कंचनपुर पंचायत में निर्माणाधीन आंगनबाड़ी केंद्र की गुणवत्ता पर सवाल — एक साल में भी नहीं पूरा हुआ काम, बीम-कालम टेढ़े, चौखट घटिया, कार्रवाई की माँग तेज

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सुधीर यादव (9407070722) 

शहडोल। जनपद पंचायत सोहागपुर के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत कंचनपुर में निर्माणाधीन आंगनबाड़ी भवन की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों द्वारा उठाए जा रहे आरोपों के अनुसार, इस भवन का निर्माण कार्य पिछले लगभग एक वर्ष से जारी है, लेकिन अब तक न तो भवन का स्वरूप ठीक से तैयार हो पाया है और न ही गुणवत्ता का पालन किया जा रहा है। निर्माण में उपयोग की जा रही सामग्री को लेकर संदेह जताया गया है, वहीं स्तंभ (कालम), बीम और चौखटों में गंभीर खामियाँ स्पष्ट दिखाई दे रही हैं।

 

एक साल में अधूरा, फिर भी घटिया निर्माण जारी

बताया जा रहा है कि आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कार्य लगभग 12 महीने पहले प्रारंभ किया गया था। नियमानुसार यह भवन कुछ ही महीनों में पूर्ण हो जाना चाहिए था, लेकिन कार्य में न केवल टालमटोल की गई, बल्कि जो कार्य किया जा रहा है, वह भी न्यूनतम मानकों को ध्यान में रखे बिना किया जा रहा है।

ग्रामीणों के अनुसार, जिस आंगनबाड़ी भवन में भविष्य में छोटे बच्चों को पोषण आहार, शिक्षा पूर्व देखभाल एवं स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलनी हैं, उसी भवन की बुनियाद ही कमजोर रखी जा रही है। दीवारों की सीधाई, बीम का स्तर, कालम की मजबूती और चौखट की फिटिंग — सभी में भारी खामियाँ देखी गईं।

 

टेढ़े-मेढ़े कालम, कमजोर बीम और घटिया लकड़ी का उपयोग

निर्माण स्थल के प्रत्यक्षदर्शियों और संबंधित फोटो साक्ष्यों के आधार पर यह सामने आया है कि: अधिकांश कालम टेढ़े-मेढ़े खड़े हैं छत को सहारा देने वाले बीम झुके हुए और असमान दिखाई देते हैं चौखटों में सड़ी-गली या कमजोर लकड़ी का प्रयोग किया गया है ईंट, बालू, सीमेंट और सरिया की गुणवत्ता सामान्य मानकों से कमतर प्रतीत होती है प्लास्टरिंग और फिनिशिंग का काम शुरू होने से पहले ही दरारें नजर आ रही हैं

ऐसे निर्माण से भविष्य में भवन गिरने, टूटने अथवा दरार उत्पन्न होने की आशंका बढ़ जाती है।

 

जिम्मेदारों की चुप्पी, निगरानी व्यवस्था पर सवाल

ग्रामीणों ने सरपंच और सचिव सहित संबंधित विभागीय अधिकारियों पर गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों के मुताबिक, यदि निर्माण कार्य की नियमित मॉनिटरिंग की जाती तो इस तरह की खामियां सामने ही नहीं आतीं। स्थानीय लोगों का सवाल है कि:

क्या पंचायत प्रतिनिधि और सचिव ने साइट निरीक्षण किया?

क्या बीडीओ/जनपद सीईओ को निर्माण प्रगति की जानकारी दी गई?

क्या उपयंत्री या तकनीकी सहायक ने गुणवत्ता जाँच की?

अब तक इस संबंध में किसी अधिकारी की ओर से न तो संतोषजनक जवाब मिला है और न ही सुधारात्मक कार्रवाई होती दिखाई दे रही है।

 

बच्चों के भविष्य और सुरक्षा से समझौता

आंगनबाड़ी केंद्र एक ऐसा संस्थान है जहां 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को कुपोषण मुक्ति, प्री-स्कूल शिक्षा और स्वास्थ्य लाभ से जोड़ा जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भवन की मजबूती व संरचना ठीक नहीं हुई तो:

बच्चों की जान को खतरा रहेगा

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता असुरक्षित स्थिति में रहेंगी

किसी भी समय भवन के गिरने या क्षतिग्रस्त होने की आशंका बनी रहेगी

सरकारी योजनाओं का लाभ सही तरीके से नहीं पहुंच पाएगा

ऐसे में ग्रामीणों ने प्रशासन से प्रश्न किया है कि जब संवेदनशील भवन के निर्माण में ही कोताही बरती जा रही है, तो योजनाओं के क्रियान्वयन से कैसे उम्मीद की जा सकती है?

 

ग्रामीणों की शिकायत लंबित, जांच की मांग तेज

अब तक इस मामले की कोई आधिकारिक शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों तक नहीं पहुंच सकी है। ग्रामीणों ने बताया कि वे सामूहिक रूप से ज्ञापन तैयार कर जनपद पंचायत, जिला पंचायत, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं। लोगों की यह भी मांग है कि:

निर्माण स्थल का तकनीकी निरीक्षण कराया जाए

दोषी ठेकेदार, पंचायत प्रतिनिधि और सचिव पर कार्रवाई हो

संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए

घटिया निर्माण को तोड़कर पुनः गुणवत्तापूर्ण कार्य कराया जाए

इसके अलावा ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण कार्य में किए गए भुगतान की जांच हो तथा खर्च का पूरा ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।

 

क्या है प्रशासन की जिम्मेदारी?

पंचायत राज अधिनियम और निर्माण मानक गाइडलाइन के अनुसार, आंगनबाड़ी भवन निर्माण में निम्न बिंदुओं का पालन आवश्यक है:

स्वीकृत मानकों का प्रयोग

नियमित तकनीकी निरीक्षण

कार्य प्रगति की मासिक समीक्षा

सामग्री परीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण

रिकॉर्ड में पारदर्शिता

उपयोग योग्य संरचना की समयावधि के भीतर पूर्णता

इन मानकों की अवहेलना होने पर सरपंच, सचिव, जनपद के तकनीकी कर्मचारी और संबंधित विभागीय अधिकारी उत्तरदायी माने जाते हैं।

 

जनता में बढ़ा रोष, भ्रष्टाचार का संदेह

ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण कार्य में देरी और घटिया सामग्री के उपयोग से भ्रष्टाचार की बू आती है। उनका मानना है कि यदि कार्य पारदर्शिता से होता तो:

सामग्री सही दर्ज होती

निर्माण में समयसीमा का पालन होता

निरीक्षण अधिकारियों की उपस्थिति होती

पंचायत की बैठक में चर्चा होती

ग्रामीण अब जनप्रतिनिधियों से जवाब मांगने की तैयारी में हैं और मीडिया के माध्यम से इस मुद्दे को उजागर करने की बात कह रहे हैं।

 

निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई की मांग

कंचनपुर पंचायत के ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि अधिकारियों ने जल्द संज्ञान नहीं लिया तो वे आंदोलन या धरना देने पर मजबूर होंगे। मांग की गई है कि जिला कलेक्टर, जनपद सीईओ, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा तकनीकी शाखा के अधिकारी मौके का निरीक्षण करें और सभी जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।

एक वर्ष से चल रहे इस निर्माण कार्य में न केवल देरी, बल्कि गुणवत्ता की भारी अनदेखी सामने आई है। यदि इस मामले की अनदेखी जारी रही, तो यह केवल योजनाओं के भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण बनकर रह जाएगा। ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि आंगनबाड़ी भवन बच्चों की सुरक्षा और भविष्य से जुड़ा विषय है, इसलिए इस मामले में तुरंत जांच और कार्रवाई होनी चाहिए।

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