सीएमओ चाहती हैं नगर का चहुंमुखी विकास, पार्षद लगा रहे अड़ंगा
अभी तक नहीं हुआ पिछले वर्ष का भुगतान
अध्यक्ष और पार्षदों के आपसी तालमेल ठीक नहीं
ब्योहारी। नगर के विकास कार्यों में वार्ड पार्षद रोडा अटका बन रहे, वार्ड पार्षद कुछ पार्षदों के चलते नगर का विकास कार्य अवरूद्ध हो रहा है। पार्षदों की हठधर्मिता के चलते नगरीय क्षेत्र के तमाम विकास कार्य रूके हंै। कुछ पार्षदों की मनमानी के चलते विकास कार्य रूके है। परिषद की बैठकों में नगर के विकास कार्यों के एजेंडों पर होने वाली चर्चाओं के विमुख आपसी गुटबाजी के कारण विरोध ही करते रहते है। पार्षदों को नगर विकास की कोई चिन्ता ही नहीं है, ये महज अपनी स्वार्थपूर्ति हेतु लगे रहते है। परिषद की होने वाली अति महत्वपूर्ण बैठकों में अपने वार्डो के विकास कार्यो की चर्चाओं के बजाय कुछ पार्षद आपसी गुटबाजी के कारण नगर विकास के एजेन्डों में केवल विरोध ही करते रहते है। सीएमओ तो विकास कार्य कराना चाहतीं है, लेकिन अध्यक्ष और पार्षदों के आपसी तालमेल ठीक नहीं होने के चलते नगर के विकास कार्यों में रूकावट आ रही है। बंद कमरे में ये पार्षद एक होना नहीं चाहते और सड़क पर सिस्टम को दोष देते है। हर पार्षद परिषद में अपनी चलाना चाहता है जिससे सामंजस्य नहीं बन पाता और यहां के विकास कार्यो में अवरोध बना रहता है। राशि भुगतान कराने की मांगवहीं व्योहारी निवासी दशरथ पटेल, लल्लू यादव, गोरे पटेल आदि ने जिला कलेक्टर से इस आशय की लिखित शिकायत की है की वर्ष 2017-18 में परिषद की बैठक 28 दिसम्बर 2017 के प्रस्ताव क्रमांक 01 में लिए गये निर्णय अनुसार पूर्व गोदावल मेला में 14 जनवरी से 20 जनवरी तक सार्वजनिक वितरण हेतु खिचड़ा बनवाया गया था। जिसका आज तक भुगतान नहीं किया गया है। भुगतान के लिए परिषद कार्यालय से सम्पर्क करने पर बताया जाता है की मेला व्यावस्था हेतु बनी नियंत्रण समिति के सदस्यों के द्वारा भुगतान का अनुमोदन/अनुशंसा नहीं की जाती जिससे हमारे द्वारा 07 दिवस तक मेला प्रांगण में रहकर खिचड़ा बनाने का कार्य कराया गया था जिसका भुगतान नहीं हो पा रहा है। पीडि़त ने भुगतान के लिए जब नियंत्रण समिति में शामिल पार्षदों से अनुरोध किया तो उन्होंने कुल बिल का 05 प्रतिशत कमीशन देने की बात कही। प्रार्थी दशरथ पटेल गरीब आदमी है उसने कलेक्टर से परिषद द्वारा मकर संक्रांति के अवसर पर लगने वाले सात दिवसीय गोदावल मेले में परिषद के आदेश पर सैकड़ों लोगों के लिए खिचड़ा बनाने का काम अपने दो सहायकों के साथ किया था। जिसका भुगतान कुल 12500 रूपये अप्राप्त है। जिसका भुगतान कराने का अनुरोध किया।