कसेड़ नाला के “सिंह बने किंग” पुलिस की अनदेखी, रेत का धड़ल्ले से चल रहा उत्खनन
शहडोल। जिले में इन दिनों रेत तस्करी को लेकर एक तिकड़ी खूब सुर्खिया बटोर रहे है, पुलिस की अनदेखी कहा जाए या फिर खनिज विभाग की मिली भगत, सोन नदी में दिन रात रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन चल रहा है। सोन नदी के जरवाही घाट के समीप कसेड़ नाले में जमकर रेत का उत्खनन चल रहा है। खबर है कि ट्रांसपोर्ट नगरी और आसपास के रेत तस्कर अज्जू मरजाद, सत्येंद्र बिरुहली और उप्पे कटकोना की तिकड़ी सोन नदी में दिन रात रेत खनन कर रहे है।
शहडोल तक पहुंच रही रेत की खेप
खबर है कि उक्त लोगो द्वारा दिन दहाड़े कथित चोरो के द्वारा अधिकारियों की सह पर रेत का खनन किया जा रहा है यही नही रात को नाले से रेत निकालकर मेटाडोर और ट्रैक्टर में रेत का परिवहन भी बेखौफ तरीके से किया जा रहा है। ऐसा नही है इस काले कारनामे की खबर बुढ़ार पुलिस और माइनिंग विभाग को नही है लेकिन सब कुछ जानने के बाद भी जिम्मेदार लोग अवैध खनन को रोकने में असमर्थ दिखाई दे है। कसेड़ नाले से निकलने वाला रेत शहडोल और अन्य जगहों तक मनमाने दर पर ग्राहकों तक पहुंचाया जा रहा है। खबर यह कि बुढ़ार थाने को पार कर खैरहा, पतखई होते हुए उक्त नाले का रेत अनूपपुर के पुष्पराजगढ़ ब्लॉक और डिंडौरी जिले तक पहुंचाया जा रहा है, जिसको लेकर पुलिस अनजान बनी हुई है।
खनिज विभाग की मिलीभगत
शहडोल से जैसे ही खनिज अमला अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करने निकलता है वैसे ही माफियाओ को इस बात की भनक लग जाती है। सूत्रों की माने तो उक्त नाले में खनन के लिए बुढ़ार थाना प्रभारी अनिल पटेल और खनिज निरीक्षक सुरेश कुलस्ते मूक सहमति दे रखी है, सूत्र यह भी बताते है कि उक्त रेत के ठीहे में खनिज निरीक्षक और पुलिस के जिम्मेदार का शेयर भी है, बहरहाल सच्चाई जो भी है कार्रवाई के बाद यह खुलकर सामने आ जायेगा। बताया गया कि रोजाना सैकड़ा भर वाहन अवैध रेत लेने पहुंचते है मेटाडोर से 500 रुपये और ट्रैक्टर से 300 रुपये वसूल किये जाते है। लाखो रुपये का काला खेल रोज होता है। बटली घाट के बाद एक और घाट में माफियाओ से सांठ गांठ कर अधिकारी चांदी लौट रहे है।
कमिश्नर के फरमान की नही परवाह
संभाग में अवैध खनन और परिवहन के खिलाफ कार्रवाई को लेकर संभाग आयुक्त ने दो टूक शब्दो में निर्देश जारी किए है लेकिन यहां के रेत तस्करो के कान में जू तक नही रेंगता और दिन रात रेत का अवैध तरीके से खनन कर परिवहन किया जा रहा है। यही नही कमिश्नर द्वारा जारी फरमान की परवाह न तो खनिज विभाग को है और न ही रेत माफियाओ को, ऐसे में संभाग आयुक्त के मंसूबे पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है।