झूठी रिपोर्ट या सच्चा हक़? :- नीलामी में खरीदी ज़मीन, कोर्ट के आदेश भी पास फिर भी उलझा मालिक विवादों में,पुलिस में दर्ज हुई अजीबोगरीब रिपोर्ट,25 फुट सड़क, एक दीवार और कई दावे ज़मीन विवाद ने ली तूल

झूठी रिपोर्ट या सच्चा हक़? :- नीलामी में खरीदी ज़मीन, कोर्ट के आदेश भी पास फिर भी उलझा मालिक विवादों में,पुलिस में दर्ज हुई अजीबोगरीब रिपोर्ट,25 फुट सड़क, एक दीवार और कई दावे ज़मीन विवाद ने ली तूल
बैंक की नीलामी से खरीदी गई ज़मीन, प्रशासन से मिला कब्ज़ा और अदालत के आदेश भी हक़ में—इसके बावजूद जब वैध स्वामी पर ही झूठी FIR दर्ज हो जाए तो मामला खुद-ब-खुद सुर्ख़ियों में आ जाता है। माधवनगर थाना क्षेत्र का यह प्रकरण अब शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है, जहाँ एक ओर खरीदार अपने दस्तावेज़ों और न्यायालय के आदेशों का हवाला दे रहा है, वहीं दूसरी ओर आपत्ति दर्ज कराने वाले पक्ष पर “झूठी रिपोर्ट” बनाने के आरोप लग रहे हैं।
कटनी।। माधवनगर थाना क्षेत्र में एक ज़मीन के वैध स्वामित्व और कब्ज़ा मिलने के बाद भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मामला उस भूमि से जुड़ा है जिसे पंजाब नेशनल बैंक ने नीलामी के ज़रिए बेचा था। राकेश जैन “कक्का” ने यह भूमि बैंक की नीलामी प्रक्रिया से खरीदी और विधिसम्मत रूप से स्वामित्व प्राप्त किया। जानकारी के अनुसार, सुबोध अग्रवाल (पुत्र स्व. हनुमान अग्रवाल) ने उक्त भूमि बैंक में गिरवी रखी थी। ऋण न चुकाने पर बैंक ने ज़मीन की नीलामी की। इसमें भाग लेकर राकेश जैन ने यह भूमि खरीदी। बैंक द्वारा विधिवत रजिस्ट्री की गई और कब्ज़ा दिलाने की प्रक्रिया प्रशासन की मौजूदगी में 26 अगस्त 2025 को पूरी की गई।
कब्ज़ा दिलाने के समय तहसीलदार, राजस्व अधिकारी, बैंक अधिकारी, पुलिस बल सहित अधिवक्ता भी उपस्थित रहे। पंचनामा में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि भूमि के दक्षिण दिशा में 25 फीट चौड़ी सड़क है। इस पर दीवार बनी हुई थी, जिसे प्रशासनिक रिपोर्ट में भी दर्शाया गया है।
कब्ज़ा मिलने के अगले ही दिन 27 अगस्त को राकेश जैन ने निर्माण कार्य (बाउंड्री वॉल) शुरू कराया। इसी दौरान अलका अग्रवाल ने आपत्ति उठाई और कुछ सामान अपना बताते हुए ले जाने की अनुमति मांगी, जिसे राकेश जैन ने दिया।
हालांकि 31 अगस्त को निर्माण स्थल पर विवाद हुआ। मजदूरों ने शिकायत की कि एक महिला ने उन्हें गाली-गलौच की और डंडे-पत्थर से मारने का प्रयास किया। मजदूर अनुसूचित जाति वर्ग से हैं और उनका आरोप है कि जातिसूचक शब्दों का भी प्रयोग हुआ। सूचना मिलते ही माधवनगर पुलिस मौके पर पहुँची। बाद में CSP, SDM, तहसीलदार व अन्य अधिकारी भी पहुँचे। अलका अग्रवाल ने दावा किया कि विवादित दीवार उनके ससुर द्वारा बनाई गई थी, लेकिन इसके समर्थन में कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सकीं। जबकि राजस्व रिकॉर्ड और पंचनामा में यह ज़मीन सुबोध अग्रवाल के नाम ही दर्ज है।
पुलिस में दर्ज रिपोर्ट और खरीदार का पक्ष
अलका अग्रवाल ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई कि 31 अगस्त की सुबह 9:30 बजे राकेश जैन जेसीबी लेकर पहुँचे और गाली-गलौच की। इस पर राकेश जैन ने लिखित आवेदन देकर कहा है कि यह आरोप झूठा और भ्रामक है। उन्होंने बताया कि उस दिन 10:40 बजे तक वे अपने घर पर ही थे। CCTV फुटेज, माधवनगर चौक और अस्पताल परिसर के कैमरे से इसका तकनीकी सत्यापन संभव है। घटनास्थल पर वे लगभग 11 बजे पहुँचे, जहाँ पुलिस पहले से मौजूद थी। राकेश जैन का कहना है कि विवाद स्थल पर लगभग दो घंटे तक बहस हुई, लेकिन उस समय किसी ने उन पर गाली-गलौच या अभद्रता का आरोप नहीं लगाया। बाद में आरोप गढ़कर लगाए गए हैं।
वैध स्वामित्व का दावा
राकेश जैन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने बैंक की नीलामी प्रक्रिया से भूमि खरीदी है और सभी आवश्यक दस्तावेज—रजिस्ट्री, मोर्टगेज डीड, सेल सर्टिफिकेट, नामांतरण आदेश, उच्च न्यायालय जबलपुर का आदेश और पंचनामा— उनके पक्ष में हैं। उनका कहना है कि दक्षिण दिशा की सड़क पर बनी दीवार हटाना भूमि उपयोग हेतु आवश्यक था और अब उन पर “दीवार तोड़कर कब्ज़ा करने” का आरोप लगाया जाना पूर्णतः निराधार है।
कानूनी पेंच और परिजन का विवाद
भूमि से जुड़ी पृष्ठभूमि भी जटिल है। वर्ष 1983 में हनुमान प्रसाद अग्रवाल की पत्नी गीता अग्रवाल ने अपनी भूमि चार पुत्रों को विक्रय की थी। सभी में 25 फीट का रास्ता तय किया गया था। प्रमोद अग्रवाल (जिनकी पत्नी अलका अग्रवाल हैं) के हिस्से की भूमि का नामांतरण प्रकरण तहसीलदार न्यायालय में अब भी लंबित है, जिस पर प्रमोद की पहली पत्नी कृष्णा कछवाह और उनकी पुत्री तनु अग्रवाल ने भी दावा किया है। इस आधार पर राकेश जैन का कहना है कि अलका अग्रवाल को आपत्ति करने का अधिकार ही नहीं है। राकेश जैन ने पुलिस अधीक्षक और थाना प्रभारी को दिए आवेदन में कहा है कि अलका अग्रवाल द्वारा दी गई FIR झूठी है, केवल प्रशासन को भ्रमित कर उनके वैध स्वामित्व और निर्माण कार्य को बाधित करने के उद्देश्य से दर्ज कराई गई है। उन्होंने माँग की है कि माधवनगर थाने में दर्ज प्रकरण क्र. 0750/2025 दिनांक 31-08-2025 को निराधार मानते हुए खारिज किया जाए।