सेवा ही धर्म है, सेवा ही कर्म

और सेवा बन गई साधना
्रशहडोल। भीषण गर्मी में रेल यात्रियों को स्टेशन में पानी पिलाना हो या कड़कड़ाती ठंड में गरीबों को कम्बल बांटना हो या फिर भूखों को भोजन कराया हो, श्री सत्य सांई सेवा संगठन के प्रमुख कर्ता-धर्ता शेखर ढण्ड का नाम सबसे पहले सामने आ जाता है। 09 फरवरी 1970 को एक साधारण परिवार में जन्में शेखर ढण्ड की शिक्षा मैट्रिक एवं आईटीआई तक भले हुई हो और व्यापार भी मोटर वर्कशाप का छोटा सा चला रहे हैं परन्तु उनकी सेवा कार्यों की जितनी तारीफ की जाये कम है। यदि इनके जीवन में नजर डाला जाये तो यह बात साफ हो जाती है कि शेखर ढण्ड की सेवा ही धर्म है, सेवा ही कर्म है और इनकी सेवा ही साधना है। तन-मन-धन से पूरी सम्पूर्णत: और लगन के साथ ऐसा पुण्य करने वाला कोई बिरला ही होता है।
लॉक डाउन में तीन माह तक गरीबों को दिया भोजन
कोविड-19 महामारी में लॉकडाउन के दौरान गांव-गांव एवं शहर के विभिन्न वार्डों में घूम-घूमकर शेखर ढण्ड ने अपने सहयोगियों के साथ गरीबों को भोजन वितरण लगातार तीन महीने तक करते रहे हैं। ग्राम गोरतरा के झिरिया टोला के 61 परिवारों को एक-एक माह का राशन दाल, चावल, आटा, नमक, आलू, प्याज, मसाला, तेल, साबुन आदि घर-घर पहुंचकर वितरण करने का सराहनीय कार्य भी शेखर भाई ने किया है। 23 नवम्बर 2020 से रोजाना 30 लोगों को भोजन कराने का व्रत भी इन्होंने ले रखा है।
15 साल से कम्बल वितरण
ठंड में पिछले 15 सालों से गरीबों को कम्बल वितरण कर सेवा कार्य भी शेखर कर रहे हैं, इस साल अब तक 70 कम्बल निर्धनों को बांट चुके हैं, गर्मी में रेलवे स्टेशन पिछले 35 साल से लगातार श्री सत्य सांई प्याऊ खोलते चले आ रहे हैं।
92 मरीजों का नि:शुल्क ऑपरेशन करा चुके
श्री सत्य सांई बाबा का आशिर्वाद प्राप्त कर वर्ष 2006 से अब तक शेखर ढण्ड जिले के हार्ट, आंख, प्रोस्टेट एवं ब्रेन के गरीब मरीजों को ढूंढकर अपने स्वयं के खर्चे से श्री सत्य सांई सुपर हॉस्पिटल पुट्टपर्ती ले जाकर 92 मरीजों का नि:शुल्क ऑपरेशन करा चुके हैं, जिसमें हार्ट के 86 मरीज, आंख के 2, ब्रेन के 2 मरीज एवं प्रोस्टेट के 2 मरीज शामिल हैं। सभी का ऑपरेशन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ है। शेखर बताते हैं कि वे घर-घर जाकर सम्पर्क करते हैं और मरीज के परिवार की माली हालत देखते हैं, यदि वह सक्षम नहीं हैं तो अपने वर्कशॉप की गाडिय़ों का कबाड़ बेचकर सहायता करते हैं। पुट्टपरती में ऑपरेशन को नि:शुल्क होता है, परंतु मरीज के आने-जाने का टे्रन का किराया व उनके ठहरने, भोजन आदि की व्यवस्था शेखर करते हैं, इतना ही नहीं मरीजों को अपने साथ लेकर पुट्टपरती जाते हैं।
675 शवों को श्मशान ले गये
शव वाहन भी इनका स्वयं का है, जिसमें 30 किलोमीटर तक नि:शुल्क शव ले जाने की सेवा करते हैं। अब तक 675 शवों को श्मशान ले जा चुके हैं। कोविड के 08 शवों को पीपीटी किट पहनकर मेडिकल कालेज से श्मशान घाट ले जाने का जोखिम भरा काम शेखर ने किया है, उनकी टीम में लगभग एक दर्जन सेवादार हैं, जो आर्थिक व शारीरिक सेवा प्रदान करते हैं। अनुशील सिन्हा उर्फ निक्की द्वारा भी एक शव वाहन प्रदान किया गया है। वे कहते हैं कि सब काम भगवान बाबा की कृपा से हो रहा है।