रेलवे फाटक संघर्ष समिति ने रेल मंत्री सहित रेल महाप्रबंधक के नाम सौंपा ज्ञापन

भारत सरकार सहित रेल प्रशासन को 15 दिन का अल्टीमेटम



(शुभम तिवारी+91 78793 08359)
शहडोल। रेलवे फाटक संघर्ष समिति ने नगर के पुरानी बस्ती पंचगांव रोड में स्थित रेलवे लाईन के रेल फाटक से आवागमन की जगह पर ही भूमिगत मार्ग/अण्डर ब्रिज बनाये जाने की मांग को लेकर 21 अगस्त को आम जनता को साथ लेकर रेल मंत्री सहित रेल महाप्रबंधक के नाम ज्ञापन सौंपा और ज्ञापन में उल्लेखित बिन्दुओं पर ध्यान आकृष्ट कराया है।
50 ग्रामों की आमजनता प्रभावित
नगर के दक्षिण भाग पर स्थित पुरानी बस्ती व उससे जुड़े हुए लगभग 50 ग्रामों की आम जनता आबादी लगभग 3 लाख जो शहडोल की ओर जाने व वापस आने के लिए पुरानी बस्ती स्थित दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे लाईन के रास्ते का उपयोग करती है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा ट्रेनों के परिचालन के समय आम जनता को रेलवे लाईन पार करने से रोकने के लिए रेलवे लाईन के दोनों तरफ रेलवे फाटक बनाया गया है और समय-समय पर रेलवे फाटक को रेल परिचालन के समय पर खोला एवं बंद किया जाता है।
लगता है लंबा जाम
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का रेल ट्रैक एक व्यस्त ट्रैक है और हर 10 मिनट में मालगाड़ी का परिचालन होता है और यात्री ट्रेने भी गुजरती हैं। शहर के दक्षिणी भाग पुरानी बस्ती व 50 ग्रामों की लगभग 3 लाख आबादी शहर के रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड, बाजार, सब्जी मण्डी, जिला न्यायालय, कलेक्ट्रेट, तहसील, पुलिस थाना, जिला चिकित्सालय, कमिश्नरी, स्कूल, कालेज, विश्वविद्यालय व रेलवे स्टेशन जाने के लिए लोग पुरानी बस्ती के इसी रेलवे लाईन को पार करके जाते हैं। रेलवे फाटक के रेल परिचालन के समय बंद रहने से रेलवे फाटक में लंबा जाम लग जाता है और आवागमन पूर्णत: बाधित हो जाता है।
परेशानियों से होता है सामना
संघर्ष समिति ने ज्ञापन में उल्लेख किया है कि पुरानी बस्ती, पंचगांव रोड शमशान घाट है, जहां शहर के हिन्दुओं का अंतिम संस्कार किया जाता है व शहर में बुढ़ार रोड स्थित मुस्लिमों के अंतिम संस्कार के लिए कब्रिस्तान है तथा इसाई समुदाय का अंतिम स्थल ग्रेयाड (कब्रिस्तान) पुरानी बस्ती में ही वार्ड नंबर 39 में है, जहां शहर के इसाई समुदाय के लोग शहर के बीच से होते हुए पुरानी बस्ती, रेलवे फाटक को पार करे अंतिम संस्कार के लिए जाते हैं। उक्त तीनों वर्गाे द्वारा अंतिम संस्कार के लिए रेलवे के इसी लाईन मार्ग का उपयोग किया जाता है। रेलों के परिचालन के समय अंतिम संस्कार के शव यात्रा के जाने वालों को पुरानी बस्ती के रेलवे फाटक के बंद होने से काफी परेशानी का समाना करा पड़ता है।
असुरक्षित है अण्डर ब्रिज
पुरानी बस्ती रेलवे ट्रैक फाटक से 1 किलोमीटर की दूरी पर एक अण्डर ब्रिज है, लेकिन वह मार्ग आमजनता के लिए असुरक्षित है, तथा जहां आये दिन हत्याएं, लूटपाट, छेड़छाड़, राहजनी की घटनाएं होती रहती है, एकान्त व बस्ती से आउट में होने के कारण असामजिक तत्वों का सदैव जमघट लगा रहता है, रात्रि के समय में अण्डरब्रिज मार्ग में अंधेरा रहता है और अपराधियों का बोलबाला रहता है, इस कारण आम जनता द्वारा इस मार्ग का उपयोग नहीं किया जाता है, स्कूल बच्चे-बच्चियां, बुजुर्ग, बीमार व नौकरी पेशा व मजदूर वर्ग व महिलाओं के लिए यह मार्ग अत्याधिक असुरक्षित और संवेदनशील है।
दुर्घटनाओं पर लगेगी लगाम
समिति ने यह मांग की है कि पुरानी बस्ती स्थित रेलवे फाटक पर नीचे की जगह पर अण्डर ब्रिज भूमिगत मार्ग का निर्माण लोगों के आने-जाने के लिए यदि रेलवे द्वारा करा दिया जाये तो आम जनता को आवागमन में काफी सहूलियत होगी और अण्डरब्रिज भूमिगत रास्ते का निर्माण होने के बाद रेलवे फाटक भी बंद हो जायेगा और रेलवे फाटक पर रेल कर्मचारियां की आवश्यकता भी नहीं रह जायेगी, साथ दुर्घटनाओं पर भी लगाम लगेगी।
दी जाये अविलम्ब स्वीकृति
रेलवे फाटक संघर्ष समिति के संयोजक नरेन्द्र दुबे ने मांग की है कि नगर के पुरानी बस्ती स्थित दक्षिण पूर्व मध्य रेलवेके फाटक पर आम जनता को सुचारू रूप से आवागमन की सुविधा प्रदान करने के लिए अण्डरब्रिज भूमिगत मार्ग जोकि हमारी एक सूत्रीय मांग है, तत्काल निर्माण कराये जाने की अविलम्ब स्वीकृति प्रदान की जाये तथा समस्त रेलवे फाटक संघर्ष समिति ने कहा कि इस समस्या से निदान के लिए कई वर्षाे से मांग की जा रही है, कई वर्षाे से जनमानस व जनप्रतिनिधियों द्वारा समय-समय पर समस्या के समाधान हेतु निवेदन किया जाता रहा है, किन्तु रेल प्रशासन ने कभी भी इस ओर संवेदनशीलता से विचार नहीं किया।
बलिदान और त्याग
संघर्ष समिति के संयोजक ने ज्ञापन में उल्लेख किया है कि अब आमजनमानस के धैर्य की सीमा समाप्त हो रही है, संयोजक ने रेल प्रशासन से निवेदन किया है कि अगर 15 दिवस के भीतर हमें समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए ठोस परिणाम नहीं मिले तो समस्तजन उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे और रेल रोको आंदोलन के माध्यम से शहडोल से गुजरने वाली समस्त ट्रेनों को रोकने के लि बाध्य होंगे, जिसकी जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन एवं भारत सरकार की होगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के बलिदान या त्याग करने की आवश्यकता होगी तो वह भी करेंगे।