रहवासी इलाके में संचालित हो रहा गैस गोदाम
मुखिया के निर्देशों को नहीं मानते रसूखदार
शहडोल। ज्वलनशील व विस्फोटक पदार्थ मानव जीवन को खतरे में डालकर उसे पल भर में फूंक भी सकते हैं। इसलिए इनसे हमेशा दूरी बनाकर रखना जरूरी बताया गया है। शासन ने भी बतौर एहतियात तरह तरह के कठोर प्रावधान किए हैं। इसके बावजूद प्रशासनिक अमले की लापरवाही व गैरजिम्मेदाराना कार्यशैली के कारण समाज मानो ज्वालामुखी के दहाने पर बैठा रहता है और दर्दनाक हादसे लोगों की जान से खेलते रहते हैं। हरदा की पटाखा फैक्ट्री हो या जबलपुर का शस्त्रागार, आगजनी होते ही बस्तियों के सामने जीवन का संकट खड़ा होता ही है। शहडोल नगर में भी रसोई गैस के गोदाम बस्तियों के अंदर संचालित हैं जिन्हे सुरक्षा की दृष्टि से बस्तियों से दूर रखा जाना चाहिए। लेकिन कलेक्टर के आदेश के बावजूद उस पर कोई अमल नहीं होता है। नर्मदा गैस एजेंसी व बलपुरवा स्थित एक गैस गोदाम वर्षों से संचालित हैं, इन पर कार्रवाई के निर्देश हुए थे। लेकिन फिर अभी तक हुआ कुछ नहीं ।
समय समाप्त, अभी भी स्थापित है गोदाम
मामले के संबन्ध में बताया गया है कि 18 सितम्बर 2015 को डीलर दिगम्बर सिंह और जागृति सिंह नर्मदा गैस एजेन्सी के विरूद्ध आरएन जाटव कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी द्वारा जांच कर प्रतिवेदन दिया गया कि उक्त गैस एजेन्सी का गोदाम पांडवनगर में स्थित है, जो आवासीय क्षेत्रान्तर्गत आता है तथा गैस गोदाम के चारों दिशाओं में आवास स्थित है। गैस गोदाम अन्यत्र स्थापित करने के लिए 6 माह का समय लिया गया था। परन्तु 4 जनवरी 2020 को 2 कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों के दल द्वारा जांच करने पर अनावेदक द्वारा लिए गए समय समाप्त होने के बाद गोदाम अन्यत्र स्थापित नही करने पर गैस गोदाम घनी आबादी क्षेत्र में होने से भविश्य में जन-धन की हानि होने के मद्देनजर उक्त कार्रवाई की गई थी।
अन्यत्र स्थापित करने की मांग
नर्मदा गैस एजेंसी पाण्डवनगर बस्ती के बीच स्थित है, जो कि मानव जीवन के लिए खतरनाक है। जनवरी 2020 में तत्कालीन कलेक्टर ललित दाहिमा ने एक आदेश में कहा था कि प्रबंधक नर्मदा गैस एजेन्सी तत्काल गैस गोदाम अन्यत्र स्थापित करने की कार्यवाही करे। साथ ही गैस गोदाम अन्यत्र स्थापित न करने पर गैस एजेन्सी की डीलरशिप हिन्दुस्थान पेट्रोलियम ऑयल कम्पनी द्वारा विधिवत समाप्त करने की कार्यवाही के लिए लिखा गया था। गौरतलब है कि 18 सितम्बर 2015 को अनावेदक दिगम्बर सिंह, जागृति सिंह नर्मदा गैस एजेंसी शहडोल के विरूद्घ आरएन जाटव कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी शहडोल द्वारा जांच की गई थी। उक्त गैस एजेन्सी का गोदाम पांडवनगर में आवासीय क्षेत्रान्तर्गत आता है तथा गैस गोदाम के चारो दिशाओं में आवास स्थित है।
यहां हो रहा संचालन
ग्राम बलपुरवा की आराजी खसरा नंबर 200/16 रकवा 0.243 है के भूमि स्वामी राकेश कुमार महेन्द्रा पिता केपी महेन्द्रा निवासी शहडोल के नाम दर्ज है। यहां सुदर्शन एचपी गैस गोदाम संचालित करना पाया गया। जिसकी तहसीलदार ने जांच कर निर्देश दिए थे। घनी आबादी के बीच गैस गोदाम मामले में शिकायत के बाद कलेक्टर ने एसडीएम सोहागपुर से मामले में जांच प्रतिवेदन मांगा था। एसडीएम ने 12 अप्रैल 2019 को कलेक्टर को दिए जांच प्रतिवेदन में तहसीलदार से मौका मुआयना कराने के बाद प्रतिवेदन दिया। एसडीएम द्वारा दिए गए 6 बिन्दुओं के जांच प्रतिवेदन में कहा है कि ग्राम बलपुरवा की आराजी खसरा नंबर 200/16 रकवा 0.243 है के भूमि स्वामी राकेश कुमार महेन्द्रा पिता केपी महेन्द्रा निवासी शहडोल के नाम दर्ज है। यह आराजी बाउंड्रीवाल से घिरी है जिसके अन्दर गैस गोदाम निर्मित है। गैस गोदाम से एनएच-78 की दूरी 40 मीटर है। गैस गोदाम से सरकार पेट्रोल पंप से दूरी 120 मीटर है। गैस गोदाम से नेहरू स्कूल की दूरी 15 मीटर है। गैस गोदाम से लगभग 15 मीटर की दूरी पर चारों और आबादी है जहां पक्के मकान बने हुए हैं। एसडीएम ने कहा है कि तहसीलदार द्वारा दिए गए जांच प्रतिवेदन में पाया गया है कि सुदर्शन एचपी गैस एजेंसी घनी आबादी में स्थित है। जिसमें कभी भी दुर्घटना घटित होकर जनधन हानि हो सकती है इसलिए उक्त एजेंसी का लाइसेंस निरस्त किए जाने हेतु प्रतिवेदन प्रस्तुत है।
नहीं हुई कार्यवाही
गैस गोदामों की जांच पड़ताल तो हुई और कलेक्टर तक रिपोर्टें भी प्रस्तुत की गईं लेकिन निर्देश के बाद आगे फिर कोई कार्रवाई नहीं हुई। परेशानी यही है कि जांच निर्देशों के बाद फिर आगे कार्रवाई ठण्डे बस्ते में डाल दी जाती है। यह अफसरों की गैरजिम्मेदाराना कार्यशैली के कारण ही होता है क्योंकि निर्देश का पालन कराने की जिम्मेदारी भी अमले की ही होती है लेकिन बताते हैं कि जब कार्रवाई इस मकाम तक पहुंचती है तो फिर अमला संबंधित पक्ष से अपना आर्थिक समीकरण बैठा कर उसे अभयदान देने का प्रयास करता है। ऐसे दर्जनों मामले आज भी जिला प्रशासन की फाइल में वर्षों से दबे पड़े हैं।