बिरुहली के संकुल प्राचार्य चला रहे मनमानी
(प्रकाश जायसवाल) – 9425472245
चन्नौड़ी। बुढ़ार विकासखण्ड अंतर्गत एक ऐसा भी हायर सेकण्ड्री विद्यालय संचालित है जहाँ आला अधिकारियों के आदेशों को धता बताकर प्राचार्य मन मुताबिक संकुल का संचालन कर रहे हैं, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बिरूहली की यहाँ पदस्थ खेल शिक्षक को प्राचार्य का अभयदान मिला हुआ है जबकि विद्यालय में एक व्यायाम शिक्षक वर्ग-2 एवं एक व्यवसायिक शिक्षक खेलकूद पदस्थ है, लेकिन उनका वार्षिक खेलकूद परिणाम कितना है, यह प्राचार्य को पता है इसके बावजूद मनमर्जी की पाठशाला चल रही है।
विद्यालय का मैदान और क्षेत्र के खिलाड़ी और धावकों के इंतजार में धूल खा रहा है, शारीरिक विकास को पलीता लगाता यहाँ पदस्थ लिपिक को साहब की चाकरी ज्यादा पसंद है वह पूरा काम बुढ़ार आवास बी.ई.ओ. कार्यालय से चलाते हैं, कभी-कभी वॉक करने बिरूहली भी चले जाते हैं, जबकि संकुल में साहब अपने चहेतों को पूरी छूट देकर रखें हैं वैसे कक्षा 1 से कक्षा 8वीं तक की छुट्टी है लेकिन शिक्षक भी विद्यालय से नदारद रहते हैं पूरे समय विद्यालय में ताला लटका रहता है, शिक्षक अपने मनमौजी से विद्यालय में आना-जाना करते हैं।
स्वच्छता की बात करें तो ग्रहण लगा हुआ है, जब साहब को पता चलता है कि कोई अधिकारी आने वाला है, तब शौचालयों में फिनायल एवं पानी दिखाकर रख दिया जाता है, साफ-सफाई का अभाव है, साहब के रहमोकरम पर शिक्षकीय कार्य छोड़कर गुनगुनाती धूप का आनन्द लेते दिखाई देते है, 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई कैसे पूरी होगी यह बात समझ के परे है, भला हो रिलायंस फाउण्डेशन का जो कुछ शिक्षा जगत में सराहनीय कार्य किये हैं, जिसका फायदा छात्रों को मिल रहा है वरना छात्र तो शिक्षा के लाभों से कोसों दूर रहते। रिलायंस द्वारा प्रोजेक्टर आदि दिये गये हैं वह भी बंद रहते हैं, विद्यालय में पानी-पीने की समुचित व्यवस्था नहीं है और न ही कोरोना गाइडलाईन का पालन होता है, दो गज दूरी, मास्क है जरूरी, यह केवल एक नारा बनकर रह गया है, सैनेटाइजर सब खोखले साबित हो रहे है क्योंकि अधिकतर समय प्राचार्य को बुढ़ार से आने-जाने रंगरोचन एवं बिल वाउचर देखने मे समय लगता है। जबकि यहाँ लिपिक पदस्थ है, आदि इसके बावजूद भी शासकीय योजनाओं का गुपचुप तरीके से मनमर्जी मुताबिक संचालन को कोई इनसे सीखे, नवीन व्यवसायिक शिक्षक भर्ती की जॉच या अधिकारियों का अचानक दौरा हो तो हकीकत सामने आयेगी, वैसे प्रिय बोली और मैंनेजमेंट के खिलाड़ी आनन्द रूप बहुत सहजता के साथ कागजी कार्यवाही पूर्ण करते हैं कभी संकुल अंतर्गत विद्यालयों का भ्रमण करते साहब का समय का अभाव रोना रोते हैं जिससे संकुल अंतर्गत विद्यालय पठन-पाठन समुचित नहीं होता है, ऐसे में छात्रों के भविष्य के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक विकास कैसे संभव है, बहरहाल पटेल साहब का जलवा बरकरार है और यदि अधिकारियों की बात करें तो पटेल साहब सबको अपने जेब में रखते है।