नर्मदा लोक: दो साल बाद भी कागज़ों में कैद, अमरकंटक की जनता ठगी हुई महसूस कर रही

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नर्मदा लोक: दो साल बाद भी कागज़ों में कैद, अमरकंटक की जनता ठगी हुई महसूस कर रही

 

घोषणाओं के ढोल, हकीकत में सन्नाटा –

 

भूमि चिन्हित कर सरकार ने ली चैन की सांस, श्रद्धालु रहवासी और साधु-संत नाराज़

 

अमरकंटक/संवाददाता – मां नर्मदा की पवित्र उद्गम स्थली अमरकंटक में प्रस्तावित नर्मदा लोक परियोजना का कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका है । तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 10 अगस्त 2023 को अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान साधु-संतों के समक्ष इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की थी । कहा गया था कि नर्मदा मंदिर परिसर से रामघाट तक चार एकड़ क्षेत्र में उज्जैन के महाकाल लोक की तर्ज पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त नर्मदा लोक विकसित किया जाएगा । दो वर्ष बीत चुके हैं , लेकिन परियोजना केवल घोषणाओं और फाइलों में कैद है ।

 

यह है मामला – वादे बड़े, काम शून्य

 

घोषणा के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री ने साधु-संतों को भरोसा दिलाया था कि नर्मदा लोक का स्वरूप साधु-संतों से विमर्श कर तय होगा और इससे अमरकंटक को पर्यटन के क्षेत्र में नई पहचान मिलेगी । श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं और घाटों पर स्वच्छता व सुरक्षा की व्यवस्था होगी । मगर हकीकत यह है कि सरकार द्वारा अब तक केवल भूमि चिन्हित करने का काम ही हो सका है । नर्मदा मंदिर परिसर से रामघाट तक लगभग चार एकड़ भूमि चिह्नित की गई है । इसके आगे का काम ठप पड़ा है ।

 

डीपीआर तक सिमटी सरकार

 

परियोजना के लिए 25 करोड़ रुपये की लागत निर्धारित की गई है । पर्यटन विभाग के उपयंत्री सोमपाल सिंह का कहना है कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) अभी तैयार की जा रही है । डीपीआर तैयार होने के बाद ही कार्य एजेंसी तय की जाएगी और निर्माण शुरू होगा । सवाल यह है कि जब घोषणा को दो वर्ष हो गए , तब तक केवल डीपीआर तैयार करने में इतना समय क्यों? अमरकंटक के लोग इसे सीधी लापरवाही मान रहे हैं ।

 

स्थानीय साधु-संतों ने कहा है कि अब वादों से काम नहीं चलेगा ।

शांति कुटी आश्रम के श्रीमहंत स्वामी रामभूषण दास महाराज का कहना है कि नर्मदा लोक बनने से घाटों की स्वच्छता व सुरक्षा बढ़ेगी और श्रद्धालुओं को सुविधाएं मिलेंगी ।

मार्कण्डेय आश्रम के आचार्य स्वामी रामकृष्णानंद महाराज का कहना है कि सरकार को अपने वादे निभाने चाहिए । इससे पर्यटन और स्थानीय रोजगार में वृद्धि होगी ।

 

परमहंस धारकुंडी आश्रम के स्वामी लवलीन महाराज कहते हैं – “अमरकंटक में नर्मदा लोक का निर्माण अति आवश्यक है , इससे पर्यटक और तीर्थयात्री बढ़ेंगे।”

मां नर्मदा मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित रूपेश द्विवेदी बबलू महाराज और पंडित जुगुल किशोर द्विवेदी ने भी सरकार से नाराज़गी जताते हुए कहा कि “निर्माण होने पर अमरकंटक को विश्व स्तर पर पहचान मिलेगी , लेकिन सरकार ने अब तक सिर्फ घोषणाएं की हैं।

 

“महाकाल लोक की तर्ज पर सपने , हकीकत में सन्नाटा

 

स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तरह महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन में पर्यटकों की संख्या कई गुना बढ़ी है , उसी प्रकार नर्मदा लोक बनने से अमरकंटक देश-विदेश के प्रमुख पर्यटन और तीर्थ केंद्र के रूप में स्थापित हो सकता है । मगर सरकार की धीमी गति से लोगों में रोष है ।

 

जनता पूछ रही – कब जागेगी सरकार?

 

तत्कालीन मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद जनता को भरोसा था कि अमरकंटक की दशा बदलेगी । लेकिन आज भी श्रद्धालु और साधु-संत बदहाल व्यवस्था झेलने को मजबूर हैं । घाटों की सफाई , सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यहां आने वाले तीर्थयात्रियों को असुविधा होती है ।

 

अब सवाल यह है कि क्या सरकार केवल घोषणाएं करने और पत्थर लगाने तक ही सीमित रहेगी या वास्तव में अमरकंटक को नया स्वरूप देने का संकल्प पूरा करेगी?

यदि जल्द ही निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ तो सरकार की घोषणाओं पर अविश्वास और बढ़ेगा ।

 

नर्मदा लोक परियोजना का ठप पड़ना न केवल शासन की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह अमरकंटक के विकास और पर्यटन के सपनों को भी धक्का देता है । अब वक्त आ गया है कि सरकार कागज़ों से बाहर निकलकर धरातल पर काम दिखाए ।

 

श्रवण उपाध्याय अमरकंटक

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