कोविड-19 की दहशत, निराशा और हताशा में बीता पूरा साल

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ट्रेन दुर्घटना में 11 मजदूरों की दर्दनाक मौत, लॉक-डाउन

में बंद बाजार, सूनी सड़के, अवरूद्ध आवागमन के साधन, पूरे साल डराते रहे

शहडोल। चीन से पूरी दुनिया में फैला कोरोना वॉयरस के कारण शहडोल संभाग में मार्च से लागू हुआ राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान ट्रेनों, बसों एवं आवागमन के समस्त साधन ठप्प पड़ जाने, व्यापारिक प्रतिष्ठानों में ताला लग जाने, स्कूल कॉलेज बंद हो जाने, रोजगार के संसाधनों पर पड़ी काली छाया से दहशत, निराशा और हताशा से आम आदमी का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया, वहीं दूसरी ओर औरंगाबाद के हादसे में पटरी पर सोये संभाग के 11 मजदूरों की दर्दनाक मौत ने झिझोड़ दिया। बीते साल ब्यौहारी में मिट्टी की खदान धसकने से 6 श्रमिकों की मौत हो गई। कोरोना का संक्रमण कुछ इस तरह परेशान किया कि शहडोल संभाग में सैकड़ों लोग बीमार हो गये और बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। वर्ष 2020 के अंत में नये वर्ष में कुछ अच्छी संभावनाओं और आशाओं के साथ हम प्रवेश कर रहे हैं। आजादी के बाद शायद आज पहला मौका था, जब जनता ने एक साथ प्रधानमंत्री के ”शट-डाऊनÓÓके समर्थन में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं, समितियों, प्रतिष्ठिानों के समूह सहित हर वर्ग मानव रक्षा हेतु कोरोना के खिलाफ आज ”जनता कफ्र्यूÓÓ के समर्थन में खड़ा था, कोरोना जैसी महामारी को आगे बढऩे से रोकने और उसके अंत के लिए 22 मार्च को पूरे देश में ”जनता कफ्र्यूÓÓ होना था। सिर्फ आपातकालीन सेवाओं में पुलिस और चिकित्सा के साथ मीडियाकर्मी इस ऐतिहासिक कफ्र्यू के दौरान नजर आये।
रेलवे ट्रैक के साथ सूनी रही सड़कें
रेल मंत्रालय द्वारा आज से पहले ही ”जनता कफ्र्यूÓÓ के दिन ट्रेनों के बंद होने की घोषणा कर दी गई थी, इसके लिए पूर्व से किये गये आरक्षण की राशि भी यात्रियों को लौटा दी गई थी। जिला परिवहन अधिकारी ने सभी बस संचालकों को बसे बंद करने के लिए पत्र लिखा, हालाकि इससे पहले ही बस संचालकों ने बैठक कर बसें न चलाने का आह्वन कर दिया था, तमाम टैक्सी व आटो संघ के पदाधिकारियों ने भी ”जनता कफ्र्यूÓÓ को समर्थन दिया था।
जबलपुर पहुंचा था कोरोना
23 मार्च को कोविड-19 कोरोना वायरस संक्रमण देश में तेजी से फैल रहा था एवं प्रदेश मे यह संक्रमण जबलपुर में 05 व्यक्तियों तक पहुंच चुका था। पूरे देश में संक्रमित होने वाले व्यक्तियों की संख्या में अत्यंत तेजी से बढोत्तरी हो रही थी। सीमावती राज्य छ.ग. में भी कोरोना वायरस के संक्रमण के पहुंचने की पुष्टि हुई थी। कलेक्टर उमरिया ने धारा 144 प्रभावशील करने के आदेश जारी करने के साथ ही 31 मार्च तक लॉक डॉउन करने के आदेश जारी किये हैं।
27 को जिले में कोरोना ने दी थी दस्तक
डियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार शहडोल संभाग के शहडोल जिले के निवासी 15 वर्षीय किशोरी और 26 वर्षीय के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि आईसीएमआर द्वारा 27 अपै्रल को शाम 5 बजे जारी रिपोर्ट में की गई थी। इस टेस्ट रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया था कि दोनो के सैंपल 23 अपै्रल को कलेक्ट किये गये थे, जिन्हे 25 अपै्रल 10 बजे यहां भेजे गये थे।
कोविड-19 व पेट की भूख से लड़ रहे दर्जनों योद्धा
कोरोना वॉयरस के खिलाफ चल रही जंग में स्वास्थ्य कर्मियों के अलावा पुलिस व समाजसेवियों का एक बड़ा वर्ग अपनी अहम भूमिका निभा रहा था। जिला चिकित्सालय सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो में चिकित्सकों व अधीनस्थ स्वास्थ्य कर्मियों ने जहां खुद को इस सेवा में झोंख दिया था, वहीं पुलिस की सह्दयता भी लोगों का दिल जीत रही थी। लॉक डाऊन के आदेशों का पालन कराने के साथ ही जिले के वर्दीधारी निराश्रितों व पलायन कर रहे लोगों को भोजन कराने के साथ उन्हें साधन भी मुहैया करा रहे हैं। इन दोनों के अलावा समाज सेवियों के भी दर्जनों नये चेहरे सामने नजर आ रहे है, जो इस संकट की घड़ी से पहले कहीं नजर नहीं आ रहे थे। समाचार पत्रों की सुर्खियों और तड़क-भड़क से दूर एक बड़ा समूह अपने काम में लगा हुआ है।
रेलवे की पटरी को बनाया सहारा
लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ से रेलवे की पटरी को सहारा बनाकर शहडोल जिले की ओर आने वाले मजदूरों का सिलसिला लगातार जारी था, लगातार अलग-अलग टोलियों में अमलाई स्टेशन में इन्हें देखा गया। इनके लिए अमलाई में काम कर रही युवाओं की टोली मसीहा बनकर सामने आई। उमरिया जिले के बैरवा, नरवार आदि गावों के मजदूरों ने रेलवे स्टेशन पर पेड़ों की छाया की शरण ली थी, जिनमें मदन मोहन वर्मन पिता रामचरण वर्मन निवासी ग्राम बैरवा, जयलाल वर्मा पिता भाई,राम चरण वर्मा, सुरेश कुमार पिता तुलाराम, सीताराम यादव पिता मुन्ना यादव,राजेश यादव पिता लालू यादव नरवार व जगन्नाथ यादव पिता नंदू यादव बेरवाल, देवीदीन शामिल थे।
भूखे पेटों का भर रहे थे पेट
24 मार्च की दोपहर जब लॉकडाउन का पहला दिन था और लॉकडाउन पार्ट-2 के 9 वें दिन तक लगातार 1 हजार से अधिक भूखे पेटो तक दोनो पहर खाना पहुंच रहा था। किसी दिन खिचडा तो किसी दिन दाल-चावल, पूडी सब्जी, छोला चावल, इटली सांभर जैसे व्यंजन सामूहिक रूप से बनकर छोटे-छोटे पैकेटो में पैक होते है और उसके बाद कोरोना वालेंटियर उन्हे दो पहिया वाहनों में आगे रखकर शहडोल और अनूपपुर जिले के सीमावर्ती कस्बाई व ग्रामीण इलाकों में चिंहित लोगों तक पहुंचाते थे। 200 नागरिकों तक भोजन पहुंचाने की 24 मार्च को शुरू हुई व्यवस्था 1200 लोगों तक पहुंच गई थी। चचाई से लेकर अमलाई धनुपरी व बुढार पुलिस के अलावा स्थानीय प्रशासन के नुमाईदें, समय-समय पर यहां अपनी आमद भी दर्ज करा रहे थे, इतने बडे पैमाने पर भोजन की व्यवस्था में स्थानीय युवाओं की मदद उनके परिजनों के साथ ही स्थानीय व्यापारी, राजनैतिक दलों के नुमाईदें, पुलिस और प्रशासनिक कर्मचारी की थी।

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