जंगल में मिला डेढ़ महीने से लापता बुज़ुर्ग का कंकालनुमा शव, सवालों का पहाड़ खड़ा
जंगल में मिला डेढ़ महीने से लापता बुज़ुर्ग का कंकालनुमा शव, सवालों का पहाड़ खड़ा
कटनी /कैमोर।। कैमोर के कैलाश नगर क्षेत्र में एक ऐसी घटना ने इलाके को दहशत और सन्नाटे में झोंक दिया है कि लोग अभी भी बहकते हुए कदम समझ नहीं पा रहे जंगल की गहराई से एक कंकालनुमा शव निकल आया, जिसे मिलते ही पूरे मोहल्ले की साँसें थम सी गईं। मृतक की पहचान आसपास मिले कपड़ों और शारीरिक बनावट के आधार पर 70 वर्षीय रामसिंह रघुवंशी के रूप में हुई, जो डेढ़ महीने से घर वापस लौटने वाले नहीं थे। घटना की शुरुआत तब हुई जब जंगल में लकड़ियाँ काटने निकले मजदूरों की नजर घास-फूस के बीच पड़ी हुई मानव देह पर पड़ी। मजदूरों का कहना है कि हालत इतनी भयानक थी कि किसी भी सामान्य दृष्टि से चेहरे की पहचान असंभव थी — केवल कपड़े, कद-काठी और कुछ अन्य संकेतों से ही मोहल्लेवासियों ने रामसिंह होने की पुष्टि की। मजदूर उसी मौके पर सन्न रह कर भागे और फिर पुलिस को सूचित किया। शव की हालत देखकर कहा नहीं जा सकता कि यह मौत किस वजह से हुई पर स्थिति ऐसी है कि कई सवाल उठते हैं। घटना स्थल पर पहुंची कैमोर पुलिस ने जंगल के उस हिस्से को घेराबंदी कर सर्च और साक्ष्य-संग्रह शुरू कर दिया। पुलिस ने घटनास्थल से कपड़ों और अन्य संभावित सुरागों को कलेक्ट कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा है।
परिवार का दर्द और आशंकाएँ
परिजनों ने बताया कि रामसिंह मानसिक अस्थिरता से जूझते थे और अक्सर घर से भटक जाया करते थे। इस बार भी घर से बाहर निकले और वापस नहीं लौटे पर डेढ़ महीने तक किसी के ध्यान में न आना, और जंगल में ऐसे हालात में पड़े रहना परिजनों और मोहल्ले दोनों के लिए अविश्वसनीय और कष्टप्रद है। भाई महेश सिंह मुंबई में मजदूरी करते हैं और घर से दूर रहते हैं. परिवार मौजूदा हालात में हैरान और टूट चुका है। पड़ोसी और रिश्तेदार अपने-अपने तरीके से परिवार को सांत्वना दे रहे हैं, पर डर और शोक के साथ अनिश्चितता भी साफ झलक रही है।
थाना प्रभारी ने आश्वस्त किया है कि मृत्यु के हर कोण से जांच होगी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत की वास्तविक वजह सामने आएगी। पर इसी बीच कई अनजाने सवाल हवा में तैर रहे हैं जिनका अभी कोई ठोस जवाब नहीं है। क्या यह मात्र एक अकेली मौत थी जो प्राकृतिक कारणों या बीमारी से हुई, या कहीं कोई आपराधिक कारण तो नहीं छिपा? यदि शव डेढ़ महीने से जंगल में पड़ा रहा, तो आसपास के लोगों ने यह कैसे न देखा क्या उस क्षेत्र में आए दिन लोग नहीं आते-जाते?
क्या ये साक्ष्य किसी संघर्ष या हमले की ओर इशारा करते हैं? क्या मृतक के मानसिक मामले और बाहर अकेले निकलने की प्रवृत्ति की वजह से कोई संवेदनशील स्थिति उत्पन्न हुई जिसे समय रहते रोका नहीं गया? मोहल्ले के लोगों का कहना है कि एक मानव देह का ढेर सारी जिज्ञासाएँ छोड़ जाना एक इंसान डेढ़ महीने तक जंगल में पड़ा रहा और किसी ने ध्यान क्यों न दिया? कानून-प्रणाली की ओर से फिलहाल जिस सबसे विश्वसनीय कड़ी की उम्मीद की जा रही है वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट है जो बताएगी कि मृत्यु कारण प्राकृतिक, बीमारी, दुर्घटना या आपराधिक कृत्य। फॉरेंसिक टीम द्वारा जुटाए गए साक्ष्यों के मिलान और पड़ताल के बाद ही कोई निष्कर्ष निकलेगा। थाना प्रभारी ने नागरिकों से संयम बरतने और जांच में बाधा न डालने की अपील की है, साथ ही आश्वस्त किया कि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित की जाएगी। अभी के लिए इलाके में खामोशी, डर और संदेह का साम्राज्य है और हर कोई यह जानने को बेकरार है कि उस जंगल की घास-फूस के बीच क्या हुआ था, और क्या सच उससे भी अधिक चिंताजनक होगा जो पहली नज़र में दिख रहा है। जांच जारी है; पोस्टमार्टम और फोरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही घटना के संदिग्ध/निष्पक्ष पहलुओं पर ठोस प्रकाश डाला जा सकेगा।