शहडोल का बहुचर्चित पेंट घोटाला: करोड़ों की राशि खर्च, ज़मीन पर नाममात्र काम,जांच रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी, कार्रवाई शून्य

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शिक्षा विभाग से जुड़ा पेंट घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है, 2022 से 2025 तक विद्यालयों के नाम पर सुधाकर कंस्ट्रक्शन, ब्यौहारी को करोड़ों रुपये आवंटित हुए, जबकि जमीन पर कार्य अधूरे और संदिग्ध हैं। प्रतिवेदन सोमवार को जांच अधिकारियों ने सौंपा, मगर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसी तरह गोहपारु जनपद में ड्राई फ्रूट घोटाले की फाइल भी कलेक्टर तक पहुंचने के बाद दबा दी गई।
शहडोल। जिले का बहुचर्चित पेंट घोटाला शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। वर्ष 2022 से लेकर वर्तमान 2025 तक विद्यालयों के नाम पर कुल 2,75,84,000 की राशि आवंटित हुई और 2,28,08,568 खर्च दिखाए गए। यह पूरा भुगतान सुधाकर कंस्ट्रक्शन, ब्यौहारी के खाते में गया, जबकि अधिकांश विद्यालयों में नाममात्र का कार्य हुआ।
विद्यालयवार राशि का ब्योरा
जांच रिपोर्ट में सामने आया कि विद्यालयों को इस प्रकार राशि आवंटित और खर्च हुई, शा.उ.मा.वि. ब्योहारी – 3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.उ.मा.वि. मझीली  3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.उ.मा.वि. झलरी – 3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. अटारीकला – 3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. झिक्की – 3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. झुर्री -3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. कंछार -3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. पथरौला – 3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. खिरवा – 3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. मझगवां – 3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. पथरौला टोला – 3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. बरबसपुर 3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. चौरी -3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. बम्हनी नं. 2 – 3,00,000/ खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. झगरा -3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. कठौती -3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. उमरिया -3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. पचौरी – 3,00,000 / खर्च 3,00,000, शा.मा.वि. ब्योहारी प्रथम -6,04,000 / खर्च 6,04,000, शा.मा.वि. बिछिया – 19,56,000 / खर्च 19,56,000, शा.मा.वि. अजवार – 12,29,000 / खर्च 12,29,000, शा.मा.वि. बकहो – 16,78,000 / खर्च 16,78,000, शा.मा.वि. लरका – 19,61,000 / खर्च 19,61,000, शा.मा.वि. मझौली -11,16,000 / खर्च 11,16,000,  शा.मा.वि. कठौतिया -3,00,000 / खर्च 1,82,506, शा.उ.मा.वि. ब्योहारी – 5,00,000 / खर्च 2,66,774, शा.बा.उ.मा.वि. मझीली – 23,90,000 / खर्च 11,72,711, शा.उ.मा.वि. कठौतिया -5,00,000 / खर्च 2,16,406, शा.मा.वि. मझौली खुर्द – 10,00,000 / खर्च 5,18,794, शा.मा.वि. बिछिया – 5,00,000 / खर्च 3,46,239, शा.मा.वि. गढ़वा – 3,00,000 / खर्च 2,62,282, शा.मा.वि. धौरहरा – 5,00,000 / खर्च 4,22,628, शा.मा.वि. पहाड़हा – 5,00,000 / खर्च 3,18,056, शा.मा.वि. पचौरी -3,00,000 / खर्च 1,08,364, शा.मा.वि. अमझोर -3,00,000 / खर्च 2,91,514, शा.मा.वि. कठौतिया – 3,00,000 / खर्च 2,88,000, शा.मा.वि. लरका – 3,00,000 / खर्च 1,88,560, शा.मा.वि. पचौरी – 3,00,000 / खर्च 89,521, शा.मा.वि. मझौली – 5,00,000 / खर्च 2,37,365, शा.मा.वि. कठौतिया – 5,00,000 / खर्च 2,91,114, शा.मा.वि. पचौरी – 6,50,000 / खर्च 5,99,966, शा.मा.वि. बिछिया -5,00,000 / खर्च 3,37,636, कस्तूरबा गांधी छात्रावास सोहगपुर – 3,00,000 / खर्च 2,86,842, कस्तूरबा गांधी छात्रावास मनस – 3,00,000 / खर्च 2,16,737, कस्तूरबा गांधी छात्रावास नर्मदापुर -3,00,000 / खर्च 1,96,975, कस्तूरबा गांधी छात्रावास जनेह – 3,00,000 / खर्च 2,87,150, कस्तूरबा गांधी छात्रावास बृजपुर -3,00,000 / खर्च 2,88,136, नवीन कन्या छात्रावास मझगवां – 5,00,000 / खर्च 1,98,778, शा.उ.मा.वि. कठौतिया – 5,00,000 / खर्च 2,91,514, शा.मा.वि. कठौतिया – 5,00,000 / खर्च 4,80,000, शा.मी.ला. छात्रावास बृजपुर – 5,00,000 / खर्च 4,80,000 खर्च किया जाना स्कूल शिक्षा विभाग के दस्तावेजों में दिखाई दे रहा है लेकिन जमीनी हकीकत पर इन सभी विद्यालयों का हाल निपानिया और सकदी से अलग नहीं है।
प्रतिवेदन सौंपा, कार्रवाई नहीं
इस पूरे घोटाले की जांच रिपोर्ट सोमवार को अधिकारियों ने जिला प्रशासन को सौंप दी है, लेकिन हैरत की बात है कि अब तक किसी जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई। इससे साफ है कि जिला प्रशासन दबाव में है और मामले को दबाने की कोशिश हो रही है।
ड्राई फ्रूट घोटाला भी दबा
इसी तरह गोहपारु जनपद पंचायत में ड्राई फ्रूट घोटाला हुआ था। वहां जनपद पंचायत सचिव पर गड़बड़ी के आरोप लगे और जांच जनपद से होकर जिला पंचायत और फिर कलेक्टर कार्यालय तक पहुंची, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। दोनों ही मामले दबा दिए गए, जिससे सरकार की साख पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
मिलीभगत और संरक्षण
सूत्रों के अनुसार, यह पूरा खेल रमसा में पदस्थ अधिकारी अरविंद पांडे के इशारे पर हुआ। सुधाकर कंस्ट्रक्शन उनके ही रिश्तेदारों की बताई जाती है। आरोप यह भी है कि उन्हें भाजपा के एक प्रभावशाली विधायक का संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते जिला प्रशासन हाथ बांधे बैठा है।
सरकार की फजीहत
जिले में बैठे अधिकारी इतने बेलगाम हो चुके हैं कि अब उन्हें सरकार की छवि की भी परवाह नहीं। भाजपा की मोहन यादव सरकार जहां शिक्षा सुधार और पारदर्शिता का दावा करती है, वहीं शहडोल के अफसर करोड़ों रुपये की लूट में लगे हैं। यदि समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो यह घोटाला सरकार की साख को सडक़ पर ले आएगा और चुनावी मौसम में बड़ा हथियार बनेगा।

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