प्रदेश आंगनबाडी कर्मी आंदोलन की राह पर
(रामनारायण पाण्डेय+91 99938 11045)
जयसिंहनगर । महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत आंगनबाडी कार्यकर्ता, सहायिकाओं एवं मिनि आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के मानदेय में राज्य सरकार द्वारा की गई अवैधानिक कटौती से पूरे प्रदेश की आंगनबाडी कार्यकर्ता, सहायिकाओं एवं मिनि आंगनबाडी कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश व्याप्त है। शासन के इस अनुचित निर्णय से पूरे प्रदेश आंगनबाडी कर्मी आंदोलन की राह पर है। मानदेय में की गई कटौती के निर्णय को वापस लिये जाने की मांग को लेकर आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन मध्यप्रदेश (सीटू) के आव्हान पर 22 जुलाई को आयोजित प्रदेश व्यापी प्रदर्शन के माध्यम से यूनियन मुख्यमंत्री का ध्यानकर्षित करना चाहती है।
भारत श्रम सम्मेलन के 45 वें सत्र के अनुमोदन को लागू कर आंगनबाडी कर्मियों को कर्मचारी का दर्जा एवं न्यूनतम वेतन देने, न्यूनतम वेतन 18 हजार रूपये करने, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ दिये जाने की मांग को लेकर देश भर में लंबे अर्से से जारी है। इन आंदोलनों के चलते कभी केन्द्र सरकार और कभी राज्य सरकार आंगनबाडी कर्मियों के मानदेय में बढोत्तरी करती रही है। इस तरह केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा की गई वृद्धि के आधार पर आंगनबाडी कर्मियों को मानदेय का भुगतान करती रही है।
18 हजार रूपये न्यूनतम वेतन की मांग को लेकर आंगनबाडी कर्मियों के लगातार आंदोलन और फरवरी 2018में भोपाल मेें आयोजित दो दिवसीय विशाल महापडाव के बाद राज्य सरकार ने देश के पैमाने पर आंगनबाडी कर्मियों के मानदेय की स्थिति की समीक्षा कर राज्य सरकार ने 8 अपै्रल 2018 को मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री द्वारा आमंत्रित आंगनबाडी कर्मियों की सभा में आंगनबाडी कर्मियों के मानदेय को बढाकर 10 हजार रूपये करने की घोषणा की तथा 28 मई 2018 को राज्यपाल की ओर से एवं निर्देशानुसार, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आदेश जारी आदेश के माध्यम से 1 जून 2018 से मानदेय की वृद्धि को लागू किया गया। जिसमें आंगनबाडी कार्यकर्ता को राज्य सरकार की ओर से देय अतिरिक्त मानदेय की राशि दो हजार रूपये बढाकर 7 हजार रूपये करने इसी के साथ केन्द्र का मानदेय तीन हजार रूपये जोडकर कुल दस हजार रूपये का मानदेय निर्धारित करने के साथ सहायिका एवं उप आंगनबाडी केन्द्र के कार्यकर्ताओं की भी मानदेय में वृद्धि की गई थी और इसी आधार पर 1 जुलाई 2018 से मानदेय का भुगतान भी प्रारंभ किया गया।
केन्द्र सरकार द्वारा देय मानदेय के हिस्से में वृद्धि की मांगों को देश भर में लगातार आंदोलन चलता रहा। अंत में सीटू के द्वारा 5 सितम्बर 2018 को संसद के समक्ष आयोजित विशाल प्रदर्शन के बाद 11 सितम्बर 2018 को केन्द्र सरकार ने आंगनबाडी कर्मियों के मानदेय में केन्द्र के हिस्से की 3000 रूपये में 50 प्रतिशत वृद्धि कर उसे 4500 रूपये कर 1 अक्टूबर 2018 से उसका भुगतान करने का आदेश जारी किया।
इस तरह केन्द्र और राज्य का हिस्सा मिला कर 1 अक्टूबर 2018 से प्रदेश की आंगनबाडी कार्यकर्ताओं का मानदेय 17500, मिनी आंगनबाडी कार्यकर्ता का 7 हजार रूपये एवं सहायिकाओं का 5750 रूपये हो गये, जिसका भुगतान महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा किया जाना है।
प्रदेश के मानदेय के भुगतान में अनिमियतता, विलम्ब, मानदेय का किश्तो में भुगतान, भ्रष्टाचार आदि की लगातार शिकायतें होती रही है। कई बार बजट आने में विलम्ब के नाम पर भी मानदेय के भुगतान में विलम्ब होता रहा है। आंगनबाडी कर्मी यह मान कर चल रहे थे कि केन्द्र द्वारा बढाये गये मानदेय 1 अक्टूबर से एरियर सहित प्राप्त होगा। लेकिन 27 जून को जारी आदेश के माध्यम से सरकार ने मानदेय में राज्य की हिस्से से आंगनबाडी कार्यकर्ता के मानदेय में 1500 रू, मिनी आंगनबाडी कार्यकर्ता के मानदेय में से 750 रूपये एवं सहायिका के मानदेय में से 750 रूपये की कटौती कर मानदेय का नया आदेश जारी किया।
27 जून को सरकार द्वारा जारी आदेश में राज्य शासन द्वारा जारी आदेश क्रमांक 1652/212/2018/50-2 दिनांक 12 जुलाई 2018 के माध्यम से आंशिक संशोधन कर मानदेय में कटौती का उल्लेख किया गया है। विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस सरकार द्वारा जारी वचन पत्र में आप ने आंगनबाडी कर्मियों को नियमित करने मानदेय में वृद्धि करने का वादा किया था, प्रदेश के आंगनबाडी कर्मियों ने यह माना कि नवनिर्वाचित सरकार मानदेय में कुछ तो वृद्धि करेगी एवं पूर्व की सरकार के वायदें को लागू कर सेवा निवृत्ति पर पेंशन एवं मृत्यु और दुर्घटना मृत्यु में घोषित राशि तथा अत्येष्टि के लिये निर्धारित 5हजार रूपये की राशि का भुगतान के लिये प्रावधान करेंगी, लेकिन वर्तमान राज्य सरकार आंगनबाडी कर्मियों के लिये कुछ भी नहीं किया।
केन्द्र एवं राज्य सरकार ने मानदेय में जो भी बढोत्तरी की है वह आंगनबाडी कर्मियों के अपने संघर्ष का परिणाम है तत्कालीन राज्य सरकार ने 12 जुलाई के तथा कथित आदेश के माध्यम से षडयंत्रपूर्वक उसे छीनने की साजिश की है। राज्य शासन द्वारा गुपचुप तरीके से जारी आदेश क्रमांक 1652/212/2018/50-2 दिनांक 12 जुलाई 2018 अवैध, अनुचित है। इस आदेश के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा मानदेय में की गई वृद्धि में कटौती नहीं की जा सकती।
राज्य सरकार द्वारा मानदेय में की गई वृद्धि 1 जुलाई 2018 से लागू हो चुकी है, जिसे राज्य सरकार बदल नही सकती। वैधानिक रूप से भी किसी भी श्रेणी के श्रमिक या कर्मचारी को किसी समझौता, निर्णय या घोषणा से की गई वेतन/मानदेय/पारिश्रमिक में की गई वृद्धि से वंचित रखने का कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है।
आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन मध्यप्रदेश (सीटू) के आव्हान पर 22 जुलाई को जिला मुख्यालयों पर आयोजित प्रदर्शन के माध्यम से यूनियन यह मांग करती है कि आंगनबाडी कर्मियों के मानदेय में कटौती का निर्णय तत्काल प्रभाव से वापस लिया जावे, केन्द्र सरकार द्वारा मानदेय में की गई वृद्धि की राशि का 1 अक्टूबर 2018 से एरियर सहित अविलम्ब भुगतान किया जावे, मानदेय का प्रत्येक माह में नियमित रूप से भुगतान की व्यवस्था किया जावे। हमें पूर्ण विश्वास है कि मुख्यमंत्री तत्काल हस्तक्षेप कर प्रदेश की आंगनबाडी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के साथ न्याय करेंगे।