बुढार के बहुचर्चित दोहरे हत्याकांड में ऐतिहासिक फैसला: पिता-पुत्र को दोहरा आजीवन कारावास और अर्थदंड

बुढार । थाना क्षेत्र के चर्चित दोहरे हत्याकांड में 30 अगस्त 2025 को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी कमल बरसाईल और उसके पुत्र वीरेंद्र बरसाईल को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 व 201 के तहत दोषी माना। दोनों को दोहरा आजीवन कारावास तथा 22,000-22,000 रुपए अर्थदंड की कठोर सजा सुनाई गई। अपर लोक अभियोजक आलोक राय की प्रभावशाली और तथ्यों पर आधारित पैरवी ने इस मामले की दिशा तय की, जिससे आरोपियों को उनके अपराध की सजा मिल सकी।
खूनी खेल की पृष्ठभूमि: जमीन विवाद बना विवाद की जड़
वर्ष 2019 में घटित यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय रही। मृतक मटल और प्रमोद मिश्रा द्वारा खरीदी गई जमीन को लेकर कमल बरसाईल और वीरेंद्र के साथ विवाद उत्पन्न हो गया। विवाद के क्रम में 19 अक्टूबर 2019 की रात आरोपियों ने धारदार हथियारों से मटल और प्रमोद पर जानलेवा हमला कर दिया, जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। अदालत ने पूरे घटनाक्रम को पूर्व नियोजित हत्या मानते हुए कड़ी फैसले की जरूरत बताई।
सबूत मिटाने की हुई प्रयास, लेकिन गवाहों ने खोला राज
हत्या के बाद आरोपी पिता-पुत्र ने पुलिस को गुमराह करने के लिए शवों को छुपाने और हथियार नष्ट करने का प्रयास किया। लेकिन पुलिस की चुस्ती और गवाहों की सशक्त गवाही से सच्चाई सामने आ सकी। विवेचना के दौरान यह प्रमाणित हुआ कि अपराध के बाद आरोपियों ने घटना को छुपाने की पूरी साजिश रची थी, जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया।
अपर लोक अभियोजक आलोक राय की सशक्त पैरवी
इस ऐतिहासिक फैसले में अपर लोक अभियोजक आलोक राय की मेहनत और कानूनी दक्षता सबसे अहम रही। उन्होंने अदालत के समक्ष सभी साक्ष्य और गवाहों की गवाही को तार्किक रूप से प्रस्तुत किया। उनकी सक्रियता और सशक्त दलीलों के चलते ही न्यायालय ने आरोपियों को दोहरा आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई।
न्यायालय का सख्त रुख और समाज को संदेश
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे जघन्य अपराध समाज की कानून-व्यवस्था और शांति के लिए गंभीर खतरा हैं। अदालत ने कड़ा संदेश दिया कि समाज में अपराध करने वाला कोई भी व्यक्ति कानून से नहीं बच सकता। यह फैसला भविष्य के अपराधियों के लिए नज़ीर रहेगा और ऐसे अपराधों के विरुद्ध समाज में भय की भावना पैदा करेगा।
इस अभूतपूर्व फैसले से बुढार क्षेत्र में कानून व्यवस्था और न्यायपालिका की सशक्त छवि सामने आई है तथा पीड़ित पक्ष को न्याय मिला है।