संविधान की रोशनी से वे ही डरते है जो देश को अधेरे में धकेलना चाहते हैं,शैलेन्द्र शैली स्मृति व्याख्यान में बोले बादल सरोज

ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव बादल सरोज ने भारत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बोलते हुए कहा कि इस देश के अंदर मुगल आए, पुर्तगाली आए ,अरबी आए लेकिन सब यहीं बस कर रह गए । वास्तविक गुलामी 1757 से शुरू हुई जब इस देश के अंदर ब्रिटिश हुकूमत का प्रारंभ हुआ । ये अंग्रेजी राज था जिसने भारत की खेती का विनाश कर दिया, कपड़ा, पीतल, ताम्बा सहित जितने भी उद्योग धंधे विकसित हो रहे थे उन्हें अंग्रेजों ने तबाह करके रख दिया और इस तरह देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी । इस भयानक बर्बादी से नाराज और विचलित भारत की जनता ने पहला स्वतंत्रता संग्राम 1857 से शुरू हुआ और यह संग्राम ही था जिसकी कोख से वह सारी समझ निकल कर आई जो संविधान के रूप में इकट्ठा की गयी । इस तरह भारत का संविधान कोई एक दिन में नहीं तैयार किया गया है बल्कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 में प्रारंभ हुआ और देश को 1947 में आजादी मिली , इस दरम्यान जनता की सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक परिस्थितियां से उठ रहे सवालों को दृष्टिगत रखते हुए संविधान तैयार किया गया है। जिससे ऊंच नीच, छुआछूत,की भेद-भाव को दूर करने के साथ साथ मानव जीवन की बुनियादी ज़रूरतों रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, चिकित्सा के साथ साथ अंधविश्वास को दूर भगाने का अधिकार मिला हुआ है।
उन्होंने बताया कि संविधान की प्रस्तावना में उल्लेख है कि हम भारत के लोग अर्थात संविधान किसी एक व्यक्ति का नहीं है बल्कि हर भारतीय नागरिक का है जिसे भाजपा और आरएसएस खत्म कर देश को मनुवाद की अमानवीय और अवैज्ञानिक गुफा में ले जाकर मानवता को खत्म कर देना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस देश की जनता भाजपा और आरएसएस के मंसूबों को कभी पूरा नहीं होने देगी। 

बादल सरोज ने 13 महीने तक चले किसान आंदोलन एवं 9 जुलाई 2025 की आल इंडिया हड़ताल ,जिसमें 25 करोड़ जनता की भागीदारी थी के उदाहरण देते हुए कहा कि यह सिद्ध करता है कि जनता अपने संविधान की रक्षा के लिए सजग है और वह भाजपा और आरएसएस के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि यह वही आर एस एस और भाजपा है जो आजादी की लड़ाई में अपने आप को अलग रखी थी। और देश के संसाधनों को मुठ्ठी भर लोगों के हाथ कब्जा करवाना चाहती है जिसे इस देश की जनता हरगिज स्वीकार नहीं करेगी।
सीटू नेता जुगुल किशोर राठौर ने उक्त आशय आशय की जानकारी देते हुए बताया कि व्याख्यान माला से जनता को अपने संविधान की रक्षा के लिए एक नई ऊर्जा और प्रेरणा मिली है जिसे और व्यापक किया जाएगा। यह सन्देश जनता के बीच ले जाया जाएगा ।