बुशरा ने 2 हजार मीटर की दौड़ में 5 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा
सीहोर। सीहोर की उड़नपरी कहलाने वाली बुशरा कक्षा 10वीं की छात्रा है। बुशरा ने सीहोर में ही एथलेटिक्स की ट्रेनिंग शुरू की थी। विशाखापट्टनम में 2017 में 600 मीटर की दौड़ में ब्रांज मेडल जीता था। इसके बाद 2018 में तिरुपति में बुशरा ने 1000 मीटर की दौड़ में सिल्वर मेडल हासिल किया। आंध्रप्रदेश के गुंटुर में 35वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में सीहोर की उड़नपरी ने बुधवार को 2000 मीटर की दौड़ मात्र 6 मिनट 24 सेकंड में पूरी की। ऐसा करके बुशरा खान ने पांच साल पुराना रिकार्ड तोड़ दिया। उन्होंने प्रदेश के लिए गोल्ड मेडल जीता था।इससे पहले वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश की अमृता के नाम यह रिकार्ड था। अमृता ने 6 मिनट 25 सेकंड में यह दौड़ पूरी की थी। लेकिन बुशरा ने अमृता से भी कम समय में यह दौड़ पूरी की है।
बुशरा सीहोर से 5 किलोमिटर दूर स्थित छोटे से गांव पचामा के निवासी गफ्फार खान गौरी की बेटी है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बाद भी बचपन से ही बुशरा में कुछ करने का जज्बा था। बुशरा ने एथलेटिक्स में कड़ी मेहनत की। सबसे पहले कोच दुष्यंत ने बुशरा को ट्रेनिंग दी थी।बुशरा सीहोर से 5 किलोमिटर दूर स्थित छोटे से गांव पचामा के निवासी गफ्फार खान गौरी की बेटी है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बाद भी बचपन से ही बुशरा में कुछ करने का जज्बा था। बुशरा ने एथलेटिक्स में कड़ी मेहनत की। सबसे पहले कोच दुष्यंत ने बुशरा को ट्रेनिंग दी थी।
स्कूल में दी गई सलामी
बुशरा की इस उपलब्धि पर शहर के खेल प्रेमियों में खुशी है। उसके शहर आगमन पर सम्मान किया गया। स्कूली छात्रों ने अतिथियों के साथ बुशरा को परेड ने सलामी दी। बुशरा को ऑक्सफोर्ड स्कूल के डायरेक्टर ने एक्टिवा भी उपहार स्वरूप दी। इस मौके पर अतिथि बोले कि आयोजन ऐसे होना चाहिए कि खिलाड़ियों को मदद मिल सके। बुशरा ने नदी की तरह तेज प्रवाह से अपना रास्ता बनाया
बुशरा ने एक नदी की तरह तेज प्रवाह से खुद ही सफलता का रास्ता बनाया है। डीईओ श्री बिसेन ने कहा कि यह सम्मान बुशरा की प्रतिभा का है और आप लोग भी सीख लेकर इसी तरह आगे बढ़ो। स्कूल के डायरेक्टर श्री कुरियन ने अतिथियों की उपस्थिति में बुशरा को एक्टिवा 5 जी उपहार स्वरूप दी। मुख्य अतिथ के रूप में एडीएम श्री श्री चतुर्वेदी ने कहा कि ये उपलब्धि बुशरा के माता-पिता के लिए भी है। एडि. एसपी श्री यादव ने कहा कि बुशरा ने अपने नाम को सार्थक किया है।
सरकार ने मदद का दिया आश्वासन
बुशरा एक गरीब परिवार की बेटी है। आगे बढ़ने के लिए महंगे शूज और पर्याप्त डाइट पर ध्यान देना भी जरूरी है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण अब एडीएम, एडि. एसपी सहित अन्य अतिथियों और रोटरी क्लब के मेंबर्स ने आर्थिक मदद का आश्वासन दिया। बुशरा के पिता गफ्फार खान मिल में मजदूर है 3 बेटियों के पिता है। इसके बावजूद उन्होंने अपनी बेटी बुशरा के लिए वो तमाम संसाधन जुटाए जो एक खिलाड़ी के लिए आवयश्क होते है। ताकि बुशरा आगे की तैयारी पूरी कर सके। हर प्रतियोगिता में जीतने के कारण ही बुशरा को जिले में उड़नपरी के नाम से लोग जानने लगे।