10 पंचायतें, 1 उपयंत्री, लाखों का भ्रष्टाचार

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मामला बुढ़ार जनपद के उपयंत्री अनिल शुक्ला का

(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। जिले की बुढ़ार जनपद अंतर्गत एक दशक पूर्व से पदस्थ उपयंत्री अनिल शुक्ला की मनमानी और पंचायतों में मूल्यांकन आदि कार्याे में उनका भ्रष्टाचार और उससे कमाई गई अकूत काली कमाई की चर्चा बुढ़ार जनपद से लेकर मुख्यालय तक फैल चुकी है। प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में एक अर्से से कार्यभार देखने के अलावा अनिल शुक्ला ने जनपद के सैकड़ा भर पंचायतों में से 9 अन्य अपने पसंद वाली पंचायतों पर कब्जा कर रखा है। जहां से उसे डिगाना जनपद या जिंप के सीईओ के अधिकारों से शायद बाहर हो चुका है। यही कारण है कि एक दशक के दौरान हजारों शिकायतों के बाद भी अनिल शुक्ला जैसे उपयंत्री वहीं डटे रहे और इस दौरान कई सीईओ आये और चले भी गये।
पंचायतों से होती है वसूली
वर्तमान में अनिल शुक्ला के पास 10 पंचायतें हैं, जिसमें अकेली बकहो ऐसी पंचायत है, जिसमें हर माह लाखों का बजट आता है और खर्च हो जाता है, एक लंबे अर्से से अनिल शुक्ला का यह दखल रहा है, फर्जी मूल्याकंन और मनमानी तकनीकी स्वीकृति रूपयों के दम पर करने वाले कथित उपयंत्री के खिलाफ दर्जनों शिकायतें और उनकी जांच तो हुई, लेकिन उन्हें यहां से कोई डिगा नहीं सका। इस कारण उनका प्रभाव और पंचायत पदाधिकारियों पर उनका दबाव लगातार बढ़ता गया और पंचायत में आनी वाली हर राशि से उनका हिसाब तय होता गया।
फर्जी बिलों की भरमार
जनपद से जुड़े सूत्रों पर यकीन करें तो अपने अधिकार क्षेत्र की पंचायतों में अनिल शुक्ला सिर्फ तकनीकी स्वीकृति, स्टीमेट और मूल्याकंन तक ही सीमित नहीं है, पंचायत में होने वाले हर कार्य में जो सामग्री खपाई जाती है, वह कथित उपयंत्री की पसंद वाली फर्म से ही पहुंचती है, यही नहीं दर्जनों बार ऐसी बाते भी सामने आई, जिसमें बिना निर्माण कार्य तथा निर्माण कार्य में लगी सामग्री से अधिक के बिल पंचायतों में लगे और उपयंत्री के प्रभाव में पंचायतों के द्वारा उक्त बिलों के भुगतान संबंधित फर्मांे को कर दिये गये, यह क्रम बीते कई वर्षाे से लगातार अभी भी निरंतर जारी है।
उपयंत्री ने जोड़ी आय से कई गुना अधिक संपत्ति
अनिल शुक्ला नामक कथित उपयंत्री द्वारा अपने कार्य के दौरान शासन से लिये गये वेतन से कई गुना अधिक संपत्ति अर्जित की गई है, इस संबंध में यदि लोकायुक्त या आयकर विभाग वाले कथित उपयंत्री व उससे जुड़े रिश्तेदारों के खाते व संपत्ति को खंगालेगें तो करोड़ों के गड़बड़झाले का मामला उजागर हो सकता है, एक तरफ केन्द्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार भी भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की दिशा में कार्य कर रही हैं, वहीं दशक भर से एक ही स्थान पर तैनात अनिल शुक्ला जैसे कर्मचारी शासन की मंशा पर पानी फेरते नजर आते हैं।
इन पंचायतों में हो रहा गड़बड़झाला
उपयंत्री अनिल शुक्ला को वर्तमान में जिन 10 पंचायतों का प्रभार है, उनमें प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत तो अर्से से उनके पास है, इसके अलावा साबो, पकरिया, जरवाही, छांटा, चंगेरा, कटकोना, सेमरा, नौगई व धोर्वे जैसी पंचायतें शामिल हैं, इन पंचायतों में बीते वर्षाे के दौरान किये गये कार्य और जिन व्यापारियों के बिल इन पंचायतों में लगाये गये हैं, सिर्फ उनकी जांच करने से ही कथित व्यापारियों की खरीदी और बिक्री के आंकड़े बड़े मामले का खुलासा कर सकते हैं।
इनका कहना है…
यदि ऐसा है तो मैं दिखवा लेता हँू, अभी तक उनकी शिकायत नहीं आई है।
प्रशांत लगरखा
एसडीओ
जनपद पंचायत बुढ़ार

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