भुगतान व निलंबन के बाद रविवार को सकंदी विद्यालय में पुताई

पूरे प्रदेश में 19 करोड़ रूपये भेजकर भवनों का कायाकल्प करना था उद्देश्य
स्कूल शिक्षा विभाग के विद्यालयों में पटे पड़े लाखों के फर्जी बिल
ब्यौहारी/ शहडोल। 24 अप्रैल को स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा शहडोल ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई जिलों में स्कूलों की संख्या के हिसाब से न्यूनतम 25 और अधिकतम 50 लाख रूपये विद्यालय के भवनों की मरम्मत और नवीनीकरण के लिए भेजे गये थे, जिला शिक्षा कार्यालय के कारनामे से सुर्खियों में आये सकंदी व निपनिया विद्यालय के साथ ही ब्यौहारी विकास खण्ड के दर्जन भर अन्य विद्यालयों में भी कई मदों में लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रूपये भेजे गये, डीईओ फूल सिंह मारपाची तथा उन्हें कठपुतली की तरह चलाने वाले अरविंद पाण्डेय ने शहडोल से ब्यौहारी के विद्यालयों में भेजी गई लाखों की राशि में एक हाथ ले और दूसरे हाथ दे, वाली कहावत की तर्ज पर काम किया। लाखों रूपये आवंटन के बाद उन्हें खुद व जिला प्रशासन में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों के लिए वापस ले लिया गया। यही कारण है कि बेपर्दा होने के बाद भी जिले के जिम्मेदार अधिकारी डीईओ पर कार्यवाही करने में परहेज कर रहे हैं और प्राचार्याे में किसी को निलंबित और किसी को नोटिस देकर कोरमपूर्ति में लगे हुए हैं।
ग्राउण्ड रिपोर्ट में खुली कलई
मंगलवार को सकंदी और निपनिया विद्यालय में हमारी टीम ने मामले की सच्चाई जानने के लिए जब ग्राउण्ड जीरो पर जाकर विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों, ग्रामीणा और शिक्षकों से संपर्क किया तो, प्रशासन के तमाम दावों जिसमें लाखों के भुगतान को सही ठहराने और उसके बाद ब्यौहारी एसडीएम नरेंद्र सिंह धुर्वे तथा सीईओ जनपद ब्यौहारी विजय सिंह की संयुक्त जांच और उसके बाद की गई कार्यवाही की धज्जियां उड़ती दिखी, विद्यालय में पेंट के नाम पर सिर्फ 4 से 6 दरवाजों को ही पोता गया था, वह भी जॉच और भुगतान से पहले नहीं बल्कि एक दिन पहले 6 जुलाई रविवार को ही। दरवाजे और खिड़कियों को पोता गया, दीवारों में रोगन के लिए ऑयल पेंट का जिक्र और बिलों में भुगतान जरूर किया गया हो, लेकिन हकीकत में रविवार को घटिया गेरू युक्त डिस्टेम्पर दीवारों में पोता गया था, जो हलका पानी डालने पर ही परत उधड़ता हुआ नजर आया, विद्यालय के बच्चों और अतिथि शिक्षक सहित प्रभारी प्राचार्य ने भी रिकार्डेड वीडियो में इस बात की पुष्टि की। यह कि पहले कुछ नहीं बल्कि रविवार को जांच और कार्यवाही के बाद यह सब किया गया। वहीं छत की मरम्मत के नाम पर एक ट्राली रेत, चंद बोरी सीमेंट और आधी ट्राली बजरी बमुश्किल खर्च की गई, शेष बजरी और रेत आज भी विद्यालय प्रांगण में फर्जीवाड़े का गुणगान करते नजर आ रही है।
निपनिया के हालात और भी बदतर
ग्राम निपनिया में स्थित हॉयर सेकेण्ड्री विद्यालय में भी 20 लीटर पेंट को 275 मजदूर के कार्य दिवस और 150 मिस्त्री के कार्य दिवस के एवज में दर्शाया गया था, यहां भी 10 नग खिडक़ी और 4 नग लकड़ी के दरवाजे पेंट और मजदूरी भुगतान के एवज में 2 लाख 31 हजार 650 रूपये का भुगतान किया गया, इस मामले की पड़ताल के दौरान पुराने खिड़कियों में पेंट ही करना सामने नजर आया, यही नहीं निपनिया में हॉयर सेकेण्ड्री विद्यालय के तीन अलग-अलग भवन देखे गये, पूर्व के प्रभारी प्राचार्य राधिका तिवारी को नोटिस देने के बाद मंगलवार को रामवचन सिंह प्रभारी प्राचार्य के रूप में कार्यभार सम्हाल रहे थे, उन्होंने बताया कि उनके सामने मई-जून में कोई कार्य नहीं हुआ, अलबत्ता इससे पहले टाइल्स आदि जरूर लगाये गये थे।
नजीर बना मामला,11 दिनों में सब को समेटा
स्कूल शिक्षा विभाग के साथ ही ब्यौहारी क्षेत्र के दर्जनों विद्यालय सुधाकर कंस्ट्रक्शन पर मेहरबान नजर आ रहे हैं। जिला शिक्षा कार्र्यालय और ऑफ रिकार्ड मुखिया के चहेते और जिला शिक्षा केन्द्र के मुखिया अरविंद पाण्डेय ने भोपाल से मिली राशि को स्कूलों में भेजने और कार्य करवाने के उपरांत भुगतान करवाने में इतनी तत्परता दिखाई, जिसका अनुसरण देश के सभी सरकारी विभागों को करना चाहिए, 24 अप्रैल को लोक शिक्षण संचनालय के द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 में विभागीय परिसंपत्तियों के संधारण योजना क्रमांक 9545 के अंतर्गत प्रदेश के लगभग जिलों में कुल 19 करोड़ राशि आवंटित किये जाने के आदेश दिये, शहडोल को भी 25 लाख रूपये की राशि प्राप्त हुई, जो विभिन्न विद्यालयों को भेजी गई, जिसमें सकंदी, निपनिया जैसे विद्यालय भी शामिल हैं। अचरज की बात तो यह है कि 24 अप्रैल को भोपाल से आदेश जारी हुए, उसके बाद यह राशि शहडोल भेजा गया, शहडोल डीईओ कार्यालय में विद्यालयों को चिन्हाकिंत कर सूचीबद्ध किया गया और राशि उनके खातों में अंतरित कर दी गई। जाहिर है इसके बाद ही सुधार क्या किए जाए यह भी तय कर दर्जनों में से कुछ विद्यालय चयनित किए गए होंगे, स्कूलों के जिम्मेदारों ने बाद में ठेकेदार का चयन किया होगा , विभाग ने तकनीकी स्वीकृति और विभागीय स्वीकृति का कोरम भी पूरा किया,कइसके अगले दिनों में निपनिया और सकंदी जैसे अन्य विद्यालयों में मरम्मत का कार्य भी संपन्न हो गया। सुधाकर कंस्ट्रक्शन ने एक साथ कार्य संपन्न कराने के उपरांत 5 मई को विद्यालय को बिल सौंपे, उसी दिन विद्यालय ने इन बिलों को अपनी विभागीय प्रक्रिया पूरी करते हुए डीईओ कार्यालय शहडोल भेजा। जिन पर तत्परता दिखाते हुए एक ही दिन में डीईओ ने नोटशीट तैयार कर दी और 5 मई को ही नोटशीट क्रमांक 1744 से कोषालय को पत्र भेजकर कुल 3 लाख 34 हजार 636 रूपये का भुगतान भी करा दिया , सिर्फ 11 दिनों में फटाफट हुए इस सरकारी काम ने प्रदेश ही नहीं देश के सामने भी तत्परता की नजीर पेश की है।
सुधाकर कंस्ट्रक्शन की बल्ले-बल्ले, 25 लाख में 24 लाख फार्म के खाते में
स्कूल शिक्षा विभाग ने सुधाकर कंस्ट्रक्शन पर जो मेहरबानी दिखाई है, उसके शायद शहडोल कलेक्टर से लेकर कमिश्नर और भोपाल में बैठे अधिकारी तक कायल हो चुके हैं, यही कारण है कि कार्यवाही के नाम पर एक प्राचार्य को नोटिस और एक को निलंबित कर नाखून काटकर शहादत मनाने वाली कहावत को चरितार्थ किया जा रहा है, अकेले 5 जून से लेकर 30 जून तक के महज 26 दिनो में स्कूल शिक्षा विभाग ने ट्रेजरी के माध्यम से बिना कार्याे का भौतिक सत्यापन, मूल्यांकन और कार्य की पूर्णता हुए बिना ही लाखों के भुगतान कर दिये, शहडोल में भोपाल से इस योजना के अंतर्गत 25 लाख भेजे गए थे ,जिसमें लगभग राशि इसी अकेले फर्म को दे दी गई, स्कूल शिक्षा विभाग ने उक्त फॉर्म को किए गए भुगतानों में 5 जून को 3 लाख 37 हजार 3 सौ 63, 30,06,25 को 4 लाख 80 हजार, 30,06,25 को फिर 4 लाख 80हजार , 30,06,25 को फिर 4 लाख 80हजार , 30,06,25 को फिर 5 लाख 99 हजार 6 सौ 96 कुल 23 लाख 77 हजार 58 रु शहडोल कोषालय से सुधाकर कंस्ट्रक्शन को गया, इसके पहले के माहों में भी लाखों का भुगतान आंखे मूंदकर किया गया।