धीरे-धीरे विलुप्त होती परंपरा : रामलाल सिंह आख़िरी पीढ़ी जो बचा रहे हैं “छुरी-कैंची धार” का हुनर

0

गिरीश राठौड़

 

धीरे-धीरे विलुप्त होती “छुरी-कैंची धार” का हुनर

 

अनूपपुर/अनूपपुर जिले के पसला निवासी 65 वर्षीय रामलाल सिंह पिछले दो दशकों से छुरी-कैंची में धार करने का पुश्तैनी काम कर रहे हैं। बदलते दौर और बेरुखी से यह हुनर अब विलुप्ति की कगार पर है।

 

तकनीक और आधुनिक साधनों के इस दौर में परंपरागत हुनर धीरे-धीरे इतिहास बनते जा रहे हैं। अनूपपुर जिले के ग्राम पसला निवासी 65 वर्षीय रामलाल सिंह अपने “मसान” (कैंची धार करने वाले औजार) के सहारे पिछले 20 वर्षों से गांव-गांव, साप्ताहिक हाट-बाजारों में घूमकर लोगों की छुरी और कैंची में धार लगाने का कार्य करते हैं। यह पेशा उनके परिवार का पुश्तैनी व्यवसाय रहा है, लेकिन अब इस परंपरा को आगे बढ़ाने वाला कोई नहीं है।

 

रामलाल सिंह के दो बेटे हैं, लेकिन वे इस काम में रुचि नहीं ले रहे हैं। रामलाल बताते हैं कि इस मेहनत से दिनभर में लगभग 200 से 300 रुपये ही कमा पाते हैं। उम्र ढलने के साथ काम कठिन होता जा रहा है, लेकिन कोई विकल्प न होने से वे इसे जारी रखे हुए हैं।

 

दुर्भाग्य है कि शासन-प्रशासन की योजनाओं में ऐसे हुनरमंद कारीगरों के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया है। यदि प्रोत्साहन और सहयोग मिले, तो यह विलुप्त होती परंपरा आने वाली पीढ़ी तक संजोई जा सकती है

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed