उमरिया में फेल हुई सरकारी मशीनरी:झोलाछाप को ऑफ रिकार्ड कमान, नौरोजाबाद स्थित बंगाली डॉक्टर के क्लीनिक को सील होने के बाद खुलवाया

बीएमओ ने कहा कलेक्टर के आदेश पर खुलवाया है क्लीनिक
थाना प्रभारी ने जताई अनभिज्ञता, मातहतों ने खुलवा दिया ताला
इन्ट्रो-कोरोना काल के दौरान प्रशासन ने पढ़े-लिखे चिकित्सकों की तुलना में झोलाछाप पर भरोसा जताते हुए, अब उनकी सील दुकानें बिना कार्यवाही के खुलवाना शुरू कर दी है। आरोप तो यह भी है कि भाजपा नेता के करीबी होने का फायदा नौरोजाबाद के फर्जी चिकित्सक को प्रशासनिक गलियारों से होता हुआ मिला है।
उमरिया। कोरोना संक्रमण की भयावक स्थिति का अंदाजा संभाग के वाशिंदे इस बात से लगा सकते हैं कि जिस अधिकारी को प्रदेश केे मुखिया ने उमरिया की कमान सौंपते हुए कलेक्टर की कुर्सी पर बैठाया है, उसे अब पढ़े-लिखे शासकीय व निजी चिकित्सकों की तुलना में झोलाछाप बंगाली डॉक्टरों पर भरोसा है। नौरोजाबाद थाना अंतर्गत कस्बे में संचालित समीर अधिकारी नामक झोलाछाप चिकित्सक की शिकायत के बाद बीते माह 29 अप्रैल की देर शाम एसडीएम नेहा सोनी ने स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ मिलकर छापामार कार्यवाही की थी और फर्जी क्लीनिक को सील कर दिया था, उसे एक पखवाड़े के अंदर ही राजनैतिक रसूख में कथित चिकित्सक ने प्रशासनिक सहमति से खुलवा दिया। अलबत्ता कलेक्टर उमरिया संजीव श्रीवास्तव का इस संदर्भ में दुर्भाग्य पूर्ण बयान यह है कि कोरोना संक्रमण काल में चिकित्सकों की भारी कमी है, ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों में ऐसे चिकित्सकों के अनुभव का फायदा तो लिया ही जा सकता है। अचरज इस बात का है कि यदि कोरोना जैसे भयंकर महामारी के काल में कलेक्टर जैसे जिम्मेदार अधिकारी यदि झोलाछाप चिकित्सक का क्लीनिक सील होने के बाद मातहतों के माध्यम से उसे खुलवा देंगे तो, इसी की देखा-सिखी पूरे जिले में यह प्रचलन चल निकला तो आम लोगों की जिंदगी कितनी सुरक्षित होगी।
भाजपा जिलाध्यक्ष ने की पैरवी
जिस फर्जी चिकित्सक पर आम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने के कारण गंभीर धाराओं के तहत कार्यवाही होनी चाहिए, रंगेहाथों फर्जी क्लीनिक और सैकड़ों प्रकार की आयुर्वेद व एलोपैथी दवाईयां जब्त की गई। उसे एक पखवाड़े के भीतर देश की सबसे बड़ी पार्टी के जिलाध्यक्ष दिलीप पाण्डेय ने कोरोना संकट का हवाला देकर खुलवाने की पैरवी कर दी, इस संदर्भ में जब दिलीप पाण्डेय से चर्चा की गई तो, उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण निचले स्तर पर आमजन काफी परेशान है, बंगाली डॉक्टर सस्ते दर पर प्राथमिक इलाज कर देते हैं, जिससे हालातों पर काबू पाया जा सकता है।
जिम्मेदारों के जुदा-जुदा बयान
इस मामले में थाना प्रभारी नौरोजाबाद ज्ञानेन्द्र सिंह कहते हैं कि क्लीनिक अभी नहीं खुला है, अलबत्ता स्वास्थ्य विभाग से कार्यवाही का पत्र आना है, जिसके बाद हम एफआईआर दर्ज करेंगे, फर्जी चिकित्सक समीर अधिकारी को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जा सकता है, जबकि दूसरी तरफ वर्दीधारी ही बीएमओ डॉ. बघेल के निर्देशन में क्लीनिक का ताला खुद खुलवा देते हैं, बकौल डॉ. बघेल कलेक्टर के मौखिक निर्देश पर हमने क्लीनिक खुलवा दिया है।
…तो बंद कर दें शहडोल जैसे मेडिकल कॉलेज
जब झोलाछाप चिकित्सक ही बंगाल के जादू से आमलोगों को कोरोना जैसे संवेदनशील समय में आमलोगों का इलाज कर सकते हैं तो, देश और प्रदेश में स्थित शहडोल जैसे शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों को शायद बंद करने का समय अब आ गया है, शासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि जब बंगाल के जादू से आम लोगों का इलाज किया जा सकता है तो, अरबों रूपये खर्च कर भवन बनाने और उस पर हर माह करोड़ों रूपये खर्च करने की आवश्यकता ही क्या है, शहडोल मेडिकल कॉलेज सहित पूरे देश के चिकित्सा महाविद्यालयों में अध्ययन कर रहे छात्रों को भी इस मामले से सबक लेना चाहिए और एमबीबीएस तथा अन्य समकक्ष डिग्रियों में पैसा बर्बाद न कर समीर अधिकारी की तरह बंगाल का जादू और सत्ता की चाटुकारिता का हुनर सीखना ही फायदे मंद है।
डॉक्टरों की कमी के कारण दी इजाजत: कलेक्टर
उमरिया कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने बीते माहों में ही अवैध पैथोलॉजी और अन्य फर्जी चिकित्सकों के खिलाफ कार्यवाहियां तो की थी, लेकिन इस मामले में उनके नये नजरिये से शायद कोरोना को उमरिया में मात दी जा सकती है। कलेक्टर जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे संजीव श्रीवास्तव का संदर्भ में दिया गया बयान कि डॉक्टरों की कमी के कारण इनके अनुभव का लाभ लिया जा सकता है, हॉस्यास्पद सा नजर आता है। जब कलेक्टर ने ही इस मामले में झोलाछाप चिकित्सक की दुकान एसडीएम व बीएमओ जैसे अधिकारियों के द्वारा सील करने के बाद खोलने की हरी झण्डी दे दी, तो आगे आमजनता किससे और क्या उम्मीद करेगी।