अमलाई बरगवां : कब लगेंगे विकास के पंख? चौराहों का सौंदर्यीकरण और सामूहिक पहल से मिल सकती है नई उड़ान
अमलाई। ओरिएंट पेपर मिल के नाम से पहचान बनाने वाला अमलाई क्षेत्र आज भले ही अपने औद्योगिक इतिहास के लिए जाना जाता हो, लेकिन जिलों के पुनर्गठन के बाद यहां की प्रशासनिक स्थिति और विकास की रफ्तार को लेकर सवाल लगातार उठते रहे हैं। राजस्व हल्का शहडोल से हटकर अनूपपुर जिले में शामिल हो गया, जबकि रेलवे स्टेशन “अमलाई” अब भी इस क्षेत्र की पहचान को बचाए हुए है। यही नहीं, रेलवे स्टेशन की एक ओर अनूपपुर जिला और दूसरी ओर शहडोल जिला आता है। यही स्थिति अमलाई पोस्ट ऑफिस की भी है, जो अब भी 484116 पिनकोड के साथ क्षेत्र की पहचान को जीवित रखे हुए है, हालांकि भवन और आधुनिकीकरण की चुनौतियां यहां भी हैं।पांच साल पहले ग्राम पंचायत से उठाकर अमलाई बरगवां को कस्बे का दर्जा दिया गया था। उस समय स्थानीय लोगों ने सोचा था कि अब विकास की गाड़ी तेज रफ्तार पकड़ेगी और गांव से कस्बे और कस्बे से नगर परिषद तक का सफर आसान होगा। नगर परिषद का गठन हुआ, तीन साल बीत गए, लेकिन लोग आज भी बेसब्री से पूछ रहे हैं “कब लगेंगे विकास के पंख?”
अब तक की उपलब्धियां और सीमाएं
नगर परिषद बनने के बाद बिजली के पोल और रात्रिकालीन प्रकाश व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाओं ने जरूर लोगों को राहत दी है। सफाई व्यवस्था भी अब नियमित रूप से नगर परिषद की गाड़ी के जरिए संचालित हो रही है। इन परिवर्तनों ने नागरिकों में यह एहसास जगाया कि वे अब गांव नहीं, बल्कि नगर में रहते हैं।
लेकिन यदि बड़े परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो आज भी कस्बा उन सौंदर्य और विकास कार्यों से वंचित है, जो नगर परिषद का दर्जा मिलने के बाद अपेक्षित थे। चौड़ी सड़कों पर स्ट्रीट लाइटों की कतार, सुंदर चौराहे, फव्वारे और “आई लव अमलाई” जैसे साइन बोर्ड जो अन्य नगरों की पहचान बन चुके हैंअभी यहां केवल सपना ही हैं।
चौराहों का महत्व और संभावनाएं
नगर परिषद क्षेत्र में कई ऐसे स्थान हैं, जहां सौंदर्यीकरण और व्यवस्थित चौराहे बन सकते हैं। डूंगरिया ओला और अंडरब्रिज वाला चौराहा, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड तिराहा, बापू चौक और साईं मंदिर के सामने का मार्ग—ये सभी स्थान विकास की दृष्टि से अहम हैं।
बापू चौक तो अमलाई का हृदय कहा जा सकता है। यहां से बुढ़ार, चचाई और बरगवां तक के रास्ते निकलते हैं। यदि इस चौराहे का सौंदर्यीकरण हो जाए और प्रतिमा स्थापना के साथ यहां चौड़ी सड़कें बनें, तो व्यापारिक गतिविधियां बढ़ सकती हैं। साईं मंदिर से रेलवे स्टेशन जाने वाले मार्ग का चौड़ीकरण भी आवश्यक है। यदि 6 से 12 मीटर चौड़ी सड़कें दोनों ओर व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के साथ विकसित हों, तो यहां चहल-पहल और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बन सकता है।
नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की भूमिका
विकास की इस राह में स्थानीय नागरिकों की पहल जितनी जरूरी है, उतनी ही नगर परिषद का सहयोग भी। नगर परिषद के गठन को तीन साल से अधिक समय हो चुका है, और अब तक की उपलब्धियों से आगे बढ़ते हुए अगले दो सालों में ठोस कदम उठाना अनिवार्य हो गया है।
नगर परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, सभी पार्षद, समाजसेवी और व्यापारी वर्ग यदि एक साथ बैठकर साझा रोडमैप तैयार करें, तो अमलाई बरगवां को नई पहचान दी जा सकती है। यह समय टांग खींचने का नहीं, बल्कि सहयोग और सामूहिक प्रयास का है।
सकारात्मक सोच से ही बदलेगी तस्वीर
यदि नगर परिषद और समाज के अन्य वर्ग मिलकर मुख्य मार्गों के चौराहों और तिराहों का सौंदर्यीकरण कर दें, तो आने वाले समय में अमलाई न केवल व्यापारिक केंद्र बनेगा, बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी नया आयाम गढ़ सकेगा। कल्पना कीजिए कि चौड़ी सड़कें, दोनों ओर आकर्षक दुकानें, चौपाटी, स्ट्रीट लाइटों से जगमगाता माहौल और आधुनिक चौराहों पर सेल्फी पॉइंट हों तब अमलाई की छवि कितनी बदल जाएगी।
अमलाई बरगवां के लोगों का सपना है कि उनका कस्बा भी अन्य नगरों की तरह पहचान बनाए। इस दिशा में कुछ कदम उठे जरूर हैं, लेकिन असली उड़ान अभी बाकी है। विकास के पंख तभी लगेंगे, जब स्थानीय नागरिक, व्यापारी वर्ग और जनप्रतिनिधि मिलकर ठोस पहल करेंगे। नगर परिषद की जिम्मेदारी है कि आगामी कार्यकाल में ऐसे कार्य किए जाएं जो आने वाली पीढ़ियों तक याद किए जाएं।