प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में प्रदेश के मामा ने लगाई हाजिरी, भक्ति, गुरु कृपा और संस्कार की धारा बहा गए दद्दा जी,उनका निराकार स्वरूप आज भी हमारे बीच है:- केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान

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प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में प्रदेश के मामा ने लगाई हाजिरी, भक्ति, गुरु कृपा और संस्कार की धारा बहा गए दद्दा जी,उनका निराकार स्वरूप आज भी हमारे बीच है:- केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान
कटनी।। झिंझरी स्थित श्रीकृष्ण वृद्ध आश्रम प्रांगण, दद्दा धाम में बीते 9 नवंबर से चल रहे प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के पंचम एवं अंतिम दिवस पर श्रद्धा और भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिला। इस पावन अवसर पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, वरिष्ठ नेता अरविंद मेनन और विनोद गोटिया पहुंचे।


महोत्सव स्थल पर पहुंचने से पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सबसे पहले परम पूज्य गृहस्थ संत पं. देवप्रभाकर शास्त्री “दद्दा जी” की समाधि पर पहुंचकर नमन किया और आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके पश्चात वे दद्दा जी के नवनिर्मित मंदिर में पहुंचे, जहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजन-अर्चन कर दद्दा जी के दर्शन किए। कथा व्यास स्थल पर सुप्रसिद्ध कथा वाचक पं. इन्द्रेश उपाध्याय जी महाराज, भागवत प्रभु जी महाराज एवं पं. बद्री प्रपन्नाचार्य जी महाराज विराजमान थे। जैसे ही केंद्रीय मंत्री श्री चौहान कथा व्यास पर पहुंचे, पूरा परिसर तालियों की गूंज से भर उठा।
पूर्वमंत्री एवं विधायक संजय सत्येन्द्र पाठक, जो दद्दा जी के परम प्रभावक शिष्य हैं, ने सभी अतिथियों का स्वागत कर कहा कि “दद्दा जी के सान्निध्य में जीवन धन्य हो जाता है, और आज यह महोत्सव उसी कृपा का परिणाम है।”
सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा-“दद्दा जी भक्ति, भाव और कर्म की त्रिवेणी थे। वे केवल एक संत नहीं, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ने वाले सेतु थे। उनका आशीर्वाद आज भी हम सब पर है, वे निराकार होकर भी हर जगह विद्यमान हैं। उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने इतना अद्भुत, अनुशासित और भावनाओं से ओतप्रोत प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव पहले कभी नहीं देखा। श्री चौहान ने आयोजन की भव्यता और श्रद्धा के लिए विधायक संजय पाठक तथा समस्त दद्दा शिष्य मंडल की हृदय से प्रशंसा की।
इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु, जनप्रतिनिधि, साधु-संत और दद्दा धाम परिवार के सदस्य उपस्थित रहे। वातावरण में भक्ति, गुरु-शिष्य भाव और भारतीय संस्कृति की सुगंध घुली रही, जहां हर हृदय से एक ही भाव निकल रहा था-जय गुरुदेव दद्दा जी की।

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