नियम केविपरीत होने वाली पीआईसी की बैठक निरस्त
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सीएमओ की कार्यप्रणाली से परेशान सदस्य व नगरवासी
नियम केविपरीत होने वाली पीआईसी की बैठक निरस्त
विकास के नाम पर विनाश की तैयारी कर रहे थे सीएमओ और अध्यक्ष
जिस नगरपालिका परिषद का मुख्य नगरपालिका अधिकारी और मुखिया अध्यक्ष बेपरवाह, लापरवाह और नियमों के परे चलने वाले हो, उस नगर में विकास की कल्पना करना अनुचित होगा। नगरवासियों को दल-दल से निकालने की छोड चंद चंादी के सिक्को के लिए तडफडाते नजर आ रहे है, यही कारण है कि नियमों के विपरीत बुलाई गई पीआईसी की बैठक को स्वयं सीएमओ को निरस्त करना पडा।
अनूपपुर। नगरपालिका परिषद अनूपपुर को नरकपालिका बनाने की तैयारी जोर-शोर से तैयारी की जा रही है। इसके लिए भले ही अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को नियमों के विपरीत जाकर आदेश जारी करना पडे या फिर पत्राचार करना पडे। चंद विकास का मसीहा बनने के फेर में प्रेसीडेंट इन काउंसिल की बैठक बुलाकर फिर निरस्त कर देना उनके ही योग्यता पर प्रश्न चिन्ह खडा करता है। कुल मिलाकर चंद चांदी की सिक्कों की खनक सुनकर सारे नियमों को तोडते हुए संविधान के विपरीत नगर के विकास की योजना तैयार की जा रही है। प्रतिष्ठित अखबार राज एक्सप्रेस ने अपने 20 जून के अंक में प्रकाशित करते हुए नियम के विपरीत हो रहे बैठक को पाठको तथा प्रशासन तक पहुंचाया था, जिसके बाद सीएमओ को पीआईसी की बैठक को निरस्त करना पडता।
सीएमओ ने किया निरस्त
मुख्य नगरपालिका अधिकारी शिवांगी सिंह बघेल के द्वारा नियमों के विपरीत जाकर 19 जून को सूचना पत्र जारी करते हुए नगरपालिका के सभागार में प्रेसीडेंट इन काउंसिल की बैठक बुलाई गई थी। जबकि इसके पूर्व एक सदस्य के द्वारा पीआईसी से त्याग पत्र देकर अध्यक्ष श्रीमती अंजुलिका शैलेन्द्र सिंह व सीएमओं शिवांगी सिंह को अवगत करा दिया था, उसके बावजूद भी पीआईसी की बैठक बुलाकर अपने कार्यो को अंजाम देना चाहा, लेकिन जब अन्य जनप्रतिनिधियों तथा मीडिया के हस्ताक्षेप हुआ तो दूसरे दिन 20 जून की शाम नगरपालिका के सूचना पटल पर नोटिस चस्पा करते हुए पीआईसी की बैठक को अपिहार्य कारणों से निरस्त होना बता दिया गया, जबकि वास्तविक कारण कुछ और है।
नगर से नही कोई सरोकार
नगरपालिका परिषद के गठन बाद अनूपपुर के यह पहले मुख्य नगरपालिका अधिकारी होंगे, जिन्हे न तो नगर के विकास से कोई सरोकार है और न ही लोगों से मिल कर उनकी समस्या जानने की रूचि है। महीनों बाद भी नगर के लोग शिवांगी सिंह को पहचानना तो दूर ऐसे सैकडों रहवासी है जो नाम तक नही जानते। नगरपालिका में होने वाले कार्यप्रणाली तथा नगर के गतिवधियों से अवगत कराने के लिए नगरवासी फोन से संपर्क करे तो वह कभी उठाती ही नही। रही बात जनप्रतिनिधियों की तो सीएमओ के लिए कोई मायने नही रखते। जब इस बात की जानकारी मीडिया तक पहुंची तो उन्होने मीडिया से भी रूबरू होना उचित नही समझा।
बैकग्रांउड से चल रहा पालिका
नगर के विकास के लिए नवनिर्वाचित होकर पहुंचे जनप्रतिनिधियों में नारी शक्ति का गुणगान हो रहा था, परंतु जैसे-जैसे वर्ष बीतता गया तो पता चला कि उनका दृश्य दिखाकर बैकग्रांउड से उनके ही पति के द्वारा रील घुमाया जा रहा है। यही हाल मुख्य नगरपालिका अधिकारी का है, जो दूसरो के कंधे का सहारा लेकर नगरपालिका के दस्तावेजों में छेड छाड करने में आमादा है। कुल मिलाकर नारी शक्तियां अपने आप को कमजोर व पीछे मानकर अन्य के भरोसे ताकतवर बनना चाहती है।
लोकतंत्र की धज्जिया उडा रही नपा
लोकतंत्र में मतदान प्रक्रिया अहम भूमिका होती है, किसी भी प्रत्याशी को जनप्रतिनिधि बनाकर सामने लाने में या यूं कहे इसी लोकतंत्र की प्रक्रिया के तहत वह प्रत्याशी नवनिर्वाचित होकर अपने वार्ड व क्षेत्र के विकासों की बात करता है। जब नवनिर्वाचित पदाधिकारी के आड में उनके घर का कोई सदस्य या उनके पति उक्त पालिका व संबंधित विभाग हस्ताक्षेप करने लग गये तो समझ लेना चाहिए की भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। यही हाल अनूपपुर के नगरपालिका का तत्कालीन चुनाव के बाद से देखने को मिल रहा है। जहां आम जनता में तो आक्रोष है ही किंतु इनके सदस्य व पार्षदो में भी मारी मतभेद दिखाई पड रहा है। कारण कि हर व्यक्ति व हर पदाधिकारी इनके गोल-मोल कारनामों में साथ नही दे रहा है। जिससे अनूपपुर के नपा की दुर्यव्यवस्था बनी हुई है। पार्षदों के बीच भारी द्वंद मचा हुआ है, फल स्वरूप कभी भी अविस्वाश प्रस्ताव पारित हो सकता है।