों से भी सलाह मशविरा करने के लिए कहा गया है, लेकिन यह भी ताकीद किया गया है कि इसमें सिर्फ उनकी मर्जी नहीं चलेगी।
भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक से पहले यह बदलाव करने का निर्देश दिया गया है। माह के अंत तक मण्डल अध्यक्षों में बदलाव की सुगबुहाट तेज हो गई है, हालाकि पार्टी के अंदर खाने में चर्चा यह है कि जिलाध्यक्ष के बदलाव से पूर्व मण्डल अध्यक्ष का बदलाव होगा, साथ ही वर्षाे से इस पद की लालसा में बैठे लोगों को पद देकर आने वाले चुनाव के लिए सक्रिय किया जायेगा। वैसे भी वर्तमान मण्डल अध्यक्षों का कार्यकाल पूरा हो चुका है और दूसरे कार्यकर्ता मण्डल अध्यक्ष बनने के लिए संगठन में अपनी पैठ बना रहे हैं।