तिरूपति बिल्डकॉन के पक्ष में फैसला आने के बाद कोल कंपनी की फूली सांसे

उमरिया। जिले में 34 वर्ष पुराने मामले में जिला एवं सत्र् न्यायालय ने पक्षकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कोल फील्ड्स लिमिटेड कंपनी की करोड़ों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया है। वर्ष 1991 में जब उमरिया जिले का गठन नहीं हुआ था, उस समय उमरिया, शहडोल जिले में आता था, 34 वर्ष पूर्व एसईसीएल कंपनी के जोहिला एरिया द्वारा पिनौरा प्रोजेक्ट में आवासीय कालोनी निर्माण के लिए टेण्डर निकाला था, जिसमें कई ठेकेदारों ने टेंडर भरा और कम रेट के कारण तिरूपति बिल्डकॉन को टेंडर मिला और तिरूपति बिल्डकॉन ने आवासीय कालोनी का निर्माण किया, लेकिन एसईसीएल ने तय रकम भुगतान नहीं किया।
जीएम कॉमप्लेक्स सहित संपत्ति कुर्क करने के आदेश
ठेका कंपनी तिरूपति बिल्डकॉन ने एसईसीएल द्वारा भुगतान करने के बाद कोर्ट की शरण ली थी, तत्कालीन जिला सत्र् न्यायालय शहडोल ने ठेका कंपनी के पक्ष में फैसला दिया, फैसला आने के बाद साउथ ईस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड ने फैसले के विरूद्ध हाईकोर्ट गई, 20 साल बाद भी वहां से मामले में ठेका कंपनी के पक्ष में फैसला सुनसा गया।
सुप्रीम कोर्ट मामला किया खारिज
हाईकोर्ट से पक्षकार के पक्ष में फैसला आने के बाद एसईसीएल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां से सुप्रीम कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया और जिला सत्र् न्यायालय के फैसले को यथावत रखा, जिसके बाद पक्षकार की अपील पर जिला सत्र् न्यायालय ने एसईसीएल के परियोजना प्रबंधक जीएम कॉम्प्लेक्स सहित वाहनों को कुर्क करने के लिए न्यायालय से अधिकृत कर्मचारियों को आदेश के साथ भेजा, जिसके बाद साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स के अधिकारियों के होश उड़ गए और उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत के बाद ठेका कंपनी को दी जाने वाली राशि 3 करोड़ 40 लाख रूपये 2 सितम्बर को अदा करने का लिखित पत्र दिया, जिसके बाद कोर्ट के मुहर्रिर वापस हुए।
सुको ने खारिज किया मामला
तिरूपति बिल्डकॉन के अधिवक्ता पुष्पराज सिंह ने बताया कि तिरूपति बिल्डकॉन के मालिक पदम सिंघानिया हैं और उमरिया जिला बनने से पहले उन्होंने एसईसीएल उमरिया, नौरोजाबाद और कई जगह बिल्ंिडग निर्माण का काम किया था, जिसका बिल बना और एसईसीएल ने मना कर दिया कि हम पैसा नहीं देंगे। तब तिरूपति कंस्ट्रक्शन कंपनी आर्बिटेशन में गई, कई रूपये का मामला था। तब वहां एसईसीएल ने विरोध किया और कहा कि हम पैसा नहीं देंगे। इस पर ट्रिब्यूनल ने तिरूपति कंस्ट्रक्शन के पक्ष में फैसला दिया। तब एसईसीएल उस आदेश के खिलाफ जिला न्यायालय शहडोल गई, जहां ट्रिब्यूनल के फैसले को यथावत रखा, इसके बाद एसईसीएल जिला न्यायालय के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट गई, तब वहां भी आर्बिटेशन और जिला न्यायालय के फैसले को मान्य करते हुए एसईसीएल को पैसा देने का निर्देश दी। तब हाईकोर्ट ने आदेश दिया, तब तक तिरूपति कंस्ट्रक्शन को 3 करोड़ 40 लाख और कुछ पैसे देने की देनदारियां थी, लेकिन इसी दौरान एसईसीएल पैसा न देने की सोच कर सर्वाेच्च न्यायालय चली गई, सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि आर्बिटेशन, जिला न्यायालय, हाईकोर्ट ने जो फैसला किया है, वह न्यायसंगत है, उस पर हस्ताक्षेप नहीं किया जा सकता और याचिका खारिज कर दी। उसके उपरांत हमारे द्वारा जीएम ऑफिस, भवन, कॉम्प्लेक्स, गाडिय़ा जो करीब 3 करोड़ 40 लाख रूपये की होती है, उनको हम कुर्क करने के लिए प्रधान न्यायाधीश को आवेदन दिए, जिसके बाद कुर्क करवाने गए तो, एसईसीएल ने लिखित आवेदन दिया है कि हम जल्द से जल्द पैसा देंगे और यदि नहीं देते हैं तो, 3 करोड़ 40 लाख रूपये का ब्याज सहित वसूलने का फिर आवेदन लगाया जायेगा।

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