घर पहुंच कर खुशी से खिल उठे मजदूरों के चेहरे, व्हाट्सएप पर भेजी सेल्फी
शहडोल। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में स्थित फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों का पलायन अभी भी लगातार जारी है, यह मजदूर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा चौकी से होते हुए सड़क मार्ग से आ रहे हैं, वहीं ऐसे भी हैं जो रायगढ़ से सीधे सड़क मार्गों की जानकारी न होने के कारण रेलवे की पटरी को सहारा बनाकर ही गंतव्य के लिए निकल पड़े हैं। शुक्रवार की सुबह करीब 10:00 बजे उमरिया जिले के बरही,बैरवा और आसपास के आदि गांव में रहने वाले 7 मजदूर अमलाई रेलवे स्टेशन पहुंचे। मजदूरों ने रेलवे स्टेशन पर पेड़ों की छाया की शरण ली और वही लेट गए,लगातार चार दिनों से पैदल चल रहे मजदूरों के पैरों में छाले पड़ चुके थे, पूरा शरीर पसीने से लथपथ था,पेट भी भूख से तड़प रहा था,इन युवकों में मदन मोहन बर्मन पिता रामचरण बर्मन निवासी ग्राम बैरवा, जय लाल वर्मा पिता भाई,राम चरण वर्मा, सुरेश कुमार पिता तुलाराम, सीताराम यादव पिता मुन्ना यादव,राजेश यादव पिता लालू यादव नरवार व जगन्नाथ यादव पिता नंदू यादव बेरवाल, देवीदीन शामिल थे।
अमलाई रेलवे स्टेशन पर केंटीन का संचालन करने वाले ने इसकी जानकारी स्थानीय युवाओं को दी,गौरतलब है कि बीते सप्ताह भर से अनूपपुर जिले के ग्राम पंचायत बरगवां में रेलवे स्टेशन के समीप दुर्गा मंदिर चौक पर युवाओं की टोली भोजन बनाने का काम कर रही है,जो यहां से बुढार,धनपूरी,ओपीएम,चचाई, अमलाई और आसपास के गांवों में भोजन निराश्रितों को घर-घर पहुंचा रही है, यही नहीं युवाओं ने उन लोगों का भी बीड़ा उठाया हुआ है,जो सड़क और रेलवे मार्ग से भटक कर यहां पहुंच रहे हैं, इसके अलावा एसईसीएल, ओरिएंट पेपर मिल,और एचजेआई कास्टिक सोडा यूनिट के बाहर खड़े ट्रक चालकों को भी यह युवा भोजन करवा रहे हैं।
कैंटीन संचालक टीनू नामक यूवा की सूचना के बाद युवाओं की टोली में अज्जू भाईजान(स्थानीय पंच), मेजर भाई ( अधिवक्ता),पवन कुमार चीनी जनपद सदस्य,पत्रकार न्यामुद्दीन अली, शालू विश्वकर्मा, रविंद्र गौतम, रवि विश्वकर्मा( रब्बू), अखिलेश सिंह, मनीष तिवारी, ज्ञानेंद्र पांडे ,मनीष चौहान, मोहित राय, सौर्य, अंकित पांडे,रेलवे स्टेशन पहुंची और उन मजदूरों का हाल कुशल क्षेम जाना, कैंटीन संचालक द्वारा इन्हें चाय अपने ही स्वेच्छा से पिलवाई गई, इसके बाद युवाओं ने उन्हें लेकर पास के ट्यूबवेल पर जा पहुंचाया।
जहां स्नान करने के बाद उन्हें भोजन आदि दिया गया, दोपहर करीब 2:00 बजे के आसपास सातों मजदूर जब भोजन करने और स्नान करने के बाद गंतव्य की ओर जाने लगे तो पैरों में पड़े छाले और चिलचिलाती धूप में उनके कदम रोक दिए। इन सबके बीच सूचना अमलाई और बुढ़ार सहित अन्य थानों में समाजसेवी युवाओं द्वारा पहुंचाई गई। बुढ़ार थाना प्रभारी महेंद्र सिंह चौहान ने कोयले और राखड़ से लदे आवश्यक सेवा के लिए जा रहे ट्रकों से पूछताछ शुरू की, और कुछ देर बाद शाम करीब 5:00 बजे कोयले से लदे कटनी की ओर जा रहे ट्रक चालको से चर्चा हुई और युवाओं द्वारा उन्हें बुढ़ार तक पहुंचाया गया। जिसके बाद वह देर रात करीब 11:30 बजे अपने उमरिया जिले के विभिन्न गांवों तक पहुंचने में सफल रहे। रात करीब 11:30 पर युवाओं ने अपने गांव पहुंचने के बाद एक सेल्फी खींचकर समाजसेवियों व्हाट्सएप की उनके चेहरे पर जो घर पहुंचने की खुशी झलक रही थी, खुशी के उन भावों ने समाजसेवी युवाओं के हौसलों को 4 गुना बढ़ा दिया।