विकास की जगह भ्रष्टाचार का रेला बहा रहे सरपंच व सचिव

कमिश्नर से की ग्रामीणों ने शिकायत, हटानेे की हुई मांग
शहडोल। ग्रामपंचायतों मेें व्याप्त भ्रष्टाचार ग्रामीणों और पंचों के सिर के ऊपर से गुजरने लगा है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में एक आक्रोश और बगावत सी पनपने लगी है। इसकी अभिव्यक्ति ग्रामीणों द्वारा अफसरों के सामने किए गए गड़बड़झालों के खुलासे से होती है। जिले की कई पंचायतों के लोगों ने जिला प्रशासन के समक्ष आकर सरपंच व सचिव की शिकायत की है और उनकी कारस्तानियों की गहन जांच कराने की मांग की है। हालत यह है कि अधिकाशं सचिवों के पास अतिरिक्त प्रभार है और वे लगातार कई वर्षों से एक ही जगह पदस्थ हैं। पूरे पंचायत में इन्ही का राज चलता है। शासकीय प्रावधानों की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं, इसके बावजूद संबंधित अधिकारी इनके विरुद्ध कार्रवाई करने को राजी नहीं होते हैं। पड़मनियां ग्रामपंचायत के ग्रामीणों ने गत दिवस कमिश्नर शहडोल से शिकायत कर सरपंच व सचिव की कलई उतारी और उसे हटाने की मांग की।
सरकारी बजट का दुुरुपयोग
ग्रामीणों ने ध्यान आकृष्ट कराया कि सचिव व सरपंच द्वारा बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया प्रस्ताव के मनमानी ढंग से निर्माण कार्य करा रहे हैं। वे विकास का वास्ता देकर अपने मन का काम करते हैं। जबकि नियमत: पंचायत में पंचों की बैठक बुलाकर प्रस्ताव मंगाया जाना चाहिए, उसमें बहस के बाद प्रस्ताव तैयार कराने और उसका अनुमोदन कराने के बाद काम शुरू कराया जाना चाहिए। लेकिन पंचों और ग्रामीणों को जानकारी भी नहीं रहती और निर्माण कार्य शुरू हो जाता है। जहां कार्य होना जरूरी रहता है वहां काम नहीं होता है और चहेतो को उपकृत करने के लिए सरकारी बजट से काम कराया जाता है। इससे सरकारी धन का दुरुपयोग होता है।
बिलों का हो रहा मनमाना आहरण
पड़मनिया सचिव द्वारा ठेकेदारों और वेण्डर संस्थाओं से साठगांठ कर अपने खाते में पैसा आहरित करवाया जाता है। दरअसल निर्माण कार्यों के ठेकेदार और वेण्डर सभी सचिव के चहेेते होते हैं। कई बार इनकी ओट में सचिव खुद ठेकेदारी करता है और फर्जी तौर पर वेण्डर संस्थाएं संचालित करता है। किसी नाम से वेण्डर संस्था का बिल और ठेकेदार का भुगतान सचिव खुद प्राप्त करता है। जबकि यह प्रावधानों के विरुद्ध है। लेकिन इस प्रक्रिया को जनपद स्तर के अधिकारी जांचने परखने की जरूरत नहीं समझते हैं। सबके आर्थिक समीकरण सचिव के साथ बने हुए हैं। सचिव चौतरफा लाभ कमा रहा है और पड़़मनिया का विकास कार्य अवरुद्ध है।
मजदूरी भुगतान में हीलाहवाली
सचिव द्वारा मजदूरी भुगतान में भी जमकर गड़बड़ी की जा रही है। मनरेगा के म जदूरों को मजदूरी भुगतान नहीं की जाती है। एक निर्माण कार्य में कई मजदूरों ने कार्य किया था, लेकिन 10 माह बीत जाने के बाद भी अभी तक भुगतान नहीं किया गया। जिससे मजदूरों को आर्थिक संकटों से गुजरना पड़ रहा है। इसके अलावा भी अमृत सरोवर, अमृत सरोवर ग्राम कुईं, पुस्कर धरोहर तालाब कुईं, हेण्डपंप रिसाव गड्ढा सेमसिंह के घर के पास, जेठू बसोर के घर के पास, कन्या छात्रावास के पीछे, गिरधारी सिंह के घर के पास, अनुरूप सिंह के घर के पास, दशमत बाई के घर के पास आदि, कूप निर्माण लखन सिंह के घर के पास, कचरा घर कमल सिंह के घर के पास, हायरसेकण्ड्री स्कूल बाउण्ड्रीवाल आदि सभी कार्य अधूरे पड़े हैं और सबकी मजदूरी अधर मे लटकी हुई है। ज्ञात हुआ कि निर्माण राशियां निकाली जाती रहीं हैं। शिकायतकर्ताओं ने मजदूरी दिलवाने के साथ ही सचिव को हटाने की मांग की है। शिकायतकर्ताओ में उपसरपंच लमिया बाई, सीताराम सिंह, प्रदीप सिंह, गोमती सिंह, अमृत सिंह, कृपाल सिंह, कामता सिंह, संतोष सिंह, चंद्र बती, श्रीबाई, राजन सिंह, रामलली, हनुमत सिंह, जवाहर सिंह, संतराम सिंह, सेमबाई, लखनसिंह, खेलङ्क्षसह, सियाबाई, मुकेश सिंह आदि साहित काफी संख्या में ग्रामीण शामिल थे।