व्यापार एवं राजनीति के साथ जनसेवा में सक्रियता

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शहडोल। 13 जनवरी 1978 को बुढ़ार में जन्में भानु दीक्षित व्यापार और राजनीति के साथ ही जनसेवा में सक्रिय हैं। ब्लाक कांगे्रस कमेटी बुढ़ार के कार्यवाहक अध्यक्ष एवं जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री श्री दीक्षित पिछले 20 सालों से राजनीति एवं व्यवसाय के साथ-साथ जनसेवा का कार्य कर रहे हैं। मृदुभाषी, सहज, सरल स्वाभाव के धनी भानु दीक्षित श्रीराम जानकी मंदिर बुढ़ार के आयोजन समिति के अध्यक्ष है। उन्होंने वर्ष 2018 में एक विशाल यज्ञ का सफलतापूर्वक कार्यक्रम सम्पन्न कराया था।
लॉक डाउन में 3 हजार लोगों को राशन वितरण
पेट्रोल पम्प के व्यवसायी भानु दीक्षित कभी भी जनसेवा के कार्य से पीछे नहीं हटते। कोविड महामारी में लॉक डाउन के दौरान 15 दिनों तक 03 हजार लोगों को चावल, आटा, सब्जी का घर-घर वितरण श्री दीक्षित ने करके पुण्य लाभ अर्जित किया है। वे अब तक 50 क्विंटल चावल एवं 100 क्विंटल से अधिक सब्जी बंटवा चुके हेै।
20 परिवारों को गन्तव्य तक पहुंचाया
लॉक डाउन के दौरान जब रेल गाडिय़ां और बसें बंद हो गई थी, तब दूर-दूर से श्रमिक परिवार सहित पैदल अपने-अपने घर जा रहे थे, तब भानु दीक्षित ने बुढ़ार से गुजरने वाले लगभग 20 परिवारों को पेट्रोल पम्प में रूकवाकर भोजन करवाया और अपनी बोलेरो वाहन से यात्रियों को गन्तव्य तक पहुंचाने का सराहनीय कार्य किया।
रक्तदान महादान
रक्तदान को महादान कहा गया है, इसलिये श्री दीक्षित इस महादान से पीछे कैसे रह सकते थे, वे स्वयं 6 बार रक्तदान कर चुके हैं। साथ ही कैम्प के माध्यम से अनेक युवाओं को प्रेरित करके रक्तदान करवा चुके हैं। अभी हाल ही में होटल विलासा में आयोजन रक्तदान शिविर में 10 मित्रों के साथ श्री दीक्षित रक्तदान कर चुके हैं।
कम्बल वितरण भी करते हैं
कड़कड़ाती ठंड में जब निर्धनों के सामने ठंड से बचने की समस्या उत्पन्न हो जाती है, तब भानु दीक्षित रेलवे स्टेशन एवं बस स्टैड में जाकर कंपकपाते गरीबों को कम्बल वितरण करते हैं। यह पुण्य कार्य श्री दीक्षित कई वर्षों से करते चले आ रहे हैं, इस बार की ठंड में अब तक रेलवे स्टेशन बुढ़ार में श्री दीक्षित द्वारा लगभग 100 कम्बलों का वितरण किया जा चुका है।
दादाजी व पिताश्री से मिली प्रेरणा
श्री दीक्षित ने राजएक्सप्रेस से बातचीत करते हुए बताया कि दादाजी अयोध्या प्रसाद दीक्षित एवं पिताश्री संतोष दीक्षित भी जनसेवा का कार्य करते थे, जिन्हें देखकर उन्हें प्रेरणा मिली और ईश्वर की कृपा से मैं यह सेवा कर रहा हूँ, इस कार्य से मुझे आत्म संतुष्टि मिलती है।

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