भारती टावर अग्निकांड: करोड़ों का नुकसान, फायर सेफ्टी विभाग की लापरवाही उजागर

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(अनिल तिवारी)

शहडोल। शहर के बीचों-बीच स्थित भारती टावर में हाल ही में लगी भीषण आग ने पूरे जिले को हिला दिया। इस हादसे में करोड़ों रुपये की संपत्ति जलकर खाक हो गई। सौभाग्य से जनहानि नहीं हुई, लेकिन घटना ने नगर पालिका शहडोल के फायर सेफ्टी सिस्टम की पोल खोल दी।

अग्निकांड के बाद से जिला व पुलिस प्रशासन की तत्परता की सराहना हो रही है। आग लगने की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा और राहत एवं बचाव कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई। हालांकि, घटना ने यह भी साफ कर दिया कि नगर पालिका का फायर सेफ्टी विभाग बड़े हादसों से निपटने के लिए कितनी तैयारी में है।

पुराने उपकरण और वर्षों से मॉक ड्रिल का अभाव

संभागीय मुख्यालय शहडोल का नगर पालिका निकाय क्षेत्र के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण निकायों में से एक है। इसके बावजूद यहां की फायर ब्रिगेड और फायर इक्विपमेंट सालों से अपडेट नहीं किए गए। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि नगर पालिका के फायर विभाग द्वारा वर्षों से किसी भी तरह की मॉक ड्रिल का आयोजन नहीं किया गया था। मॉक ड्रिल न होने से न केवल उपकरणों की कार्यक्षमता की जांच नहीं हो पाती, बल्कि कर्मियों की तत्परता और प्रशिक्षण पर भी असर पड़ता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर नगर पालिका के पास आधुनिक अग्निशमन उपकरण और प्रशिक्षित टीम होती, तो भारती टावर में लगी आग को शुरुआती समय में ही नियंत्रित किया जा सकता था। इससे नुकसान की मात्रा भी काफी हद तक कम हो सकती थी।

रिलायंस की फायर ब्रिगेड से तुलना

घटना के दौरान जब नगर पालिका की फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची, तो उसके उपकरणों और क्षमता की तुलना वहां मौजूद रिलायंस कंपनी के प्रोजेक्ट द्वारा भेजी गई फायर ब्रिगेड से की जाने लगी। लोगों ने खुले तौर पर कहा कि रिलायंस की फायर ब्रिगेड अधिक आधुनिक, सुसज्जित और तेज प्रतिक्रिया देने वाली थी, जबकि नगर पालिका के पास मौजूद संसाधन अपेक्षाकृत कमजोर साबित हुए।

लापरवाही पर उठे सवाल

इस हादसे ने एक बार फिर फायर सेफ्टी विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया है। शहरवासियों का कहना है कि फायर सेफ्टी जैसे महत्वपूर्ण विभाग में नियमित उपकरण जांच, अपडेट और मॉक ड्रिल न होना गंभीर लापरवाही है। संभागीय मुख्यालय जैसे महत्वपूर्ण शहर में अगर आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए तैयारियां कमजोर हों, तो यह भविष्य में और भी बड़े हादसों को न्योता दे सकता है।

सोशल मीडिया पर वायरल मॉक ड्रिल

गुरुवार को, घटना के कुछ दिनों बाद, नगर पालिका के फायर सेफ्टी विभाग द्वारा एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस दौरान फायर ब्रिगेड के कर्मचारी आग बुझाने का अभ्यास करते नजर आए। मॉक ड्रिल के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए।
लेकिन, इस मॉक ड्रिल ने राहत के बजाय सवाल और बढ़ा दिए। लोगों ने कहा कि अगर यही तत्परता और अभ्यास पहले से होता, तो भारती टावर अग्निकांड में करोड़ों का नुकसान नहीं होता।

प्रशासन की भूमिका और भविष्य की योजना

जिला और पुलिस प्रशासन ने इस घटना के बाद फायर सेफ्टी सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। नगर पालिका को भी उपकरण अपडेट करने, नए अग्निशमन वाहनों की व्यवस्था करने और कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए नियमित मॉक ड्रिल कराने के निर्देश दिए जाने की संभावना जताई जा रही है।

जानकारों का मानना है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए तीन मुख्य कदम आवश्यक हैं –

1. आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता – फायर ब्रिगेड में अत्याधुनिक पंप, फोम मशीन, लंबी सीढ़ियां और उच्च क्षमता वाले टैंकर शामिल किए जाएं।

2. नियमित मॉक ड्रिल – हर तीन महीने में मॉक ड्रिल अनिवार्य हो, ताकि टीम हमेशा तैयार रहे।

3. जनजागरूकता अभियान – व्यावसायिक भवनों और बहुमंजिला इमारतों में फायर सेफ्टी नियमों का पालन और समय-समय पर जांच हो।

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