सीवर लाइन हादसे में FIR दर्ज, पांच जिम्मेदारों पर गैर इरादतन हत्या का केस

शहडोल। जिले के सोहागपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत कोनी वार्ड क्रमांक-1 में सीवर लाइन की खुदाई के दौरान मिट्टी धंसने से हुई दो मजदूरों की मौत के मामले में आखिरकार पुलिस ने पांच जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया है। मृतक दोनों मजदूर बैगा जनजाति के सगे भाई थे, जिनकी दर्दनाक मौत के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश है और प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठे हैं।
एफआईआर में नामजद आरोपी
गुरुवार को हुए हादसे के बाद पुलिस ने शुक्रवार को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 106 (गैर इरादतन हत्या) के तहत सोहागपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज की है। दर्ज मामले में जिन पाँच लोगों को आरोपी बनाया गया है, वे इस प्रकार हैं:
1. आर. राजू, प्रोजेक्ट मैनेजर, मेसर्स पी.सी. स्नेहल कंस्ट्रक्शन प्रा. लि., अहमदाबाद
2. नितेश मित्तल, प्रोजेक्ट मैनेजर, मेसर्स पी.सी. स्नेहल कंस्ट्रक्शन प्रा. लि., अहमदाबाद
3. राहुल साहू, सुपरवाइजर, मेसर्स पी.सी. स्नेहल कंस्ट्रक्शन प्रा. लि., अहमदाबाद
4. जेनेन्द्र सिंह यादव, सब इंजीनियर, मप्र अर्बन डेवलपमेंट कंपनी, शहडोल
5. पूजा नायक, निवासी ओदरी बकेली थाना पाली, जिला उमरिया इन सभी पर निर्माण कार्य में घोर लापरवाही बरतने और सुरक्षा उपाय सुनिश्चित न करने का आरोप है, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ।
बिना सुरक्षा साधनों के उतारे गए गड्ढे में
मृतकों की पहचान मुकेश बैगा (40) और महिपाल बैगा (33) के रूप में हुई है। दोनों पहली बार मजदूरी के लिए साइट पर गए थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, वे कुशल श्रमिक भी नहीं थे, बावजूद इसके उन्हें करीब 15 फीट गहरे गड्ढे में बिना किसी सुरक्षा उपकरण—जैसे हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट या बूट के—उतार दिया गया। यह निर्माण एजेंसी और ठेका कंपनी की लापरवाही का खुला प्रमाण है।
11 घंटे चला रेस्क्यू, जान न बच सकी
हादसे के बाद स्थानीय प्रशासन द्वारा करीब 11 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। महिपाल की गर्दन तक मिट्टी भर गई थी और वह अंतिम समय तक मदद की गुहार लगाता रहा। लेकिन समय पर प्रभावी सहायता नहीं मिल पाई और दोनों भाइयों की जान चली गई।
जनजातीय समाज में शोक, मुआवजे और कार्रवाई की मांग
घटना से बैगा समाज में शोक की लहर है। स्थानीय निवासियों ने प्रदर्शन करते हुए पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा, एक परिजन को सरकारी नौकरी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। साथ ही मांग की जा रही है कि निर्माण स्थलों पर मजदूरों की सुरक्षा के लिए सख्त निगरानी व्यवस्था बनाई जाए।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
यह हादसा प्रशासनिक निगरानी की कमी और निर्माण कार्यों में बरती जा रही लापरवाही का नतीजा माना जा रहा है। अब देखना होगा कि पुलिस और जिला प्रशासन इस दर्दनाक हादसे को लेकर क्या ठोस कदम उठाते हैं या यह मामला भी अन्य हादसों की तरह फाइलों में ही दबकर रह जाएगा।