सरकारी ज़मीन पर पंकज इलेक्ट्रॉनिक्स का कब्जा कायम, जयसिंहनगर में नियमों की धज्जियां उड़ाने का खुला खेल
 शहडोल। शासन की भूमि पर कब्जा कर व्यावसायिक साम्राज्य खड़ा करना अब बेखौफ लोगों के लिए आम बात बन चुकी है। ताजा मामला जयसिंहनगर बस स्टैंड क्षेत्र का है, जहां जनकपुर रोड स्थित पंकज इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल्स एंड फर्नीचर नामक प्रतिष्ठान ने कथित रूप से पीडब्ल्यूडी आवास की भूमि पर अवैध निर्माण कर रखा है। मामला उजागर होने के बावजूद न नगर परिषद हरकत में आई और न ही राजस्व अमला। सवाल उठ रहा है कि आखिर किसके इशारे पर यह अवैध कब्जा प्रशासन की नाक के नीचे फल-फूल रहा है?
शहडोल। शासन की भूमि पर कब्जा कर व्यावसायिक साम्राज्य खड़ा करना अब बेखौफ लोगों के लिए आम बात बन चुकी है। ताजा मामला जयसिंहनगर बस स्टैंड क्षेत्र का है, जहां जनकपुर रोड स्थित पंकज इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल्स एंड फर्नीचर नामक प्रतिष्ठान ने कथित रूप से पीडब्ल्यूडी आवास की भूमि पर अवैध निर्माण कर रखा है। मामला उजागर होने के बावजूद न नगर परिषद हरकत में आई और न ही राजस्व अमला। सवाल उठ रहा है कि आखिर किसके इशारे पर यह अवैध कब्जा प्रशासन की नाक के नीचे फल-फूल रहा है?
पीडब्ल्यूडी आवास की भूमि पर खड़ा व्यावसायिक प्रतिष्ठान
बस स्टैंड से सटी जनकपुर रोड पर स्थित वह भूमि मूलत: लोक निर्माण विभाग के आवासीय प्रयोजन के लिए आवंटित थी। बाद में 13 अप्रैल 2018 को जिला प्रशासन द्वारा आदेश जारी कर यह भूमि नगर परिषद जयसिंहनगर को सौंपी गई थी, शर्त यह थी कि उक्त ज़मीन का उपयोग केवल ठेला-व्यापारियों के शेड निर्माण या सार्वजनिक प्रयोजन के लिए किया जा सकेगा, लेकिन आज उसी ज़मीन पर पंकज इलेक्ट्रॉनिक्स एंड फर्नीचर जैसी बड़ी व्यावसायिक दुकान खुलकर संचालित हो रही है। पूर्व पार्षद जयप्रकाश पांडेय ने 3 सितंबर 2025 को आयुक्त को शिकायत पत्र देकर स्पष्ट कहा कि यह निर्माण न केवल अवैध है बल्कि प्रशासनिक मिलीभगत का परिणाम है। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी आवास की ज़मीन को तोडक़र वहाँ व्यावसायिक गतिविधि शुरू कर दी गई, जो भूमि आवंटन की शर्तों का खुला उल्लंघन है।
हाईकोर्ट में गुमराह करने का आरोप
शिकायत में यह भी खुलासा हुआ कि कब्जाधारी ने 3 अक्टूबर 2024 को जबलपुर हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की, जिसमें संबंधित भवन को आवासीय निर्माण बताकर न्यायालय से राहत मांगी गई थी। जबकि वास्तविकता में वहाँ रोज़ाना इलेक्ट्रॉनिक और फर्नीचर की बिक्री होती है। यह न्यायालय को भ्रमित करने और शासकीय भूमि पर स्थायी व्यावसायिक निर्माण करने का संगीन मामला है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सिर्फ कब्जा नहीं बल्कि एक संरक्षित अवैध कारोबार है, जो प्रभावशाली तंत्र की शह पर पनप रहा है। नगर परिषद और प्रशासन की चुप्पी ने जनता के मन में यह संदेह पुख्ता कर दिया है कि या तो कोई उच्च दबाव है या फिर इस पूरे खेल में अंदरूनी सांठगांठ है।
नगर परिषद का नोटिस बना कागज़ी औपचारिकता
जब शिकायत सार्वजनिक हुई, तो 6 अक्टूबर 2025 को नगर परिषद जयसिंहनगर के मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने कब्जाधारी कुंजबिहारी गुप्ता को नोटिस जारी किया था। नोटिस में स्पष्ट निर्देश थे कि 24 घंटे के भीतर अतिक्रमण हटाया जाए, अन्यथा बलपूर्वक कार्रवाई होगी और व्यय की वसूली भी की जाएगी। प्रतिलिपि कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और थाना प्रभारी को भी भेजी गई थी, लेकिन हैरानी की बात यह है कि एक महीना बीतने के बाद भी न तो कब्जा हटाया गया, न ही प्रशासन ने कार्रवाई की। उल्टा, पंकज इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान उसी रफ्तार से चलती रही मानो कुछ हुआ ही नहीं। नगर परिषद के अधिकारी अब इस पर मौन साधे हुए हैं।
प्रभावशाली व्यक्तियों का संरक्षण या विभागीय मिलीभगत?
बस स्टैंड क्षेत्र की भूमि का व्यावसायिक उपयोग खुलेआम होना प्रशासनिक मशीनरी की नाकामी को उजागर करता है। यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या नगर परिषद, राजस्व विभाग और पुलिस तंत्र जानबूझकर आँखें मूँदे बैठे हैं? स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सरकारी भूमि पर स्थायी निर्माण करना, उसे व्यावसायिक उपयोग में लाना और फिर न्यायालय में गलत तथ्यों के आधार पर राहत लेना, यह सब योजनाबद्ध तरीके से किया गया है। एक व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब भी इस अतिक्रमण के खिलाफ आवाज़ उठाई जाती है, ऊपर से फोन आ जाता है और अधिकारी जांच बंद कर देते हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि मामला किसी न किसी राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण में पल रहा है।
कमिश्नर करें हस्तक्षेप
पूर्व पार्षद जयप्रकाश पांडेय ने कहा कि यह केवल अतिक्रमण नहीं बल्कि सरकारी संपत्ति की खुली लूट है। उन्होंने कहा कि प्रशासन के पास सारी जानकारी मौजूद है, भूमि का खसरा, आवंटन आदेश और नगर परिषद का नोटिस फिर भी कार्रवाई का अभाव भ्रष्टाचार की बू देता है। उन्होंने संभाग आयुक्त से हस्तक्षेप कर तुरंत कब्जा हटाने और न्यायालय को गुमराह करने के आरोपों की जांच की मांग की है।
 
                                                                    
                                                                    
                                                                    
                                         
                                         
                                         
                                        