आग में जलता रहा अस्पताल और सोते रहे सिविल सर्जन !

सीएमएचओ ने मौके पर पहुंचकर सम्हाली जिम्मेदारी
…तो काल के गाल में समा जाते अबोध बच्चे
ऑक्सीजन यूनिट में भड़की आग, एसएनसीयू की सप्लाई बाधित
घटना के बाद जागा प्रबंधन, आधी रात को पहुंचे विशेषज्ञ
शहडोल। संभाग के सबसे बड़ी सरकारी अस्पताल कुशाभाऊ ठाकरे में बीती रात ऑक्सीजन सप्लाई यूनिट में शॉर्ट के चलते अचानक आग भड़क गई । जिसे समय रहते अस्पताल कर्मचारियों द्वारा काबू पा लिया गया, जिसके चलते एक बड़ा हादसा टल गया। इस दौरान कुछ समय के लिए आक्सीजन सप्लाई प्रभावित हुई। आक्सीजन की सप्लाई एसएनसीयू और पीआईसीयू में होती है और यह वही अस्पताल है, जहां के एसएनसीयू और पीआईसीयू में लगातार कई बच्चो के मौत का मामला सामने आया था। यदि समय रहते आग पर काबू नही पाया होता तो, एक बड़ा हादसा हो सकता था।
सीएमएचओ पहुंचे पर सिविल सर्जन नहीं
शनिवार व रविवार की दरमियानी रात जब ऑक्सीजन सप्लाई के सेंट्रल लाईन वाले मिनी फोल्डर में आग लगी तो, एसएनसीयू वार्ड जहां लगभग 36 बच्चे भर्ती थे, वहां की ऑक्सीजन सप्लाई बंद हो गई, इसके साथ ही अलार्म बजने से अस्पताल में तत् समय तैनात कर्मचारियों को जानकारी लगी और कई आग के समीप जा पहुंचे। इस दौरान अस्पताल के मुखिया सिविल सर्जन डॉ. जी. एस. परिहार सहित सीएमएचओ व अन्य को दर्जनों ने फोन लगाया, रात को ही सीएमएचओ आग बुझने के साथ ही मौके पर पहुंच गये, लेकिन यह बात सामने आई कि सिविल सर्जन का मोबाइल स्विच ऑफ था, उनके अवकाश पर होने की भी चर्चा सामने आई, लगातार विवादों में रहे सिविल सर्जन के मैनेजमेंट का ही आभाव है कि यहां बड़ी घटना कारित होते-होते बच गई।
मेंटेनेंस का आभाव या लापरवाही
चिकित्सालय से जुड़े सूत्रों पर यकीन करें तो, जिस दौरान यह घटना कारित हुई, उस दौरान एसएनसीयू और पीआईसीयू में आधा सैकड़ा के आस-पास बच्चे रहे, ऑक्सीजन की सप्लाई जल्दी चालू हो गई और आग पर भी काबू पा लिया गया, यदि दोनों में से किसी में भी ज्यादा देरी होती तो, आग भयावक रूप लेकर बड़े हादसे का कारक बनती, यहीं नहीं ऑक्सीजन की सप्लाई अधिक समय तक बाधित होने से भी बड़ी घटना हो सकती थी। इस पूरे मामले में सीएमएचओ की तत्परता से काबू तो पा लिया गया, लेकिन जिस एचएम इंटरप्राइजेज के नुमाइंदे यहां काम देख रहे हैं एवं जिनके जिम्मे यहां
का मेंटेनेस सौंपा गया है, कहीं न कहीं उनकी लापरवाही ही घटना की जनक है। गलती मानने की जगह काबलियत का ढिढोरा
रविवार की सुबह जब यह घटना सोशल मीडिया तथा इलेक्ट्रानिक चैनलों में सुर्खिया बनी तो, चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार डैमेज कंट्रोल में लग गये। रविवार का दिन होने के बाद भी जनसंपर्क विभाग से इस मामले में डैमेज कंट्रोल के लिए सिंगल समाचार जारी का समाचार पत्रों में भेजा गया। चिकित्सा विभाग से जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह उल्लेख किया गया कि सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला चिकित्सालय ने जानकारी 28 फरवरी को रात्रि 1 बजे मातृ एवं शिशु कल्याण विभाग भवन के पीछे ऑक्सीजन सेंट्रल लाइन के मिनी फोल्डर में शॉर्ट सर्किट होने के कारण 1 पॉइंट में आग लग गई थी, शॉर्ट सर्किट होते ही कर्मचारियों द्वारा तुरंत चिकित्सालय में उपलब्ध अग्निशामक यंत्र का उपयोग कर आग को बुझा दिया गया था। सूचना प्राप्त होते ही मेरे द्वारा रात्रि में ही मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया तथा स्थिति सामान्य थी। चिकित्सालय में पर्याप्त मात्रा में फायर सिलेंडर उपलब्ध है, जिससे आपातकालीन स्थिति में निदान पाया जा सकता है। साथ ही इकाई का इलेक्ट्रिकल ऑडिट भी कराया गया है। एसएनसीयू एवं पीआईसीयू में किसी भी प्रकार की आग नहीं लगी है, ना ही कोई अप्रिय घटना घटी है, स्थिति सामान्य है, ऑक्सीजन की सप्लाई निर्बाध रूप से जारी है। ऑक्सीजन सिलेंडर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। उन्होंने बताया कि जो खराबी थी, जिसके लिए रात्रि में ही टेक्निकल इंजीनियर एवं मैकेनिक जो सूचना देकर बुलाया गया था जिसका सुधार कार्य करा दिया गया है।