राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर पकरिया चौराहे पर चल रहा अवैध निर्माण, जिम्मेदार अधिकारी मौन

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शहडोल। जिले के बुढार तहसील अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 पर स्थित पकरिया चौराहे में एक पक्का भवन निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। यह मार्ग पकरिया होते हुए बुढार, जैतपुर, गोहपारू, जयसिंहनगर और ब्यौहारी समेत सैकड़ों पंचायतों को जोड़ता है, जहां से रोजाना भारी वाहनों का आवागमन रहता है। बावजूद इसके, नियमों को ताक पर रखकर हाईवे को क्रॉस करते हुए निजी भवन निर्माणाधीन है, जिसके चलते दोनों सड़कों पर अव्यवस्था और दुर्घटनाओं का खतरा महसूस किया जा रहा है।
यह चौराहा पहले ही विभिन्न सड़क हादसों के लिए कुख्यात ‘ब्लैक स्पॉट’ घोषित किया जा चुका है। पिछले दो से तीन वर्षों में यहां कई गंभीर हादसे हो चुके हैं, जिनमें अनेक लोगों ने अपनी जान गंवाई है। क्षेत्रवासियों के अनुसार, पूर्व में भवन निर्माण के एवज में मुआवजा भी प्राप्त किया जा चुका है, इसके बावजूद एक बार फिर निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि न तो स्थानीय प्रशासन और न ही राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 के अधिकारियों ने इस पर कोई सख्त कदम उठाया है। वहीं, स्टेट हाईवे शाखा और तहसील के जिम्मेदार अफसरों ने भी निर्माण को मौन स्वीकृति दे दी है।

खबर है कि विरोध के बावजूद निर्माणाधीन भवन के लिए निर्माण सामग्री मुख्य मार्ग  पर रख दी गई है, जिससे सड़क यात्रा का मार्ग अवरुद्ध हो रहा है। इस लापरवाही से राहगीरों की जान और माल दोनों खतरे में हैं। वहीं, बुढार के तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और राज्य/राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के अधिकारी सभी अधिकारी सवालों के घेरे में हैं, जो निर्माण को लेकर अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन और सम्बंधित विभागों की अनदेखी के चलते नियम तोड़े जा रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि चौराहे पर अनाधिकृत निर्माण कार्य बंद कर सड़क को पुनः पूर्ववत चालू नहीं कराया गया तो आमजन आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। जिम्मेदार अधिकारियों की इस उदासीनता और अनदेखी के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग 43 की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था दोनों पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। ग्रामीणों ने बुढार तहसीलदार, आरआई, राष्ट्रीय राजमार्ग 43 के अधिकारियों और स्टेट हाईवे विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है, ताकि क्षेत्र में हो रही यह मनमानी रुके और हादसों का सिलसिला थमे।
यह प्रकरण न केवल सरकारी तंत्र की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि आम नागरिकों की जान को भी सीधे खतरे में डालता है। यदि जिम्मेदार अधिकारी अब भी नहीं जागे तो गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं, जिसका पूरा दायित्व प्रशासन और सम्बंधित विभागों पर होगा।

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