पुन: कुलपति बननें के लिये लग रहें दिल्ली और नागपुर के चक्कर

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Ajay Namdev-7610528622

कुलपति का जनवरी में होगा कार्यकाल समाप्त
जल्द होगी नई कुलपति की घोषणा


अनूपपुर। इंदिरा गांधी नेशनल ट्राईबल यूनिवर्सिटी अमरकंटक में पदस्थ कुलपति टीवी कट्टीमनी का विश्वविद्यालय में 5 वर्ष का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। 16 जनवरी 2014 को टीवी कट्टीमनी ने आईजीएनटीयू के वाइस चांसलर का पदभार संभाला था। जिसके बाद से अब तक वाइस चांसलर के रूप में अपनी सेवा अमरकंटक में स्थित आईजीएनटीयू विश्वविद्यालय में दी। 2019 जनवरी में कार्यकाल के अंतिम दिनों टीवी कट्टी मनी विश्वविद्यालय से महीनों से बाहर चल राहें है। खबरों की मानें तो कट्टीमनी आए दिन नागपुर, दिल्ली, भोपाल सहित ऐसी जगहों पर चक्कर लगा रहे हैं जहां से उन्हें ट्राईबल यूनिवर्सिटी में पुन: कुलपति बनने का आश्वासन मिल रहा है। विश्वविद्यालय के साथ राजनीतिक गलियारों में यह भी खबर तेजी से फैल रही है की कट्टीमनी के द्वारा ऐडी-चोटी का जोर लगाकर राजनीतिक बलबूते पर विश्वविद्यालय में दोबारा पदस्थ होने की कवायत लगाई जा रही है। इसे देखकर यही लगता है कि ‘जहां भी बने जैसा भी बने बने पर जरूर बने’ इसी तर्ज पर कुलपति आए दिन संघ और एबीवीपी के उन बडे पदाधिकारियों जिनके इसारों में कुलपति का चयन होता है उनसे से मिलने की खबर आती रहती है। बीते महीनों में संघ और एबीवीपी के बडे पदाधिकारी भी विश्वविद्यालय में भ्रमण के लिए आए हुए थे। जिससे यह आकलन कर देखा जा रहा है कि कुलपति के द्वारा अपने दुबारा विश्वविद्यालय में पदस्थापना के लिये पदाधिकारियों को विश्वविद्यालय बुलाया जा रहा है। विश्व विद्यालय में तीन बडे पदाधिकारियों की सरकारी यात्रा भी हो चुकी है। जिससे विश्वविद्यालय के शौक्षिक कार्य भी प्रभावित हो रहे है। कुल पति द्वारा इतने दिनों तक विश्वविद्यालय से बाहर रहनें और अपना प्रभार भी किसी को न देने से कर्यो का प्रभवित होना लाजमी हो गया है। इसे राजनीतिक नजरिया से देखा जाए तो कुलपति पद के लिए पूरी ताकत लगाने और संभावित संभावनाओं की पूर्ति हेतु कोई कसर ना छोडऩे की कोशिश में लगे हुए हैं। कुलपति के इतनें दिनों तक विश्वविद्यालय से बाहर रहने का कोई औचित्य नहीं है।
टीचरों के मन और सेलेबस बदलने की जरूरत
नेशनल दस्तक को दिए इंटरव्यू यह साफ दर्शाता है कि कुलपति विश्वविद्यालय में रहकर अपनी सेवा विश्वविद्यालय को देना चाहते हैं। उन्होंने नेशनल दस्तक में इंटरव्यू में कहा कि आने वाले समय में विश्वविद्यालय के सिलेबस बदलने की जरूरत है, टीचरों के मन बदलने की जरूरत है वहां और अच्छे तरीके से काम करने की जरूरत है और मैं ऐसा करना चाहता हूं। इन वाक्याशों से लगता है की विश्व विद्यालय से कुलपति का मोह कार्यकाय के समाप्ती की ओर आते ही बढनें लगा है और वे अपनी सेवायें विश्वविद्यालय को और देना चाहतें है। इसके पिछे तथ्य तो उनके करीबी और वे स्यंम ही बता सकतें है पर इससे यह साफ हो जाता है की टीवी कट्टीमनी के द्वारा विश्वविद्यालय में रुकने का भरसक प्रयास किये जा रहें है।
काट रहें नागपुर और दिल्ली के चक्कर
पुन: पदस्थापना के लिये पूर्ण प्रयास में लगे कुल पति अये दिन कानपुरए दिल्ली के चक्कर काट रहें है। कुलपति की हर सम्भव कोशिश विश्व विद्यालय में रह कर सेवा देनें की है। इसके लिये कुलपति नें राजनौतिक दरबाजे खटखटानें लगे है। महीनों से कुलपति विश्व विद्यालय से बाहर चल रहें है। अब जब विश्व विद्यालय मे कार्यकाल का अखिरी महीना चल रहा हो और कुलपति विश्व विद्यालय से बाहर चल रहें हो तो सवाल का उठना तो लाजमी बनता है। देखना यह होगा की राजनौतिक पावर के बलबूूूूते कट्टी मनी विश्वविद्यालय में पुन: पदस्थ होतें है या नये कुलपति की राह देख रहे विश्वविद्यालय को अपना नया कुलपति मिल पाता है।
तानाशाही का आलम
विश्वविद्यालय से मिलनें वाली खबरों में तानाशाही का जिक्र कही न कही आता ही है। शिक्षकों प्रोफेेसरो और छात्र छात्राओं पर तानाशाही रवैया के विरूद्ध उठनें वाली आवाजों को शाम-दाम-दंड-भेद के माध्यम से आवाजों कों दबा दिया जाता है। विश्वविद्यालय में अध्यनरत छात्र-छात्राओं के साथ छलावा व्यौहार किया जाता है जहां दिखता कुछ और है और होता कुछ और है। विश्वविद्यालय मे छात्रों के भोजन से पठाई तक की सुविधाओं में छलाव और सुविधा का झुनझुना ही मिलता है। और यहां तक की छात्राओं को शाम के 6 बजते ही हास्टाल में बंद कर दिया जाता है। देश के अन्य जगहों और विश्व विद्यालयों में छात्रावास बंद होने का समय 8 या 9 तक होता है पर यह एक मात्र विश्वविद्यालय है जहां शाम होते ही छात्राओं से उनकी आजादी छीन ली जाती है।

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