तो क्या अधिनियम की सीमा से परे है भाजपा के जिला महामंत्री
शहडोल। शिकायत के बाद बुढ़ार बीईओ ने दबा दी प्रमाणित आरोपों की फाईल ,मामला शासकीय सेवक के 2 से अधिक बच्चों का
15 सालों तक सत्ता में रहने के दौरान जिलाध्यक्ष और उनके खास महामंत्री राकेश पाण्डेय ने शासकीय नियमों को न सिर्फ अपने हिसाब से चलाया, बल्कि सत्ता की ऐठन में सबकुछ जानते हुए भी अधिनियम की खुलकर धज्जियां उड़ाई और मामला जब शिकायत पर पहुंचा, तो उसे रसूख के दम पर दबा दिया गया, मनमानी और भ्रष्टाचार के बोतल में बंद ऐसे कई जिन्न अभी सामने आने हैं, बहरहाल जिला महामंत्री की अर्धाग्री के शासकीय सेवा में रहने के दौरान तीसरी संतान होने और कार्यवाही न होने का मामला सामने आया है।
भारतीय जनता पार्टी के जिला महामंत्री और वर्तमान में जिलाध्यक्ष की कुर्सी की दौड़ में वर्तमान जिलाध्यक्ष की बैसाखियों पर दौडने वाले राकेश पाण्डेय की मनमानी का मामला प्रकाश में आया है, जिसमें उनके द्वारा सबकुछ जानते हुए भी मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों का खुलकर माखौल उड़ाया गया, यही नहीं सत्ता में रहने का रौब दिखाकर नेताजी ने अपने खिलाफ हुई शिकायत ठण्डे बस्ते में डलवा दी, आरोप हैं कि राकेश पाण्डेय की पत्नी श्रीमती पुनीता पाण्डेय जो वर्तमान में नगर पंचायत बुढ़ार के वार्ड नंबर 10 में स्थित शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ हैं। महिला लोक सेवक पर आरोप हैं कि नौकरी में रहने के दौरान उनके द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों का न सिर्फ नजर अंदाज किया गया, बल्कि अपनी तीसरी संतान के जन्म के मामले में विभाग को धोखे में रखा गया और जब इस मामले की शिकायत हुई तो झूठे बयान आदि देकर राकेश पाण्डेय ने अपने रसूख का फायदा उठाते हुए विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बुढ़ार में यह फाईल दबवा दी।
यह कह रही राकेश की समग्र आईडी
मध्यप्रदेश शासन के समग्र आईडी पोर्टल के अलावा राशन कार्ड और अन्य शासकीय अभिलेख इस बात की पुष्टि करते हैं कि 54 वर्षीय राकेश पाण्डेय और श्रीमती पुनीता पाण्डेय की 3 संताने हैं, जिसमें प्रथम पुत्र आशीष पाण्डेय उम्र 24 वर्ष, कुमारी रिचा पाण्डेय उम्र 21 वर्ष और अनन्त पाण्डेय उम्र 6 वर्ष है, समग्र आईडी पोर्टल में दी गई बच्चों की उम्र कुछ ऊपर नीचे भी हो सकती है, लेकिन कम से कम इतनी नहीं कि जन्म का वर्ष 2001 के पहले का हो। समग्र पोर्टल के अनुसार राकेश पाण्डेय निवासी वार्ड नंबर 10 नगर पंचायत बुढ़ार के परिवार की समग्र आईडी 29883212 है और राकेश पाण्डेय की 140500252, श्रीमती पुनीता पाण्डेय की 140501864, आशीष पाण्डेय की 140503490, कुमारी रिचा पाण्डेय की 140505664 व तीसरी संतान अनंत पाण्डेय की 187022775 है।
यह कहते हैं कायदे
भारत में बढ़ते जनसंख्या के घनत्व को रोकने और विभिन्न कारणों से पूरे देश में शासकीय सेवकों के लिए निर्देश जारी किये गये थे, प्रदेश में 1 सितंबर को समस्त कार्यालय प्रमुख को दो से अधिक जीवित संतान के संबंध में जारी पत्र में कहा गया है कि मप्र शासन सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल के परिपत्र 10 मई 2000 के द्वारा मप्र सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 6 के उपनियम (4) के उपनियम अतंतरू स्थापित किए गए हैं के संबंध में तीसरी संतान का जन्म 26 जनवरी 2001 या उसके बाद हुआ है इसके संबंध में कार्यवाही करने के लिए लिखा गया था। पूर्व संदर्भित पत्र 23 अगस्त को निरस्त करते हुए इस संबंध में स्पष्ट किया जाता है कि कोई भी उम्मीदवार जिसकी दो से अधिक जीवित संतान हैं, जिनमें से एक का जन्म 26 जनवरी 2001 को या उसके बाद हो किसी सेवा या पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा। उक्त संशोधन अनुसार भविष्य में भर्ती नियमों का पालन किया जाना सुनिश्चित करें। इस संबंध में शासन द्वारा समस्त जिलाध्यक्ष और उनके अधीन विभाग प्रमुखों को इस आशय के पत्र भेजे भी गये, ऑफ रिकार्ड अधिकारी इन्हें मानते भी है, लेकिन ऑन रिकार्ड कार्यवाही सिर्फ बिना रसूख वालों पर होती रही है।
…तो 15 सालों से सत्ता के दबाव में दबा था मामला
मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बीते 15 वर्षो से रही है, वर्ष 2000 के आस-पास इन्द्रजीत सिंह छाबड़ा संभवतरू भाजपा के जिलाध्यक्ष थे और राकेश पाण्डेय तब भी जिलाध्यक्ष के सबसे खास सिपहसलारों में थे, आरोप तो यह भी है कि 1998 के दौरान हुई शिक्षा कर्मियों की भर्ती में रसूख के दम पर राकेश पाण्डेय ने अपनी पत्नी की भर्ती पिछले दरवाजे से कराई थी, बाद में जब शिकायतें हुई और जांच होने लगी तो वह फाईल तब से अब तक विभाग से गायब है। इधर 2001 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा शासकीय सेवकों के संदर्भ में नया कानून लागू होने के बाद सबकुछ जानते हुए भी राकेश पाण्डेय के यहां तीसरी संतान के जन्म के बाद भी उनकी पत्नी पद पर बनी रही, इस दौरान बीईओ बुढ़ार से लेकर कलेक्टर कार्यालय शहडोल तक कई शिकायतें हुई, लेकिन उनकी जांच तो दूर आज उन शिकायत के पन्नों तक का पता नहीं है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सत्ता के रसूख और संगठन का बेजा फायदा उठाते हुए राकेश पाण्डेय ने अधिकारियों पर अनुचित दबाव बनाया और बीते इन वर्षो के दौरान लाखों रूपये मुफ्त के वेतन के रूप में अर्जित किये, जबकि नियमतरू श्रीमती पाण्डेय को पद से पृथक कर दिया जाना चाहिए था।
इनका कहना है…
2001 में आये निर्देशों के अनुसार लोकसेवक को यदि तीसरी संतान होती है तो उसे पद से पृथक करने के आदेश हैं, इस मामले की जानकारी अभी नहीं है, यदि शिकायत सामने आती है और तथ्य सही पाये जाते हैं तो तत्काल कार्यवाही होगी।
आर.के.श्रुति
सहायक आयुक्त
शहडोल