पूर्णाहुति और भागवत कथा के सारांश ओर विशाल भंडारे के साथ समापन , हजारों श्रद्धालुओं के साथ उमड़ा जन सैलाब
शहडोल। जिले के मध्य अमराडंडी पुरानी बस्ती मुख्य मार्ग पुरानी शिव मन्दिर पर चल रहें श्री मद भागवत कथा का नौ दिवसीय कार्यक्रम का पूर्णाहुति के साथ समापन हुआ। निश्चित रूप से एक छोटे से कार्यक्रम के रूप में प्रारंभ होने वाले श्री विष्णु संगीतमय कथा एक विशाल रूप अपने आप में बन गया, जहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु गण पहुंचने लगे और धर्म के कार्य पर लग गए ,भक्तों की भीड़ देखकर ऐसा लग रहा था जैसे यहां स्वयं प्रभु का वास हो गया हो,ऐसा नहीं है कि पहले इस तरह के कार्यक्रम यहां पर संपन्न नहीं हुए हैं लेकिन कहते हैं कि कभी-कभी प्रभु साक्षात अपना रूप दिखा जाते हैं ऐसा ही श्रद्धालुओं का जलजला उमड़ पड़ा यह कार्यक्रम अपने आप में विशाल और भव्य नजर आ रहा था जहां पर शासन प्रशासन के द्वारा बैरिकेड लगाकर लोगों के आवागमन का भी विशेष रूप से ध्यान रखा गया वहीं क्षेत्र के अनगिनत श्रद्धालु कई प्रकार आर्थिक ,शारीरिक, मानसिक रूप से भागवत कथा से जुड़े रहे तो कई लोगों ने गुप्त दान देकर श्रद्धा दिखाई और प्रतिदिन भंडारे का वितरण भी होता रहा जिसे कथा वाचक पंडित श्री राघव कृष्ण जी महराज श्री धाम वृन्दावन के वाचनों के बाद वितरण किया जाता रहा और लोग दूसरे दिन की राह जोहकर पहले से तैयार खड़े मिलते थे।
भागवत कथा का सारांश और पूर्णाहुति के बखानवृंदावन से पधारे गुरु श्री राघव कृष्ण जी ने बताया कि भागवत कथा 7 दिनों तक चलता है और सप्ताह में 7 दिन भी होते हैं इसी तरह सब की मृत्यु भी किसी न किसी दिन होनी होती है चाहे वह सोमवार हो या बृहस्पतिवार कोई आठवां दिन अलग से तैयार नहीं होता है, और किस तरह राजा परीक्षित और पंडित सुखदेव जी महाराज के भागवत कथा को सुनते हुए राजा परीक्षित को मौत का नजारा भी उन्हे अमृत सा लगने लगा ईस तरह से भागवत कथा सुनने से साक्षात हरि के नाम में इतना रम गए की स्रपित मृत्यु तक्षक नागदेव के भय का नाम भी ना रहा, इसी प्रकार कथा वाचक श्री राघव जी ने बताया कि देवो के देव महादेव होते है शिव का आशीर्वाद जिसे प्राप्त होता है , वह अकाल मृत्यु को भी परास्त कर सकता है।
दूर-दूर से पहुंचे श्रद्धालु
पंडित श्री राघव कृष्णा महराज वृंदावन वाले महाराज जी के भक्तगण बहुत दूर-दूर से उनके दर्शन पाने को और कथा सुनने को पहुंचे कई ऐसे लोग थे जो छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले से आए थे वहीं शहडोल, बुढार, धनपुरी, अमलाई, उमरिया, कटनी, जबलपुर आदि स्थानों से भी सैकड़ो श्रद्धालुओं ने श्रीमद् भागवत कथा में आकर कथा सुना और गुरु के आशीर्वाद भी लिए वहीं क्षेत्रीय लोगों में धनपुरी नगर पालिका के पूर्व सीएमओ रवि करण त्रिपाठी एवं अमलाई नगर परिषद के पूर्व जनपद सदस्य वर्तमान पार्षद समाजसेवी पवन चीनी, संतोष टंडन आदि सैकड़ो लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया जिसमें प्रमुख रूप से पवन चीनी तन मन धन से जुड़े रहे और कलश यात्रा से लेकर पूर्णाहुति और भंडारे तक गुरु के समक्ष बने रहे और व्यवस्थाओं का जायजा भी लेते रहे निश्चित रूप से ऐसे समाजसेवियों के कारण ही इस तरह धर्म के विकास के रास्ते खुलते हैं जिससे एक छोटे से कथा की शुरुआत ने भव्यता का रूप ले लिया।
तन मन धन से यजुमानो ने की सेवा
श्री विष्णु कथा एवम संगीतमय भागवत कथा का पुरा प्रारूप स्वर्गीय शंकर सिंह के सुपुत्र राजू सिंह एवम् अमरा डंडी बस्ती के सैकड़ो लोगों के मार्गदर्शन में तैयार किया गया था और पहले दिन कलश यात्रा से जत्था का कारवां बनता चला गया जितने भी यजमान ने कथा में बैठने का आस्था रखे थे तन मन से सेवा भी किये चाहे वह पूर्व पार्षद उषा पनिका हो या अन्य राजू सिंह के परिवार से पुरा खानदान विशेष रूप से सुबह, शाम, पुरे कार्यक्रम पर बने रहे उनके घर से उनकी पत्नी आशा सिंह, विषेश रूप से उनकी पुत्री स्वर्णिमा सिंह (नैना) ने पुरे नौ दिन आरंभ से समापन तक भागवत कथा में आने जानें वाले सभी अतिथियों का विशेष रूप से स्वागत सत्कार में लगी रही, चाहे हवन हो या प्रसाद वितरण या भंडारे या गाड़िया की व्यवस्था सभी कार्य में अनोखी रूप में बिना थके प्रभु सेवा में विलीन रही, इस तरह सेवा भाव से ही बड़े कार्य सफल होते है वही अमराडंडी के सैकडो महिलाओं पुरुषो ने बढ़ चड़कर भाग लिया जिससे यह एक ऐतिहासिक कार्यकर्म शानदार तरीके से सम्पन हुआ।