हाई कोर्ट के आदेश के बाद ध्वस्त हुआ लालबहादुर का घर

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भाजपा नेता के घर पर चला प्रबंधन का बुलडोजर
हाई कोर्ट के आदेश के बाद ध्वस्त किया गया मकान

जमुना। जमुना कोतमा क्षेत्र के भाजपा पसान पूर्व मंडल अध्यक्ष लाल बहादुर जायसवाल तथा उनके पिता द्वारा अनाधिकृत रूप से एसईसीएल की भूमि पर बनाये गये मकान को लेकर वर्षो से चले आ रहे विवाद में हाईकोर्ट के फैसले के बाद एसईसीएल प्रबंधन ने मकान गिराये जाने की कार्यवाही से संबंधित एक बार पत्र जारी करके हिदायत दी थी। कि वह अपना मकान जो अतिक्रमण कर बनाया गया उसे हटा ले अन्यथा 16 जुलाई को बलपूर्वक अवैध अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही की जायेगी। लंबे अरसे से भाजपा नेताओं के आपसी विवाद के कारण पूर्व मंडल अध्यक्ष पसान का कॉलरी की जमीन पर अवैध रूप से बने मकान को 16 जुलाई को कॉलरी प्रबंधन तथा जिला प्रशासन की उपस्थिति में जमींदोज कर दिया गया। भारी पुलिस बल की उपस्थिति में इस पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया गया। कार्रवाई को लेकर स्थानीय जनों में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त रही, सुबह 11 बजे से अवैध अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही शुरू हुई और कुछ ही घंटों में मकान को धराशाई कर दिया गया।

अतिक्रमण हटाने पहुंचा प्रशासन
अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए कॉलरी प्रबंधन तथा प्रशासनिक अमला पूरी मुस्तैदी के साथ सुबह 11 बजे मौके पर पहुंच गया जहां पर कोतमा एसडीएम, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वैष्णो शर्मा, अनुविभागीय अधिकारी कोतमा एसएन प्रसाद, थाना प्रभारी भालूमाड़ा के अलावा जिलेभर से कई थाना प्रभारी और लगभग 300 पुलिस कर्मचारी तथा एसईसीएल प्रबंधन के कर्मचारी अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए मौके पर मौजूद रहे जिन्होंने इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
जारी हुई थी नोटिस
एसईसीएल के सम्पदा अधिकारी ने सूचना के माध्यम से सपेन्द्र जायसवाल पिता स्व. त्रिवेणी जायसवाल एवं लाल बहादुर जायसवाल पिता सपेन्द्र जायसवाल को सूचित किया था कि वे उच्च न्यायालय, जबलपुर म.प्र. खसरा नं. 638 के भाग में अपना सम्पूर्ण अवैध निर्माण हटा लेवें अन्यथा 16 जुलाई को प्रात: 11 बजे उक्त अवैध निर्माण को बल-पूर्वक हटवा दिया जाएगा तथा उक्त मद में व्यय होने वाली राशि की वसूली सपन्द्र पिता स्वण् त्रिवेणी जायसवाल एवं लाल बहादुर जायसवाल पिता सपेन्द्र जायसवाल के चल एवं अचल सम्पत्ति से की जाएगी।
बिलखते रहे परिजन
अपनी नजरों के सामने जीवन भर की कमाई से बनाया हुआ भवन जब टूटने लगा तो लाल बहादुर जयसवाल का परिवार बिलखने लगा, उनके आंसुओं को देखकर हर किसी का दिल भर आया। सभी के जुबान से यही बात निकल रही थी कि भगवान किसी का घर ना गिराए लेकिन यहां तो हाई कोर्ट का आदेश सामने था और उसका पालन करना सभी की मजबूरी थी कोई चाह कर भी इस मामले में मदद नहीं कर पाया।