अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाती उमरार नदी

खलेसर घाट के पानी से आ रही दुर्गंध
उमरिया। उमरिया शहर जिस उमरार नदी के नाम से जाना जाता है, दुर्भाग्य से आज उसी उमरार नदी की हालत बहुत ही दयनीय है, नदी से गंदे नाले में परिवर्तित हो चुकी यह नदी आज अपनी ही दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। नगर की जीवनदायिनी कहीं जाने वाली यह नदी शासन प्रशासन की अनदेखी, लापरवाही और राजनीति का शिकार यह नदी लगभग अपना अस्तित्व ही खो चुकी है। शहर की एकमात्र नदी की सुध लेने वाला कोई नहीं है, यह बात नगर के नागरिकों के लिए घोर चिंता का विषय है। हालात इतने बदतर हैं कि रेलवे पुल से लेकर कालेसर घाट तक नदी का पानी गंदगी से बजबजा रहा है।
बीमारी का भय
खलेसर घाट के आगे का हाल और भी बुरा है, इस घाट के आसपास रहने वाले लोगों के अलावा यहां से निकलने वाले नागरिकों को पानी से आ रही दुर्गंध से परेशान है, साथ ही कभी भी इस पानी के बदबू के कारण कोई गंभीर बीमारी रहने वाले आम नागरिकों को हो सकती है। खलेसर घाट के पानी की अगर बात की जाए, तो यहां का पानी नहाने की बात तो दूर छूने लायक भी नहीं रह गया है।
कायाकल्प का सिर्फ रह गया सपना
लगभग एक दशक से भी ज्यादा समय पूर्व तब के और तत्कालिक और अब के वर्तमान मुख्यमंत्री द्वारा उमरार नदी को गोद लेने की घोषणा की थी और श्रमदान भी किया था, लेकिन उमरार के कायाकल्प का सपना तब से लेकर अब तक साकार नहीं हो पाया बल्कि शहर भर के गंदे नालों और नालियों का गंदा पानी इसी में समाहित होकर नदी को निरंतर दूषित कर रहा है।
प्रशासन से सफाई की दरकार
अपने अस्तित्व को बचाने संघर्ष कर रही जीवनदायिनी नदी को किसी ऐसी सरकार जनप्रतिनिधि या प्रशासक की दरकार है, जिनके प्रयास से इसका अस्तित्व बचाया जा सके और नदी का आकार और साफ-सफाई पूर्ण रूप से हो सके और जीवनदायिनी बनी नदी को फिर से एक बार उपयोग में लाया जा सके।